Buy now

spot_img
spot_img

How to get benefits from Siddhi Vinayak Chalisa Path?

सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ मनोकामना पूरी करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। सिद्धि विनायक भगवान गणेश का एक प्रसिद्ध रूप हैं, जिन्हें विशेष रूप से संकटों का निवारण करने और सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने के लिए पूजा जाता है। सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी विघ्नों का नाश होता है।

संपूर्ण सिद्धिविनायक चालीसा

दोहा:
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई:
जय गणेश गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेउ साजे।
संकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग बंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्र के काज सवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये, श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबी कोबिद कहि सके कहाँ ते।
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही, जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपे, तीनों लोक हाँक ते काँपे।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।
संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै, सोय अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।
जो शत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

सिद्धिविनायक चालीसा के लाभ

  1. संकटों का नाश: जीवन में आने वाले सभी संकटों और बाधाओं का नाश होता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  3. सफलता: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. धन और समृद्धि: धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
  6. मनोकामनाओं की पूर्ति: मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  7. विघ्नों का निवारण: सभी प्रकार के विघ्नों और बाधाओं का निवारण होता है।
  8. शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  9. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  10. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
  11. पारिवारिक सुख: पारिवारिक सुख और शांति में वृद्धि होती है।
  12. धार्मिक आस्था: धार्मिक आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है।
  13. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  14. सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
  15. आत्म-साक्षात्कार: आत्म-साक्षात्कार और आत्मज्ञान होता है।
  16. सत्संग का लाभ: सत्संग और संतों का सानिध्य प्राप्त होता है।
  17. भय का नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  18. कर्मों का सुधार: कर्मों में सुधार और श्रेष्ठता प्राप्त होती है।
  19. मुक्ति: मोक्ष की प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति होती है।
  20. भक्ति में वृद्धि: भगवान गणेश की भक्ति में वृद्धि होती है।

सिद्धिविनायक चालीसा पाठ की विधि

दिन: मंगलवार और बुधवार को विशेष रूप से पाठ करना लाभकारी होता है, लेकिन इसे किसी भी दिन किया जा सकता है।

अवधि: सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने की कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसे प्रतिदिन करना उत्तम है।

मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है।

नियम

  1. स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. ध्यान: भगवान गणेश का ध्यान करें।
  3. श्रद्धा: पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
  4. स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिरता और ध्यान केंद्रित रखें।
  5. उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।

Online kamakhya sadhana shivir

सावधानियाँ

  1. अवमानना न करें: श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करें।
  2. जल्दीबाजी न करें: पाठ को धैर्यपूर्वक करें।
  3. निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें।
  4. ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें।
  5. स्वच्छता: अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में पाठ न करें।

Spiritual shop

सिद्धिविनायक चालीसा पृश्न उत्तर

  1. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
    • किसी भी दिन, विशेषकर मंगलवार और बुधवार को।
  2. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ क्यों करें?
    • संकट निवारण और कार्यों में सफलता के लिए।
  3. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
  4. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
    • ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे उत्तम है।
  5. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
  6. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, संकट निवारण और आध्यात्मिक उन्नति।
  7. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
    • हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
  8. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
    • हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
  10. सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
    • एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
  11. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
    • हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
  12. क्या सिद्धिविनायक चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
    • हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency