कार्तिकेय अष्टकम् पाठ – परिवार की शांती व उन्नति के लिये
कार्तिकेय अष्टकम् भगवान कार्तिकेय की स्तुति में रचित एक अष्टक (आठ श्लोकों का समूह) बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, स्कंद या कुमारस्वामी के नाम से भी जाना जाता है, शिव और पार्वती के पुत्र हैं और युद्ध तथा ज्ञान के देवता माने जाते हैं। कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि मिलती है। यह अष्टक भक्तों को सभी प्रकार के भय और बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
संपूर्ण कार्तिकेय अष्टकम् व उसका अर्थ
श्लोक 1:
गंगा-सुताय गौर्या-स्तनंदयाय,
गङ्गा-धराय सार्ध-पदाम्बुजाय।
शर-स्वरूपाय शरासनाय,
कार्तिकेयाय नमो नमस्ते॥
(अर्थ: हे गंगा-सुत (गंगा के पुत्र), जो गौरी के स्तनों से अमृतपान करते हैं, और गंगा को धारण करने वाले भगवान के चरणों में निवास करते हैं, जो बाण स्वरूप हैं और धनुष धारण करते हैं, उन कार्तिकेय को मेरा बार-बार प्रणाम।)
श्लोक 2:
नारायणेनार्पित-चेतसां,
नराधिपानां निखिलान्यपि।
वाञ्छितानां समृद्धयर्थं,
कार्तिकेयाय नमो नमः॥
(अर्थ: हे कार्तिकेय! जो नारायण द्वारा समर्पित भक्तों और सभी राजाओं की इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए हैं, आपको प्रणाम।)
श्लोक 3:
सिद्धानामवरजाय, सिध्देषु-सेव्याय,
सिद्घाय साध्याय सिध्दान्त-भूते।
सिद्धार्थकामाय सिध्देश्वराय,
कार्तिकेयाय नमो नमः॥
(अर्थ: सिद्धों के अवरज, सिद्धियों के सेवक, सिद्ध, साध्य, सिद्धांत रूप, सिद्ध कामनाओं को पूर्ण करने वाले, हे कार्तिकेय! आपको प्रणाम।)
श्लोक 4:
हेमाद्रि-कन्याकर-पुष्पकाय,
कुमार-संपत्तिरपार-पारम्।
कार्तिकेयाय विमलाय तस्मै,
नमः समस्तेषु च सर्वदास्मै॥
(अर्थ: हिमालय की पुत्री (पार्वती) द्वारा अर्पित पुष्पों को धारण करने वाले, अपार संपत्ति के स्वामी, हे शुद्ध, कार्तिकेय को सदा-सर्वदा नमन।)
श्लोक 5:
स्कन्दाय शक्तिपुत्राय,
ब्रह्मचारी नमोऽस्तु ते।
देवसेनापते भक्तानां,
शम कर युध्दाधिपते॥
(अर्थ: हे स्कंद, शक्ति के पुत्र, ब्रह्मचारी, आपको नमस्कार है। देवताओं के सेनापति, युद्ध के स्वामी, अपने भक्तों को शांति प्रदान करें।)
श्लोक 6:
महादेवाय महात्मने,
नमः शैलध्वजात्मजाय।
उमा-प्रेम-प्रकाशाय,
महासेनाय नमो नमः॥
(अर्थ: हे महादेव, महान आत्मा, शैलध्वज (पार्वती) के पुत्र, उमा के प्रेम के प्रकाश, हे महासेन, आपको नमस्कार है।)
श्लोक 7:
सुश्रीनिकेतनाय,
सुशीघ्रदायक-प्रभु।
रक्त-महामल्ल-धृते,
विजयाय नमो नमः॥
(अर्थ: हे सुंदर निवास वाले, शीघ्रता से फल देने वाले प्रभु, रक्त महाशत्रु के वश में करने वाले, विजयी, आपको प्रणाम।)
श्लोक 8:
जय-जय हे शंभु-तानय,
गणेश-भगिनीसुत।
स्कन्दाय शिवसेनाय,
महासेनाय नमो नमः॥
(अर्थ: हे शंभु के पुत्र, गणेश के भाई, शिवसेना के सेनापति, महासेन, आपको बार-बार प्रणाम।)
श्लोक समाप्त।
कार्तिकेय अष्टकम् के लाभ
- शत्रुनाश: शत्रुओं का नाश और विजय प्राप्त होती है।
- सफलता प्राप्ति: सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: साधना में उन्नति होती है और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है।
- स्वास्थ्य लाभ: रोग और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति: मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
- भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
- पारिवारिक सुख: परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
- आध्यात्मिक जागृति: आत्मिक जागृति और ज्ञान का विकास होता है।
- शक्ति और साहस: शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा: प्राकृतिक आपदाओं और विपदाओं से सुरक्षा मिलती है।
- संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
- दुर्घटनाओं से सुरक्षा: अनहोनी और दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
- ईश्वरीय कृपा: भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिकेय अष्टकम् पाठ विधि
दिन: मंगलवार और शुक्रवार को पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
अवधि: 41 दिनों तक लगातार पाठ करें।
मुहूर्त: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) पाठ के लिए सर्वोत्तम समय है।
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कार्तिकेय अष्टकम् पाठ के नियम
- पूजा का समय: प्रातःकाल या संध्या समय में ही पूजा करें।
- शुद्धता: शुद्ध वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
- साधना को गुप्त रखें: साधना के समय किसी से चर्चा न करें।
- सामग्री: फूल, फल, दीपक, और मिष्ठान्न का अर्पण करें।
- एकाग्रता: ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें, पाठ के समय मन भटकने न दें।
कार्तिकेय अष्टकम् पाठ सावधानियाँ
- वाणी का संयम: पाठ के दौरान अपशब्दों का प्रयोग न करें।
- ध्यान में विघ्न: ध्यान भंग करने वाले कार्यों से बचें।
- सात्त्विक भोजन: तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- पाठ में नियमितता: पाठ को नियमित और पूर्णता के साथ करें।
- धार्मिक आचरण: धर्म और आचार का पालन करें।
Kartikeya sadhana samagri with diksha
कार्तिकेय अष्टकम् पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ क्यों करना चाहिए?
उत्तर: भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए।
प्रश्न 2: कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: मंगलवार और शुक्रवार को करना श्रेष्ठ है।
प्रश्न 3: क्या कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ किसी विशेष समय में करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम है।
प्रश्न 4: कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: 41 दिनों तक लगातार पाठ करें।
प्रश्न 5: कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: शत्रु नाश, सफलता, और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
प्रश्न 6: कार्तिकेय अष्टकम् के पाठ के दौरान कौन सी वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए।
प्रश्न 7: कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ करने के लिए क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तर: वाणी का संयम रखें और ध्यान भंग न होने दें।
प्रश्न 8: क्या कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ करने से संतान प्राप्ति होती है?
उत्तर: हाँ, संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
प्रश्न 9: क्या पाठ के दौरान साधना को गुप्त
रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधना को गुप्त रखना चाहिए।
प्रश्न 10: क्या कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ तामसिक भोजन के साथ करना उचित है?
उत्तर: नहीं, सात्त्विक भोजन का ही सेवन करें।
प्रश्न 11: क्या कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करता है?
उत्तर: हाँ, यह आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 12: क्या पाठ करने के दौरान पूजा स्थल को स्वच्छ रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए।
प्रश्न 13: कार्तिकेय अष्टकम् का पाठ करते समय ध्यान में किस प्रकार की स्थिति रखनी चाहिए?
उत्तर: एकाग्रता और पूर्ण ध्यान बनाए रखें।
यह है कार्तिकेय अष्टकम् का संपूर्ण विवरण, जो भक्तों को भगवान कार्तिकेय की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।