Kaal ashtami mantra for strong protection

कालाष्टमी के बारे मे

कालाष्टमी भगवान काल भैरव की पूजा का महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, और विशेष रूप से कृष्ण पक्ष की अष्टमी को महत्व दिया जाता है। काल भैरव को समय और मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति को भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

कालाष्टमी मंत्र

"ॐ भ्रं कालभैरवाय नमः" या "ॐ भ्रं भैरवाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु ह्रीं ॐ नमः"
"OM BHRAM KAALBHAIRAVAAY NAMAHA" or "OM BHRAM BHAIRAVAAY AAPADA UDDHAARANAAY KURU KURU HREEM NAMAHA"

कालाष्टमी मंत्र का महत्व

कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, काल भैरव की कथा सुनते हैं, और उनके मंत्रों का जाप करते हैं। काल भैरव की पूजा से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

कालाष्टमी मंत्र के लाभ

  1. भयमुक्ति: काल भैरव के मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के मन से सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: काल भैरव की पूजा और मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. शत्रु नाश: इस मंत्र का नियमित जाप करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की रक्षा होती है।
  4. संकटों से मुक्ति: काल भैरव की कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
  5. धन प्राप्ति: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  6. मानसिक शांति: काल भैरव की पूजा से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: इस मंत्र के जाप से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान होता है और व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
  8. यात्रा की सुरक्षा: यात्रा करते समय इस मंत्र का जाप करने से सुरक्षित यात्रा होती है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
  9. रक्षा कवच: यह मंत्र व्यक्ति के लिए एक रक्षा कवच का कार्य करता है और उसे हर प्रकार की बुरी नजर से बचाता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: काल भैरव की पूजा से आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति का मन स्थिर होता है।
  11. अत्याचार से मुक्ति: यह मंत्र अत्याचारों और अन्याय से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  12. समय प्रबंधन: काल भैरव समय के देवता हैं, उनकी पूजा और मंत्र जाप से व्यक्ति को समय प्रबंधन में मदद मिलती है।
  13. सफलता प्राप्ति: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  14. परिवार की रक्षा: परिवार की सुख-शांति और सुरक्षा के लिए इस मंत्र का जाप अत्यंत लाभकारी है।
  15. विध्न नाश: काल भैरव की कृपा से जीवन में आने वाले सभी विध्न और बाधाओं का नाश होता है।
  16. आत्मबल की वृद्धि: इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति के आत्मबल में वृद्धि होती है।
  17. संतान सुख: इस मंत्र के जाप से संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति में भी सहायता मिलती है।
  18. विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान: काल भैरव की पूजा से विवाह संबंधी सभी समस्याओं का समाधान होता है।
  19. मानसिक रोगों से मुक्ति: मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्ति को इस मंत्र के जाप से लाभ प्राप्त होता है।
  20. सदगति प्राप्ति: काल भैरव की पूजा और मंत्र जाप से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कालाष्टमी की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि: सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को शुद्ध करें और वहाँ काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलित करें: दीपक जलाकर भगवान काल भैरव का ध्यान करें।
  4. पुष्प अर्पण करें: भगवान को फूल, धूप, और दीप अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप करें: काल भैरव मंत्र का जाप ५४० बार करें।
  6. भोग लगाएं: भगवान को नैवेद्य (भोग) अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें।
  7. आरती करें: काल भैरव की आरती करें और उनकी स्तुति करें।
  8. प्रसाद ग्रहण करें: अंत में, प्रसाद ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों में बाँटें।

कालाष्टमी का दिन

  • दिन: हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी (अष्टमी तिथि)
  • मास: हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, पर विशेष रूप से फाल्गुन और आश्वयुज मास की कालाष्टमी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

मुहुर्थ (अवधि)

  • अष्टमी तिथि की शुरुआत: सूर्योदय के बाद अष्टमी तिथि की शुरुआत होती है।
  • अष्टमी तिथि का समाप्ति: अष्टमी तिथि रात को समाप्त होती है।
  • पूजा का समय: पूजा का सबसे अच्छा समय अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि होता है, लेकिन दिन के समय भी पूजा की जा सकती है। यदि मध्यरात्रि में पूजा नहीं कर सकते, तो दिन के समय भी पूजा कर सकते हैं।

पूजा की अवधि

  • मूल पूजा: पूजा आमतौर पर अष्टमी तिथि के दिन एक बार की जाती है। लेकिन विशेष अवसरों पर इसे पूरे दिन भी किया जा सकता है।
  • सप्टमी से अष्टमी: पूजा का सबसे शुभ समय अष्टमी तिथि के दिन शाम को होता है। पूजा की अवधि लगभग 1-2 घंटे की होती है, लेकिन आप अपनी सुविधानुसार समय बढ़ा सकते हैं।

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पूजा के नियम

  1. पवित्रता: पूजा से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  2. स्थल चयन: पूजा एक साफ-सुथरी जगह पर करें। अगर घर में कोई विशेष पूजा स्थल है, तो वही स्थान उपयुक्त रहेगा।
  3. सामग्री: पूजा के लिए फूल, दीपक, कुमकुम, अक्षत (चावल), जल, नैवेद्य (भोग), और अगरबत्ती का उपयोग करें।
  4. पुजा विधि:
    • सबसे पहले भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र की पूजा करें।
    • दीपक जलाएं और उनका आह्वान करें।
    • मंत्रों का जाप करें और पूजा के दौरान भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें।
    • नैवेद्य अर्पित करें और समाप्ति पर भगवान को धन्यवाद दें।
  5. उपवास: कुछ भक्त उपवास भी रखते हैं, लेकिन यह वैकल्पिक है। उपवास रखने वाले फल और पानी का सेवन कर सकते हैं।

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काल भैरव के मंत्र का नियमित जाप साधक के मन को शांत करता है और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। इससे व्यक्ति के भीतर साहस और शक्ति का संचार होता है। काल भैरव के आशीर्वाद से साधक को सभी प्रकार की भय, असुरक्षा और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।

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