शादी-व्याह व मंगल कार्य मे सफलता दिलाने वाली कात्यायनी चालीसा, देवी कात्यायनी मां दुर्गा का छठा रूप हैं और इन्हें विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन पूजा जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कात्यायनी चालीसा
दोहा:
नमन करों जय कात्यायनी, ममतामयी भवानी। करुणा कृपा सदैव करें, सबकी हो सुखधानी॥
चौपाई:
जय कात्यायनी मां भवानी, शक्ति स्वरूपा जगत नियानी। महिषासुर मर्दिनी माता, करुणामयी हो भक्ति दाता॥
कात्यायनी मां शुचि सवारी, सिंह वाहिनी तेज तुम्हारी। त्रिशूलधारिणी महा माई, रक्तदंतिका तुही सुखदाई॥
दुर्गा का यह छठवां रूप, कात्यायनी मां की अनूप। ऋषि कात्यायन के घर आई, उनके घर में जन्मी पाई॥
महिषासुर के वध के कारण, कात्यायनी बन गई हरण। शत्रु संहारिणी मां भवानी, कात्यायनी जय जगत जनानी॥
त्रिपुरारी की हो प्यारी, कात्यायनी मां सुखकारी। कृष्ण जन्म जब हुआ धराधाम, गोपियों ने किया नाम॥
कात्यायनी व्रत को अपनाया, कृष्ण को पति रूप में पाया। ब्रह्मचारिणी स्वरूप दिखाया, कात्यायनी नाम तब पाया॥
जो भी माता ध्यान लगाए, कात्यायनी सब कष्ट मिटाए। भक्ति भाव से जो गुण गाए, सब संकटों से मुक्त हो जाए॥
दुर्गम कार्य सधावे माता, विघ्न बाधा मिटावे दाता। कात्यायनी की जो शरण में जाए, जीवन में सुख शांति पाए॥
संकट हरती कात्यायनी मां, श्रद्धा से जो करे प्रार्थना। शक्ति स्वरूपा मां सुखकारी, भक्तों की हर विपत्ति हारी॥
मां की महिमा बड़ सुखदाई, हर कष्टों को हरने वाली। कात्यायनी चालीसा जो गाए, सब कष्टों से मुक्ति पाए॥
जय कात्यायनी मां भवानी, ममतामयी करुणा निधान। सिंह वाहिनी मां सुखकारी, भक्तों पर कृपा तुम भारी॥
दोहा:
नमन करों जय कात्यायनी, ममतामयी भवानी। करुणा कृपा सदैव करें, सबकी हो सुखधानी॥
कात्यायनी चालीसा के लाभ
- संतान प्राप्ति: जो महिलाएं संतान सुख से वंचित हैं, उनके लिए कात्यायनी चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- रोग निवारण: देवी कात्यायनी की कृपा से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति: जो भक्त सच्चे मन से देवी का ध्यान करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- विवाह में सफलता: जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा है, उन्हें इस चालीसा का पाठ करने से शीघ्र ही योग्य वर की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस चालीसा के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मिक शांति मिलती है।
- धन की प्राप्ति: आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे भक्तों को देवी की कृपा से धन की प्राप्ति होती है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- शत्रु नाश: इस चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
- परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- विद्या प्राप्ति: विद्यार्थी जो इस चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें विद्या में सफलता मिलती है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: पिछले जन्मों के कर्म दोषों का निवारण होता है।
- धार्मिक स्थिरता: इस चालीसा का नियमित पाठ धार्मिक स्थिरता और श्रद्धा को बढ़ाता है।
- आध्यात्मिक जागरण: आंतरिक जागरण और आध्यात्मिक विकास होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- आकर्षण शक्ति: व्यक्तित्व में आकर्षण और चार्म बढ़ता है।
- आत्मबल: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- भयमुक्ति: भय, डर और आशंकाओं से मुक्ति मिलती है।
- सफलता: हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
- आनंद: जीवन में आनंद और उत्साह बना रहता है।
- धार्मिक अनुभव: देवी कात्यायनी की कृपा से अलौकिक और धार्मिक अनुभव प्राप्त होते हैं।
कात्यायनी चालीसा पाठ विधि
दिन और अवधि:
- नवरात्रि के छठे दिन विशेष रूप से कात्यायनी चालीसा का पाठ किया जाता है।
- किसी भी शुभ मुहूर्त में, विशेष रूप से शुक्रवार के दिन यह पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी इस चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।
मुहूर्त:
- ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) कात्यायनी चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय है।
- संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे के बीच) भी उपयुक्त माना जाता है।
नियम और सावधानियां
- शुद्धता: पाठ से पहले शुद्ध जल से स्नान कर लेना चाहिए।
- स्थान: पाठ के लिए साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
- वस्त्र: साफ और सादे वस्त्र पहनें, विशेष रूप से सफेद या पीले वस्त्र।
- भोग: देवी को फूल, फल, मिठाई और नारियल का भोग अर्पित करें।
- आसन: कंबल या कुश का आसन प्रयोग करें।
- संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले मन में संकल्प लें और देवी का ध्यान करें।
- ध्यान: पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और देवी की छवि का ध्यान करें।
- प्रसाद: पाठ के बाद प्रसाद को सभी में बांटें।
- संकल्प पूर्ति: पाठ के दौरान या बाद में अपनी मनोकामना देवी के समक्ष प्रकट करें।
- भक्ति: पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से पाठ करें।
कात्यायनी चालीसा के FAQ
- कात्यायनी चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?
- कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से संतान सुख, रोग निवारण, मनोकामना पूर्ति, और विवाह में सफलता जैसी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
- कात्यायनी चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
- ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) और संध्या समय (शाम 6 से 8 बजे के बीच) पाठ के लिए उत्तम समय होते हैं।
- क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ केवल नवरात्रि में किया जा सकता है?
- नहीं, कात्यायनी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, विशेष रूप से शुक्रवार के दिन यह अधिक शुभ माना जाता है।
- पाठ के लिए कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
- साफ और सादे वस्त्र, विशेष रूप से सफेद या पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
- क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याएं हल होती हैं?
- हां, देवी कात्यायनी की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और धन की प्राप्ति होती है।
- क्या पाठ के दौरान किसी विशेष स्थान का चयन करना चाहिए?
- हां, साफ और पवित्र स्थान का चयन करें।
- क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है?
- हां, मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है।
- कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से क्या शत्रु नाश होता है?
- हां, इस चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
- क्या कात्यायनी चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है?
- हां, इस चालीसा के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मिक शांति मिलती है।
- क्या इस चालीसा का पाठ करने से संतान सुख प्राप्त होता है?
- हां, संतान सुख से वंचित महिलाओं के लिए यह चालीसा अत्यंत फलदायी होती है।
- क्या इस चालीसा का पाठ करने से विद्या प्राप्ति होती है?
- हां, विद्यार्थी जो इस चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें विद्या में सफलता मिलती है।