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Kamakhya Ashtakam – Fulfill Desires & Benefits

कामख्या अष्टकम् – इच्छाओं को पूर्ण करने वाला दिव्य स्तोत्र और इसके अद्भुत लाभ

कामख्या अष्टकम् एक प्रभावी स्तोत्र है जो मां कामाख्या को समर्पित है। कामाख्या देवी को इच्छाओं को पूर्ण करने और भक्तों को आशीर्वाद देने वाली देवी माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

संपूर्ण कामख्या अष्टकम् व उसका अर्थ

कामाख्ये कामदायिनि काम-रूपा धरा सुधे।
कामेश्वरी कामिन्यै च नमस्ते भगवत्ये च॥१॥

काम-रूपा महादेवि काम-प्रदा शुभानने।
काम-लक्ष्मी नमस्तुभ्यं काम-लिंगे नमो नमः॥२॥

काम-कीर्ति-प्रदा देवी काम-मुक्ति-प्रदायिनी।
काम-रूपे नमस्तुभ्यं काम-रूपि नमो नमः॥३॥

कामादिनाशिनि देवि कामेश्वर-प्रियंवदा।
काम-रूपे नमस्तुभ्यं काम-पुत्रे नमो नमः॥४॥

कामिनी ह्रीं महामाये काम-लिंगे महेश्वरी।
काम-रूपे महादेवि काम-कृष्ण-प्रिया च ते॥५॥

काम-क्रीड़ा प्रियंवदा काम-तोषे महेश्वरी।
काम-रूपे नमस्तुभ्यं काम-विद्धे नमो नमः॥६॥

काम-संवर्धनी देवी काम-रूपे शिवानने।
काम-रूपे महादेवि काम-लिंगे नमो नमः॥७॥

काम-सिद्धि प्रदायिनि काम-लिंगे शिव-प्रिये।
काम-रूपे नमस्तुभ्यं काम-पूर्णे नमो नमः॥८॥

|| इति श्री कामख्या अष्टकम् सम्पूर्णम् ||

अर्थ

  1. हे कामाख्या देवी, जो इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं, कामरूप धारण करती हैं, और सुखदायी हैं। आपको, जो कामेश्वरी और सभी कामनाओं की देवी हैं, मेरा प्रणाम है।
  2. हे महादेवि, जो कामरूप हैं और शुभ देने वाली हैं, आपको प्रणाम। हे लक्ष्मी के समान पूज्य, और लिंग रूप की देवी, आपको बार-बार प्रणाम।
  3. हे देवी, जो प्रसिद्धि और मुक्ति प्रदान करती हैं, कामरूपा देवी को मेरा नमन। जो सबकी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं, उन्हें मैं नमन करता हूँ।
  4. हे देवि, जो काम को नष्ट करती हैं और शिव के प्रिय वचन देती हैं, आपको मेरा प्रणाम। हे कामरूपा देवी, आपको नमन।
  5. हे महामाया, जो कामरूप हैं और महेश्वरी के रूप में विराजमान हैं, आपको मेरा प्रणाम। जो कृष्ण के प्रिय रूप में पूज्य हैं, आपको नमन।
  6. हे देवी, जो आनंद प्रदान करती हैं और महेश्वरी हैं, आपको नमन। जो सबको तृप्ति देती हैं, आपको प्रणाम।
  7. हे शिवानना, जो समृद्धि देने वाली और शिव के साथ सुखदायी रूप में स्थापित हैं, आपको प्रणाम। महादेवि, आपको नमस्कार।
  8. हे देवी, जो सिद्धियाँ देती हैं, कामलिंग की प्रिय हैं, और शिव की प्रिय हैं, आपको नमन। जो पूर्णता प्रदान करती हैं, आपको प्रणाम।

