कार्तिकेय चालीसा पाठ – हर क्षेत्र मे विजय
कार्तिकेय चालीसा भगवान कार्तिकेय (जिन्हें मुरुगन या स्कंद भी कहते हैं) की स्तुति में गाए जाने वाला एक धार्मिक पाठ है। भगवान कार्तिकेय शिव और पार्वती के पुत्र हैं और युद्ध के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यह चालीसा भक्ति और श्रद्धा से भरा हुआ है, जो भक्तों को शक्ति, साहस और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करता है।
संपूर्ण कार्तिकेय चालीसा और उसका अर्थ
दोहा:
श्री गणेशाय नमः। जय जय जय कार्तिकेय, शंकर-सुवन कृपाल।
शिवदत्तं सुत तेहि, तात मेटहु सब विकार।।
(अर्थ: गणेश जी को नमन करते हुए कार्तिकेय की जय हो। शिव पुत्र कार्तिकेय, जो शिव द्वारा दिए गए वरदान हैं, हमारे सभी दोषों को मिटा दें।)
श्लोक १ से ८ तक कार्तिकेय चालीसा और उसका अर्थ
जय जय श्री कार्तिकेय स्वामी।
जय शिवसुत, भक्त सुखधामी॥1
(अर्थ: भगवान कार्तिकेय की जय हो, जो शिव के पुत्र और भक्तों के सुखदाता हैं।)
महिमा अपार आपकी गाई।
संतन को शक्ति प्रभु पाई॥2
(अर्थ: आपकी महिमा का कोई अंत नहीं है, प्रभु। संतों ने आपसे शक्ति प्राप्त की है।)
शिव शिवा तनय बालक प्यारे।
कार्तिकेय सुखधाम हमारे॥3
(अर्थ: आप शिव और पार्वती के प्रिय पुत्र हैं, और हमारे सुख के धाम हैं।)
ध्वजा धारण कर दुर्जन मारो।
भक्तों का दुख हरन निवारो॥4
(अर्थ: आप ध्वजा धारण कर दुष्टों का नाश करते हैं और भक्तों के दुखों का हरण करते हैं।)
गजमुख दैत संहारक तुम्ह हो।
तारकासुर विदारक तुम्ह हो॥5
(अर्थ: आप गजमुख नामक दैत्य के संहारक हैं और तारकासुर का भी वध करने वाले हैं।)
मोदक प्रिय, मन भायो भोजन।
कुमुद पाठ प्रिय, भव रंजन॥6
(अर्थ: आप मोदक को प्रिय मानते हैं और कुमुद पुष्प का सेवन पसंद करते हैं, जो संसार को आनंदित करता है।)
सिंह वाहिनी, ध्वजा तुम धारी।
दुष्टों का दल करहो संहारी॥7
(अर्थ: आप सिंह पर सवार हैं और ध्वजा धारण करते हैं, आप दुष्टों का समूह संहारते हैं।)
शिव के सुत तुम, शक्ति के धाम।
जय कार्तिकेय, जय जय नाम॥8
(अर्थ: आप शिव के पुत्र और शक्ति के धाम हैं। कार्तिकेय की जय हो, आपका नाम सदा विजयी हो।)
श्लोक ९ से १८ तक कार्तिकेय चालीसा और उसका अर्थ
सुमुख नंदन, तारक भ्राता।
शिव समान सदा सुजाता॥9
(अर्थ: आप गणेश के भाई और तारक के भाई हैं। आप शिव के समान महान हैं।)
मातु पार्वती तव नाम पुकारे।
पुत्र सखा सबहि उबारें॥10
(अर्थ: माता पार्वती ने आपका नाम पुकारा, और आप सबको उबारने वाले हैं।)
शक्ति रूप हो, विनायक भ्राता।
शिव-शिवा के, कुल के गाता॥11
(अर्थ: आप शक्ति के रूप हैं और गणेश के भाई हैं। आप शिव और पार्वती के कुल के रक्षक हैं।)
पार्वती के पुत्र प्यारे।
तारकासुर विदारक न्यारे॥12
(अर्थ: आप पार्वती के प्यारे पुत्र और तारकासुर का वध करने वाले हैं।)
भक्तों के तुम बिपत्ति हरो।
जय जय जय कार्तिकेय करो॥13
(अर्थ: आप भक्तों की विपत्ति को दूर करते हैं। जय जय जय कार्तिकेय।)
गणपति के प्रिय, तारक नंदन।
शिव शिवा के लाड़ले बंदन॥14
(अर्थ: आप गणपति के प्रिय और तारक के पुत्र हैं। शिव और पार्वती के लाड़ले, आपको वंदन है।)
तारकासुर का संहारक तुम हो।
दुष्टों का दल हारक तुम हो॥15
(अर्थ: आप तारकासुर का संहारक और दुष्टों के दल को हराने वाले हैं।)
करहु कृपा हम पर प्रभु प्यारे।
सकल दुखों को हरनवारे॥16
(अर्थ: हे प्रभु, हम पर कृपा करें और हमारे सभी दुखों को दूर करें।)
जय जय श्री कार्तिकेय भगवान।
सदा सुखधाम, सब दुख निधान॥17
(अर्थ: भगवान कार्तिकेय की जय हो, जो सदैव सुख के धाम हैं और सभी दुखों का नाश करने वाले हैं।)
दोहा:
शरणागत जन नाथ तुहि, सेवक सेवक दास।
करुणा करि रक्षा करो, श्री कार्तिकेय त्रिनाथ।।18
(अर्थ: हे नाथ, जो आपके शरण में आते हैं, आप उनके रक्षक हैं। कृपा कर, हमारे ऊपर करुणा करें, हे श्री कार्तिकेय।)
कार्तिकेय चालीसा के लाभ
- धार्मिक बल: कार्तिकेय चालीसा का नियमित पाठ आत्मविश्वास और धार्मिक बल को बढ़ाता है।
- शत्रु से रक्षा: यह पाठ शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ कम होती हैं।
