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Kartevirya Arjuna Mantra – Unlock Lost Success & Prosperity

कार्तवीर्यार्जुन मंत्र: खोई वस्तु और बाधा निवारण का अचूक उपाय

कार्तवीर्यार्जुन मंत्र एक अद्भुत और शक्तिशाली मंत्र है, जो खोई हुई वस्तु, व्यक्ति या इच्छाओं को वापस पाने में सहायक है। इसे “मंत्र महोदधि” में विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। इस मंत्र के नियमित जाप से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, रुके हुए कार्य पुनः प्रारंभ होते हैं और व्यक्ति को आत्मबल मिलता है।

विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
ॐ अस्य श्रीकार्तवीर्यार्जुन मंत्रस्य, दत्तात्रेय: ऋषिः, अनुष्छटुपःछंद, श्रीकार्तवीर्यार्जुन देवता, ॐ: बीज, नमः शक्ति , कार्य सिद्धी हेतु जपे विनियोगः।

अर्थ:
यह मंत्र दत्तात्रेय द्वारा संरक्षित है, इसका छंद अनुष्छटुपः है और देवता कार्तवीर्यार्जुन हैं। इसे इच्छित कार्य सिद्धि के लिए जप किया जाता है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:

  • ॐ नमः पूर्वाय,
  • ॐ नमः दक्षिणाय,
  • ॐ नमः पश्चिमाय,
  • ॐ नमः उत्तराय।
  • ॐ नमः ईशानाय,
  • ॐ नमः अग्न्याय,
  • ॐ नमः नैऋत्याय,
  • ॐ नमः वायव्याय।
  • ॐ नमः ऊर्ध्वाय,
  • ॐ नमः अधराय।

अर्थ:
इस मंत्र द्वारा दसों दिशाओं की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है, जिससे किसी प्रकार की बाधा न आए।

मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
ॐ फ्रों व्रीं क्लीं भूं आं ह्रीं फ्रों श्रीं हुं फट् कार्तवीर्यायजुनाय नमः।

मंत्र का शब्दार्थ और गूढ़ अर्थ

  1. ॐ: ब्रह्मांड की शक्ति और सृष्टि के आदिस्वरूप का प्रतीक। यह ध्यान केंद्रित करने और ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम है।
  2. फ्रों: यह बीज मंत्र अदृश्य शक्तियों को जागृत करता है। यह व्यक्ति को अपनी खोई हुई शक्ति और आत्मविश्वास वापस दिलाने में सहायक है।
  3. व्रीं: लक्ष्मी और समृद्धि का बीज मंत्र। यह धन और ऐश्वर्य को आकर्षित करने में सहायक है।
  4. क्लीं: आकर्षण और सौहार्द्रता का बीज मंत्र। यह रिश्तों में सामंजस्य और प्रेम बनाए रखने के लिए उपयोगी है।
  5. भूं: पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है।
  6. आं: ऊर्जा का संचार करता है और आत्मिक बल को बढ़ाता है।
  7. ह्रीं: देवी शक्ति का बीज मंत्र। यह मंत्र साधक को सकारात्मक ऊर्जा और सफलता प्रदान करता है।
  8. श्रीं: समृद्धि, ऐश्वर्य और सकारात्मकता का प्रतीक।
  9. हुं: शत्रुओं का नाश करने और बाधाओं को दूर करने वाला बीज मंत्र।
  10. फट्: दुष्प्रभाव और नकारात्मक शक्तियों का अंत करने का प्रतीक।
  11. कार्तवीर्यायजुनाय: राजा कार्तवीर्यार्जुन का आह्वान, जो शक्ति, साहस, और विजय के प्रतीक हैं।
  12. नमः: नम्रता और समर्पण का भाव।

संपूर्ण अर्थ:

इस मंत्र में राजा कार्तवीर्यार्जुन का आह्वान किया गया है, जो न्यायप्रिय और शक्तिशाली राजा के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह मंत्र साधक को खोई हुई वस्तु, व्यक्ति, या स्थिति को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है। यह मंत्र आत्मविश्वास, समृद्धि और बाधाओं को दूर कर जीवन को सफल बनाने की शक्ति देता है। मंत्र के प्रत्येक बीज शब्द व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करते हैं।

विशेष: इस मंत्र को “मंत्र महोदधि” में अत्यधिक प्रभावशाली और फलदायी बताया गया है। इसे नियमित रूप से जपने से हर प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है।

