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Gupta Guha Kali Sadhana – Unlock Divine Power with Sacred Soil

गुप्त काली विद्या – बरगद के पेड़ की मिट्टी से करें काली सिद्धि!

Gupta Guha Kali Sadhana – गुप्त काली विद्या तंत्र शास्त्र का एक अत्यंत प्रभावशाली एवं रहस्यमयी साधना पद्धति है। इस साधना में विशेष रूप से बरगद के पेड़ की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। बरगद का वृक्ष प्राचीन काल से ही तांत्रिक साधनाओं में महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसमें दिव्य शक्तियाँ विद्यमान होती हैं।

गुहा काली, जिन्हें गुप्त काली के रूप में जाना जाता है, अत्यंत प्रभावशाली तांत्रिक देवी हैं। यह साधना विशेष रूप से उन साधकों के लिए लाभदायक होती है जो त्वरित सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। इस प्रयोग में बरगद की मिट्टी को विशिष्ट विधि से तैयार किया जाता है, जिससे तांत्रिक ऊर्जा सक्रिय होती है।

गुहा काली प्रयोग के लाभ

  1. शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है।
  3. जीवन में समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  4. साधक की मानसिक और आत्मिक शक्ति बढ़ती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  6. कार्यों में सफलता दिलाता है।
  7. भय एवं तनाव को समाप्त करता है।
  8. आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव करता है।
  9. पारिवारिक समस्याओं का समाधान करता है।
  10. व्यापार और नौकरी में उन्नति करता है।
  11. ग्रह दोषों को शांत करता है।
  12. स्वास्थ्य लाभ दिलाने में सहायक है।
  13. गुप्त शत्रुओं से रक्षा करता है।
  14. कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय दिलाता है।
  15. साधक के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है।

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मुहूर्त

गुप्त काली साधना के लिए अमावस्या, मंगलवार, शनिवार और काली चौदस का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। विशेष रूप से मध्यरात्रि के समय यह साधना अधिक प्रभावी होती है।

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विधि

  1. सबसे पहले बरगद के वृक्ष के नीचे जाकर वहाँ की मिट्टी एकत्र करें।
  2. इसे स्वच्छ वस्त्र में लपेटकर अपने साधना कक्ष में रखें।
  3. अमावस्या की रात्रि को इस मिट्टी को पंचगव्य से शुद्ध करें।
  4. एक काले वस्त्र पर इस मिट्टी को स्थापित करें।
  5. “ॐ क्रीं गुहा कालिके क्रीं नमः” मंत्र का 1001 बार जाप करें।
  6. साधना के दौरान किसी प्रकार का व्यवधान न हो, इसका ध्यान रखें।
  7. अंत में मिट्टी को अपने घर के मुख्य द्वार पर छिड़क दें।

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सामान्य प्रश्न

  1. क्या यह साधना हर कोई कर सकता है? – हां, लेकिन केवल योग्य साधकों को ही यह प्रक्रिया करनी चाहिए।
  2. इस साधना को करने का सर्वोत्तम समय क्या है? – अमावस्या, मंगलवार और शनिवार की रात्रि को करना श्रेष्ठ होता है।
  3. क्या इस साधना में विशेष स्थान की आवश्यकता होती है? – हां, इसे एकांत और पवित्र स्थान पर किया जाना चाहिए।
  4. क्या किसी विशेष नियम का पालन आवश्यक है? – हां, सात्विक भोजन और ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
  5. क्या इस साधना से त्वरित लाभ मिलता है? – नियमित साधना करने से शीघ्र ही प्रभाव दिखाई देने लगते हैं।
  6. क्या बरगद के वृक्ष की मिट्टी का कोई और उपयोग है? – हां, यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने में सहायक होती है।
  7. क्या इस साधना को करने के बाद कोई सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं? – हां, साधना के बाद हनुमान ॐ हं हनुमंते नमः मंत्र का जाप करें।

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