कामख्या अष्टकम् के लाभ

  1. सभी इच्छाएं पूरी होती हैं – कामाख्या अष्टकम् का पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  2. धन-वैभव की प्राप्ति – यह स्तोत्र व्यक्ति को धन, वैभव और संपत्ति प्रदान करता है।
  3. सफलता की प्राप्ति – जो व्यक्ति इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है, उसे अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  4. आध्यात्मिक जागृति – कामाख्या अष्टकम् का नियमित पाठ व्यक्ति में आध्यात्मिक जागृति लाता है।
  5. मानसिक शांति और सुख – यह स्तोत्र व्यक्ति के मन को शांति और सुख प्रदान करता है।
  6. विवाह में आ रही समस्याओं का समाधान – अविवाहितों के लिए यह स्तोत्र विवाह में आने वाली समस्याओं का समाधान करता है।
  7. संतान सुख की प्राप्ति – जो महिलाएं संतान सुख चाहती हैं, उनके लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है।
  8. रोगों से मुक्ति – कामख्या अष्टकम् का पाठ करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है।
  9. नकारात्मक ऊर्जा का नाश – यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  10. दुश्मनों से सुरक्षा – कामख्या अष्टकम् का पाठ व्यक्ति को दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  11. जीवन में समृद्धि और उन्नति – यह स्तोत्र व्यक्ति को समृद्धि और उन्नति प्रदान करता है।
  12. भय का नाश – इस स्तोत्र के प्रभाव से साधक के सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  13. आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति – यह स्तोत्र साधक को आध्यात्मिक शक्ति और साहस प्रदान करता है।
  14. कामनाओं की पूर्ति – कामाख्या अष्टकम् का पाठ करने से साधक की कामनाओं की पूर्ति होती है।
  15. परिवार में शांति – यह स्तोत्र परिवार में शांति और प्रेम का संचार करता है।
  16. भाग्य वृद्धि – यह स्तोत्र साधक के भाग्य को उज्जवल करता है और शुभफल प्रदान करता है।
  17. दुर्भाग्य से मुक्ति – यह स्तोत्र साधक के जीवन से दुर्भाग्य को दूर करता है।

कामख्या अष्टकम् पाठ विधि

पाठ विधि – कामख्या अष्टकम् का पाठ सुबह स्नान करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
अवधि – इसका नियमित ४१ दिन तक पाठ करना उत्तम माना गया है।
मुहूर्त – पाठ का सर्वश्रेष्ठ समय ब्रह्म मुहूर्त है, लेकिन इसे दिन के किसी भी समय किया जा सकता है।

कामख्या अष्टकम् नियम और सावधानियाँ

गुप्त साधना – कामख्या अष्टकम् की साधना को गुप्त रखने की सलाह दी जाती है।
निर्मलता बनाए रखें – पाठ के दौरान तन, मन और स्थान की शुद्धता बनाए रखें।
भक्ति और श्रद्धा – यह महत्वपूर्ण है कि इस स्तोत्र का पाठ पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाए।
ध्यान रखें – किसी प्रकार के नकारात्मक विचारों से बचें, क्योंकि यह साधना की शक्ति को कम कर सकते हैं।

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कामख्या अष्टकम् पाठ के दौरान सावधानियाँ

  1. नकारात्मक विचारों से बचें – पाठ करते समय नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखें।
  2. अव्यवस्थित भोजन से परहेज – साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें।
  3. साधना स्थल की शुद्धता – स्थान को शुद्ध रखें और अनावश्यक वस्तुओं को दूर रखें।
  4. अपनी साधना की चर्चा न करें – साधना को गुप्त रखें और किसी से भी इसके बारे में चर्चा न करें।
  5. व्यर्थ की गतिविधियों से बचें – पाठ के समय और उसके आसपास की अवधि में अव्यवस्थित गतिविधियों से बचें।

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कामख्या अष्टकम् पाठ के प्रश्न उत्तर

प्रश्न: क्या कामख्या अष्टकम् से इच्छाएं पूरी हो सकती हैं?
उत्तर: हां, कामख्या अष्टकम् का नियमित पाठ साधक की इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होता है।

प्रश्न: क्या यह स्तोत्र धन-वैभव प्रदान करता है?
उत्तर: हां, इस स्तोत्र का पाठ व्यक्ति को धन, वैभव और संपत्ति प्रदान करता है।

प्रश्न: क्या यह रोगों से मुक्ति दिला सकता है?
उत्तर: हां, यह स्तोत्र व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।

प्रश्न: क्या इसे गुप्त रूप से करना चाहिए?
उत्तर: हां, कामख्या अष्टकम् की साधना को गुप्त रखने की सलाह दी जाती है।

प्रश्न: क्या इसमें कोई विशेष सावधानी की आवश्यकता है?
उत्तर: हां, साधना के दौरान नकारात्मक विचारों से बचने और सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है।

प्रश्न: कितने दिनों तक इसका पाठ करना चाहिए?
उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ ४१ दिन तक करना उत्तम माना गया है।

प्रश्न: क्या इसे किसी भी समय किया जा सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

प्रश्न: क्या यह भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए?
उत्तर: हां, यह जरूरी है कि साधक इसे पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ करें।

प्रश्न: क्या इसमें किसी मंत्र का जाप भी शामिल है?
उत्तर: नहीं, यह स्तोत्र एक संपूर्ण अष्टक है और इसमें अन्य मंत्रों की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न: क्या साधना के दौरान गुप्त रहना जरूरी है?
उत्तर: हां, साधना को गुप्त रखने से इसकी शक्ति बढ़ती है।

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