कार्तवीर्यार्जुन मंत्र के लाभ

  1. खोई वस्तु वापस पाने के लिए।
  2. खोए व्यक्ति को बुलाने के लिए।
  3. नाराज व्यक्ति को मनाने के लिए।
  4. कर्ज चुकाने में सहायता।
  5. बाधाओं को दूर करने के लिए।
  6. रुके कार्य शुरू करने के लिए।
  7. आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए।
  8. धन-संपत्ति वृद्धि के लिए।
  9. शत्रु नाश के लिए।
  10. पारिवारिक विवाद सुलझाने के लिए।
  11. कोर्ट-कचहरी में सफलता।
  12. मानसिक शांति के लिए।
  13. रोजगार पाने के लिए।
  14. विवाह संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए।
  15. बच्चों की पढ़ाई में सफलता।
  16. व्यापार वृद्धि के लिए।
  17. सामाजिक सम्मान बढ़ाने के लिए।
  18. भौतिक सुख-सुविधाएँ पाने के लिए।

जप काल में इन चीजों का अधिक सेवन करें

  1. ताजे फल और हल्का शाकाहारी भोजन।
  2. गंगाजल या तुलसीयुक्त जल।
  3. मिश्री, शहद, और दूध।
  4. सात्विक आहार, जैसे खिचड़ी।
  5. कुमकुम-तिलक और रुद्राक्ष धारण करें।

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

  1. सामग्री:
    • सफेद वस्त्र, रुद्राक्ष माला।
    • ताजे फूल, दीपक, अगरबत्ती।
    • गाय का घी, नारियल।
  2. मंत्र विधि:
    • शुभ मुहूर्त में पूजन प्रारंभ करें।
    • सफेद आसन पर बैठें।
    • पूजन सामग्री तैयार करें और दीप प्रज्वलित करें।

मंत्र जप का समय, अवधि और विधि

  • दिन: पूर्णिमा या गुरुवार।
  • अवधि: 18 दिन।
  • विधि: प्रतिदिन 20 मिनट।
  • जाप से पहले पवित्र स्नान करें।

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कार्तवीर्यार्जुन मंत्र जप के नियम

  1. उम्र 20 वर्ष से ऊपर हो।
  2. स्त्री और पुरुष कोई भी जप कर सकते हैं।
  3. ब्लू या ब्लैक कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान और मद्यपान से दूर रहें।
  5. मासाहार का सेवन न करें।
  6. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के समय सावधानियां

  1. अपवित्र स्थान पर मंत्र न जपें।
  2. मन शांत रखें।
  3. बीच में जप रोकें नहीं।
  4. अधिक समय तक खाली पेट न रहें।
  5. गलत उच्चारण से बचें।

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कार्तवीर्यार्जुन मंत्र प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या यह मंत्र तुरंत असर करता है?
उत्तर: नियमित जप से असर होता है।

प्रश्न 2: क्या महिलाएँ जप कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएँ भी कर सकती हैं।

प्रश्न 3: किस वस्त्र का उपयोग करें?
उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र।

प्रश्न 4: क्या मांसाहारी जप कर सकते हैं?
उत्तर: जप से पहले मांसाहार छोड़ें।

प्रश्न 5: क्या मंत्र रात्रि में जप सकते हैं?
उत्तर: हां, शांत समय में करें।

प्रश्न 6: मंत्र का सही उच्चारण क्यों जरूरी है?
उत्तर: उच्चारण से ऊर्जा बढ़ती है।

प्रश्न 7: कितने समय तक जप करें?
उत्तर: 20 मिनट 18 दिन तक।

प्रश्न 8: क्या दीपक अनिवार्य है?
उत्तर: हां, यह सकारात्मकता लाता है।

प्रश्न 9: किस आसन पर बैठें?
उत्तर: कुश या सफेद आसन।

प्रश्न 10: क्या मंत्र जाप के बाद नियम जारी रहें?
उत्तर: हां, सात्विकता बनाए रखें।

प्रश्न 11: क्या फल तुरंत प्राप्त होते हैं?
उत्तर: धैर्य और विश्वास आवश्यक हैं।

प्रश्न 12: क्या समूह में जप कर सकते हैं?
उत्तर: व्यक्तिगत रूप से जप करना उत्तम है।

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