Katyayani Kavacham Path for Relationship

Katyayani Kavacham Path for Relationship

कात्यायनी देवी को माँ दुर्गा के छठे रूप के रूप में जाना जाता है। देवी कात्यायनी को शक्ति, टूटे संबंधों को सुधारने वाली और वीरता की देवी माना जाता है, और नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है। इनकी आराधना से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और सभी प्रकार के भय और संकटों का निवारण होता है। कात्यायनी कवचम् का पाठ देवी कात्यायनी की कृपा प्राप्त करने और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

कात्यायनी कवचम् का संपूर्ण पाठ

ॐ अस्य श्रीकात्यायनीकवचस्य विष्णुरृषिः।
अनुष्टुप्छन्दः। श्रीकात्यायनी देवता।
ह्रीं बीजं, ऐं शक्तिः, क्लीं कीलकं।
मम समस्तसिद्धिद्वारा श्रीकात्यायनीप्रीत्यर्थे
जपे विनियोगः।

ध्यानम्‌
वन्दे वाञ्छितकामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्‌।
सिंहारूढ़ां चतुर्भुजां कात्यायनी यशस्विनीम्‌॥

स्वर्णवर्णां महादेवीं नानालंकारभूषिताम्‌।
मणिमुक्तालसन्मुक्तां सिहसंस्थां सुरेश्वरीम्‌॥

हस्ते चक्रं गदां शक्तिं कमण्डलु मणिं तथा।
अभयं वरदां चैव रक्षमालां कमण्डलुम्‌॥

एवं ध्यायेत् सदा देवी शत्रुनाशं करिष्यति।
कात्यायन उवाच:
कवचं तु प्रवक्ष्यामि सुनु कमलानने।

यस्य प्रभावात् दुर्गा तु तुष्टा भवति चण्डिका॥
कण्ठे कुक्षौ तथा पृष्ठे सदा रक्षतु कात्यायनी।
शिरो देशे सदा पातु चण्डिकाकुम्भसम्भवा॥
नेत्रे च कात्यायनीशा, मुखं पातु जगन्मयी।

नासिकां सिंहवाहिनी, कर्णौ चैतन्यदायिनी॥
श्यामाङ्गी पातु मे दन्तान्, हनुमं पातु पर्वती।
वाचं सिद्धेश्वरी पातु, कण्ठं पातु शुभप्रदा॥
स्कन्धौ पातु महादेवी, हृदयं ललिताप्रिया।
नाभिं पातु जगद्धात्री, पार्श्वे पातु महेश्वरी॥
कटिं शुभांगी मम पातु, गुह्यं गुह्येश्वरी तथा।
ऊरू महाबलापातु, जानुनी विन्ध्यवासिनी॥
कवची कवचोपेता सदा रक्षतु माम् देवी॥
पादौ महाशक्ति पातु, सर्वाङ्गं पातु सर्वदा॥
इतिदं कवचं दिव्यं पठेत् त्रिसन्ध्यं य: नर:॥
कात्यायनी महादेवी तस्य तुष्टा प्रजायते॥

मौखिकं न प्रकाशितं, कवचं तु पठेत् सदा।
य: पठेत् सर्वदा भक्त्या, तस्य सिद्धिर्भविष्यति॥
॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रम् ॥

कात्यायनी कवचम् का अर्थ

कात्यायनी कवचम् का अर्थ अत्यंत ही पवित्र और महत्वपूर्ण है। यह कवच देवी कात्यायनी के विभिन्न रूपों और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा का वर्णन करता है। कवच में भक्त को शरीर के हर अंग के लिए देवी से सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है। इसमें वर्णित है कि कैसे कात्यायनी देवी भक्त के शरीर, मन और आत्मा की सुरक्षा करती हैं और उन्हें हर प्रकार के संकट से मुक्त करती हैं। यह कवच भक्त को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ और संरक्षित करता है।

कात्यायनी कवचम् के लाभ

  1. भय से मुक्ति: कात्यायनी कवच का पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।
  2. शत्रुओं से सुरक्षा: यह कवच व्यक्ति को उसके शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. मानसिक शांति: इस कवच के नियमित पाठ से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  4. धन और संपत्ति की वृद्धि: कात्यायनी देवी की कृपा से धन और संपत्ति की वृद्धि होती है।
  5. स्वास्थ्य लाभ: यह कवच शारीरिक रोगों से मुक्ति दिलाता है।
  6. विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण: अविवाहित व्यक्तियों के विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: कात्यायनी कवच का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह कवच व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
  9. परिवार में शांति: परिवार में शांति और सद्भाव बना रहता है।
  10. मनोकामनाओं की पूर्ति: कात्यायनी देवी की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  11. जीवन में सफलता: यह कवच जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।
  12. कठिनाइयों का निवारण: जीवन में आने वाली कठिनाइयों का निवारण होता है।
  13. आत्मबल की वृद्धि: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  14. विपरीत परिस्थितियों से बचाव: यह कवच विपरीत परिस्थितियों से बचाव करता है।
  15. दीर्घायु प्राप्ति: कात्यायनी कवच का नियमित पाठ करने से दीर्घायु प्राप्त होती है।