- मन की शांति: यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- सफलता: कार्यों में सफलता मिलती है।
- साहस और वीरता: साहस और वीरता में वृद्धि होती है।
- पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- भय का नाश: यह भय का नाश करता है।
- बाधाओं का निवारण: जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
- दिव्य आशीर्वाद: भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- भौतिक समृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति में सहयोगी होता है।
कार्तिकेय चालीसा विधि
कार्तिकेय चालीसा का पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना श्रेष्ठ माना जाता है। पाठ के समय सफेद या लाल वस्त्र धारण करें। भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाकर, पुष्प, फल और मिष्ठान्न अर्पित करें।
दिन: मंगलवार और गुरुवार विशेष माने जाते हैं।
अवधि: 41 दिन तक निरंतर पाठ करें।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सर्वोत्तम समय है।
कार्तिकेय चालीसा के नियम
- पूजा का समय: प्रातःकाल या संध्या समय ही पूजा करें।
- शुद्धता: शुद्ध वस्त्र पहनें और स्वच्छता का ध्यान रखें।
- साधना को गुप्त रखें: साधना के समय किसी से चर्चा न करें।
- अर्पण: फल, फूल, दीपक और मिष्ठान्न अर्पित करें।
- मन की शुद्धता: मन में शुद्ध विचार रखें।
कार्तिकेय चालीसा सावधानियाँ
- वाणी संयम: पाठ के समय अपशब्दों का प्रयोग न करें।
- ध्यान भंग: ध्यान भंग करने वाले सभी कार्यों से बचें।
- भोग्य पदार्थ: सात्त्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक पदार्थों से दूर रहें।
- एकाग्रता: पाठ के समय मन को एकाग्र रखें।
- अधूरा पाठ: चालीसा का अधूरा पाठ न करें।
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कार्तिकेय चालीसा पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: कार्तिकेय चालीसा का महत्व क्या है?
उत्तर: यह पाठ भगवान कार्तिकेय की कृपा पाने और सभी संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
प्रश्न 2: कार्तिकेय चालीसा का पाठ किस दिन करना चाहिए?
उत्तर: मंगलवार और गुरुवार को करना श्रेष्ठ है।
प्रश्न 3: कितने दिनों तक चालीसा का पाठ करना चाहिए?
उत्तर: 41 दिनों तक निरंतर पाठ करना चाहिए।
प्रश्न 4: कार्तिकेय चालीसा पाठ के लिए कौन सा समय उत्तम है?
उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) उत्तम समय है।
प्रश्न 5: क्या कार्तिकेय चालीसा पाठ के दौरान पूजा विधि का पालन करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, विधि का पालन करने से फल शीघ्र प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 6: कार्तिकेय चालीसा का पाठ किस प्रकार किया जाना चाहिए?
उत्तर: शुद्ध वस्त्र पहनकर, ध्यान और एकाग्रता के साथ पाठ करें।
प्रश्न 7: क्या कार्तिकेय चालीसा का पाठ करने से भौतिक सुख की प्राप्ति होती है?
उत्तर: हाँ, यह पाठ भौतिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति में सहायक है।
प्रश्न 8: क्या कार्तिकेय चालीसा के पाठ के लिए विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, सात्त्विक आहार का सेवन करें।
प्रश्न 9: क्या चालीसा पाठ के समय साधना को गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधना गुप्त रखनी चाहिए ताकि उसकी ऊर्जा प्रभावित न हो।
प्रश्न 10: क्या कार्तिकेय चालीसा का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?
उत्तर: हाँ, संतान प्राप्ति के लिए यह पाठ लाभकारी है।
प्रश्न 11: कार्तिकेय चालीसा पाठ में वाणी का संयम क्यों आवश्यक है?
उत्तर: वाणी का संयम ऊर्जा को संरक्षित रखता है और ध्यान को भंग नहीं होने देता।
प्रश्न 12: क्या कार्तिकेय चालीसा पाठ के समय ध्यान में विघ्न डालने वाली गतिविधियों से बचना चाहिए?
उत्तर: हाँ, ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने के लिए विघ्न से बचें।
प्रश्न 13: कार्तिकेय चालीसा का अधूरा पाठ करने का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: अधूरा पाठ करने से पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती।