तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से बहुत ही जल्द मनोकामना पूर्ण हो जाती है। ये भारतीय साहित्य के महान कवि और संत माने जाते हैं जिन्होंने रामचरितमानस जैसे अमर ग्रंथ की रचना की। इस चालीसा के पाठ से मन शांत होकर अध्यात्मिक शक्ति बढती है।
तुलसीदास चालीसा
दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
चौपाई:
सियावर रामचन्द्र के चरणों में प्रणाम।
तुलसी का चालीसा करो, सब दुख होंगे काम॥
संतन के सब सुख दाता, तुलसी दास महान।
राम नाम के प्रेम में, हरी लियो जान॥
रामचरितमानस लिखे, कृपा करी हनुमान।
भक्ति का जो दीप जले, जगमग होय जहान॥
साक्षात् राम के दास, तुलसी जिनका नाम।
उनकी वाणी अमृत, हर लेती सब क्लेश तमाम॥
श्रीरामचन्द्र की कृपा, तुलसी को रही विशेष।
राम नाम में लीन, रहे सदा, हुए हरि विशेष॥
संत तुलसी का यश गान, करते सब जन।
तुलसी की कृपा से, मिलता हर कष्ट हरक्षण॥
राम भक्ति में लीन, तुलसी की महिमा अपरंपार।
राम नाम में मस्त, रहे सदा, अजर अमर॥
श्रीराम के चरणों में, तुलसी को मिला स्थान।
राम भक्ति में रम गए, तुलसी के बड़भाग॥
तुलसी की वाणी सुमधुर, जैसे बहे अमृत धारा।
रामचरितमानस की रचना, जैसे हो अंबार खजाना॥
तुलसी के चरणों में, हम करें बारंबार।
उनकी कृपा से मिटें, सब क्लेश और विकार॥
हे तुलसी दास कृपालु, हमें दो अपना आश्रय।
राम भक्ति में लीन, रहे सदा, तुम्हारे चरणों में॥
तुलसी की महिमा गाएं, करें सदैव स्मरण।
उनकी कृपा से हो सब काज, निवारण सारा दारुण॥
हे तुलसी महाराज, तुम हो हमारे प्राण।
तुम्हारी कृपा से ही, हो सब साकार विधान॥
हे राम के दास, तुलसी दास कृपालु।
हम पर करो कृपा, हर लो सब विकार अनकुल॥
संत तुलसी की वाणी, जैसे बहे गंगा जल।
उनकी कृपा से हो सब, निर्मल, अजर अमर॥
हे तुलसी महाराज, तुम हो भक्तों के धाम।
तुम्हारी कृपा से ही, मिले सबको सुख अयाम॥
रामचरितमानस की रचना, तुलसी का महान कार्य।
तुलसी की महिमा से, मिले सबको जीवन में प्यार॥
तुलसी की कृपा से, हर हो सब संकट।
राम नाम में लीन, रहे सदा, हर कष्ट विपत॥
तुलसी का नाम जपे, मिटे सब अज्ञान।
तुलसी की कृपा से, मिले सारा जहान॥
जय श्री राम के भक्त, तुलसी का गुण गाएं।
उनकी कृपा से, हो सब सुख और चैन पाएँ॥
संत तुलसी की महिमा, जैसे सागर गहरा।
उनकी कृपा से हो, सब संताप और क्लेश ठहरा॥
राम भक्त तुलसी की वाणी, अमृत जैसे बहें।
तुलसी की कृपा से, हो सब कष्ट और क्लेश न सहें॥
हे तुलसी दास कृपालु, हमें दो अपना आशीर्वाद।
राम भक्ति में लीन, रहे सदा, तुम्हारे चरणों में साद॥
दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- मानसिक शांति: इसका नियमित पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- कष्टों से मुक्ति: इसके पाठ से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- संकटों का निवारण: सभी प्रकार के संकटों का निवारण होता है।
- भय का नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- धन और समृद्धि: धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- पारिवारिक सुख: पारिवारिक सुख और शांति में वृद्धि होती है।
- सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
- शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- सत्संग का लाभ: सत्संग का लाभ मिलता है।
- रामभक्ति: रामभक्ति में वृद्धि होती है।
- कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार होता है।
- मानसिक स्थिरता: मानसिक स्थिरता में वृद्धि होती है।
- ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- आत्म-साक्षात्कार: आत्म-साक्षात्कार होता है।
- धार्मिक आस्था: धार्मिक आस्था में वृद्धि होती है।
- मुक्ति: मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पाठ की विधि
दिन: मंगलवार और शनिवार को तुलसीदास चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है।
अवधि: तुलसीदास चालीसा का पाठ करने की कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसे प्रतिदिन करना लाभकारी होता है।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) तुलसीदास चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।
नियम
- स्वच्छता: पाठ करने से पहले स्नान कर लेना चाहिए।
- शुद्ध वस्त्र: स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- ध्यान: पाठ से पहले तुलसीदास जी का ध्यान करें।
- समर्पण: पाठ को पूरे समर्पण और विश्वास के साथ करें।
- स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिर रहें और मन को केंद्रित रखें।
- उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।
सावधानियाँ
- अवमानना न करें: तुलसीदास चालीसा का पाठ श्रद्धा और सम्मान के साथ करें।
- जल्दीबाजी न करें: पाठ करते समय जल्दबाजी न करें।
- निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें।
- ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें।
- आत्मा की शांति: पाठ के बाद कुछ देर ध्यान करें।
तुलसीदास चालीसा पृश्न उत्तर
- तुलसीदास चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
- किसी भी दिन, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को।
- तुलसीदास चालीसा का पाठ क्यों करें?
- आध्यात्मिक उन्नति और संकट निवारण के लिए।
- तुलसीदास चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- दिन में एक बार, नियमित रूप से करना उत्तम है।
- क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
- ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे उत्तम है।
- तुलसीदास चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
- कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
- तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
- मानसिक शांति, संकटों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति।
- क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
- हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
- क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में लाभ होता है?
- हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- तुलसीदास चालीसा का पाठ करने के बाद क्या करें?
- ध्यान करें और तुलसीदास जी का आशीर्वाद लें।
- क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से धन और समृद्धि मिलती है?
- हाँ, इसका नियमित पाठ धन और समृद्धि में वृद्धि करता है।
- क्या तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है?
- हाँ, इसके पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- तुलसीदास चालीसा का पाठ करने से पारिवारिक सुख मिलता है?
- हाँ, इसका नियमित पाठ पारिवारिक सुख और शांति लाता है।