कात्यायनी कवचम् की विधि

दिन और समय
कात्यायनी कवच का पाठ शुक्ल पक्ष के सोमवार या शुक्रवार से प्रारंभ करना शुभ माना जाता है। इसे सुबह के समय सूर्योदय से पहले या रात के समय चंद्रमा के उदय होने के बाद किया जा सकता है।

अवधि
कात्यायनी कवच का पाठ नियमित रूप से ४१ दिनों तक करना चाहिए। यह साधना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और देवी की कृपा को आकर्षित करती है।

मुहूर्त
कात्यायनी कवच का पाठ करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। अमृत, ब्रह्म, और अभिजित मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है।

कात्यायनी कवचम् के नियम

  1. पूजा: कात्यायनी कवच का पाठ करने से पहले देवी कात्यायनी की पूजा करना आवश्यक है। पूजा में देवी को लाल वस्त्र, सिंदूर, चंदन, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
  2. साधना को गुप्त रखें: साधना को गुप्त रखना चाहिए और किसी को इसके बारे में नहीं बताना चाहिए। इससे साधना का प्रभाव बढ़ता है।
  3. शुद्धता का ध्यान रखें: पाठ करते समय शुद्धता का ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  4. नियमितता: कात्यायनी कवच का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। किसी भी दिन पाठ न छूटे, अन्यथा साधना का प्रभाव कम हो सकता है।
  5. संयम: साधना के दौरान संयमित जीवन व्यतीत करें। सात्विक आहार का सेवन करें और मानसिक शांति बनाए रखें।

कात्यायनी कवचम् में सावधानियाँ

  1. निर्धारित विधि का पालन: कात्यायनी कवच का पाठ करते समय निर्धारित विधि का पालन करना आवश्यक है। विधि का सही से पालन न करने पर साधना का प्रभाव कम हो सकता है।
  2. पूजा स्थान की शुद्धि: पूजा स्थान की शुद्धि का ध्यान रखें। वहां पर कोई अशुद्ध वस्तु नहीं होनी चाहिए।
  3. आसन का चयन: पाठ करते समय एक ही स्थान पर बैठकर पाठ करें। हो सके तो ऊनी आसन का उपयोग करें।
  4. भोग का ध्यान: देवी को अर्पित किए गए भोग का ध्यान रखें। भोग की वस्तुओं में शुद्धता होनी चाहिए।
  5. ध्यान में एकाग्रता: कात्यायनी कवच का पाठ करते समय ध्यान में एकाग्रता बनाए रखें। मन को विचलित न होने दें।

कात्यायनी कवचम्: प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: कात्यायनी कवचम् का पाठ किस देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है?
उत्तर: कात्यायनी देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए कात्यायनी कवचम् का पाठ किया जाता है।

प्रश्न 2: कात्यायनी कवचम् का पाठ कितने दिनों तक किया जाता है?
उत्तर: कात्यायनी कवचम् का पाठ ४१ दिनों तक नियमित रूप से किया जाता है।

प्रश्न 3: कात्यायनी कवचम् का पाठ किस समय करना चाहिए?
उत्तर: यह पाठ सूर्योदय से पहले या चंद्रमा के उदय होने के बाद करना चाहिए।

प्रश्न 4: कात्यायनी कवचम् का प्रमुख लाभ क्या है?
उत्तर: इसका प्रमुख लाभ भय और शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त करना है।

प्रश्न 5: कात्यायनी कवचम् का पाठ करने से किस प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है?
उत्तर: विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।

प्रश्न 6: कात्यायनी कवचम् के पाठ के लिए कौन सा मुहूर्त सबसे शुभ है?
उत्तर: अमृत, ब्रह्म, और अभिजित मुहूर्त सबसे शुभ माने जाते हैं।

प्रश्न 7: कात्यायनी कवचम् का पाठ करते समय किस प्रकार की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शुद्ध स्थान पर बैठकर पाठ करें।

प्रश्न 8: साधना के दौरान किस प्रकार का आहार ग्रहण करना चाहिए?
उत्तर: साधना के दौरान सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 9: कात्यायनी कवचम् का पाठ करने से कौन सी ऊर्जा प्राप्त होती है?
उत्तर: सकारात्मक ऊर्जा और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

प्रश्न 10: कात्यायनी कवचम् का पाठ किस प्रकार की परिस्थितियों में सहायक होता है?
उत्तर: विपरीत परिस्थितियों और जीवन की कठिनाइयों में सहायक होता है।

प्रश्न 11: क्या कात्यायनी कवचम् का पाठ किसी को बताना चाहिए?
उत्तर: नहीं, साधना को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 12: कात्यायनी कवचम् का पाठ करने से जीवन में किस प्रकार की उन्नति होती है?
उत्तर: आध्यात्मिक उन्नति और सफलता प्राप्त होती है।

प्रश्न 13: कात्यायनी कवचम् का पाठ करने से क्या धन और संपत्ति की वृद्धि होती है?
उत्तर: हाँ, देवी की कृपा से धन और संपत्ति की वृद्धि होती है।

प्रश्न 14: कात्यायनी कवचम् का पाठ करने से किस प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है?
उत्तर: सभी प्रकार के संकटों और भय से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न 15: क्या कात्यायनी कवचम् का पाठ करते समय कोई विशेष आसन का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, ऊनी आसन का उपयोग करना श्रेष्ठ माना गया है।