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Lakshmi Chinatamani Mantra – To Attract Money

लक्ष्मी चिंतामणी मंत्र: आर्थिक मजबूती प्रदान करने वाला

लक्ष्मी चिंतामणी मंत्र आर्थिक तंगी और चिंता दूर करने का अद्भुत उपाय है। यह मंत्र सुख-समृद्धि और धन प्राप्ति का द्वार खोलता है। इसका नियमित जाप मन को शांति और जीवन में स्थिरता प्रदान करता है।

विनियोग मंत्र

“ॐ अस्य श्रीमद् लक्ष्मी चिंतामणि महा मंत्रस्य। वामन ऋषिः। गायत्री छन्दः। श्री लक्ष्मी चिंतामणि देवता। लक्ष्मी प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।”

यह मंत्र लक्ष्मी जी को समर्पित है। इसे जाप करते समय पूर्ण विश्वास और श्रद्धा रखें।

दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र: ‌“ॐ ह्रीं फट”

अर्थ: यह मंत्र चारों दिशाओं में सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा का आवाहन करता है। जाप से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।

मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

यह मंत्र “ॐ ऐं श्रीं चितामणी लक्ष्मेय सुख समृद्धिं देही देही क्लीं स्वाहा” विशेष रूप से समृद्धि, सुख और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंत्र का अर्थ निम्नलिखित है:

  1. – यह वैदिक मन्त्रों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। यह ब्रह्मांड के सर्वव्यापी शक्ति का संकेत है।
  2. ऐं – यह बीज मंत्र देवी शक्ति का प्रतीक है। यह मंत्र शक्ति, ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है। इसे देवी सरस्वती से संबंधित माना जाता है।
  3. श्रीं – यह लक्ष्मी का बीज मंत्र है। ‘श्रीं’ से लक्ष्मी, समृद्धि, सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  4. चितामणी – इसका अर्थ है ‘सिद्ध रत्न’ या ‘आध्यात्मिक रत्न’ जो व्यक्ति की इच्छाओं को पूरा करने की क्षमता रखता है।
  5. लक्ष्मेय – लक्ष्मी के प्रति संबोधन। लक्ष्मी देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं जो धन, सुख, ऐश्वर्य, और समृद्धि की देवी हैं।
  6. सुख समृद्धिं देही देही – इसका अर्थ है कि “मुझे सुख और समृद्धि प्रदान करें”। यह प्रार्थना है जिससे व्यक्ति देवी लक्ष्मी से समृद्धि और सुख की प्राप्ति चाहता है।
  7. क्लीं – यह बीज मंत्र है जो आकर्षण, समृद्धि और शक्तिशाली इच्छा को दर्शाता है। इसे तंत्र मंत्रों में शक्ति और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है।
  8. स्वाहा – यह शब्द किसी भी तंत्रिक क्रिया के अंत में प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है ‘मैं इसे अर्पित करता हूँ’ या ‘समर्पण’।

संपूर्ण अर्थ:

“ॐ ऐं श्रीं चितामणी लक्ष्मेय सुख समृद्धिं देही देही क्लीं स्वाहा” का संपूर्ण अर्थ है: “हे देवी लक्ष्मी, आप मुझे चितामणी रत्न की तरह सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य से भर दे। मैं आपकी कृपा से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति चाहता हूँ। क्लीं मंत्र द्वारा आपकी शक्ति को आकर्षित करते हुए, मैं अपना आभार अर्पित करता हूँ।”

यह मंत्र लक्ष्मी की कृपा और उनके आशीर्वाद को आकर्षित करने के लिए प्रार्थना है, और इसे तंत्र साधनाओं में विशेष महत्व प्राप्त है।

जप के दौरान इन चीजों का सेवन अधिक करें

  1. पानी – जप के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए ताजे पानी का सेवन करें। जल से मन शांत और स्वच्छ रहता है।
  2. फल और सूखे मेवे – हल्का, पचने में आसान आहार जैसे फल (जैसे केले, सेब, अनार) और सूखे मेवे (जैसे बादाम, अखरोट, किशमिश) जप के दौरान उपयुक्त होते हैं। ये शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाते हैं।
  3. दूध और घी – विशेष रूप से प्राचीन परंपराओं में जप के दौरान शुद्धता को बनाए रखने के लिए घी और दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है। घी विशेष रूप से तंत्र और मंत्र साधना में महत्वपूर्ण माना जाता है।
  4. सादा और हल्का भोजन – जप के दौरान हल्का और शाकाहारी भोजन करें। तैलीय या भारी भोजन से बचें, क्योंकि यह शरीर और मन को सुस्त बना सकता है और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पैदा कर सकता है। चावल, दाल, और हरी सब्जियाँ अच्छे विकल्प होते हैं।
  5. ताजे और शुद्ध खाद्य पदार्थ – पैकेज्ड या प्रोसेस्ड फूड से बचें और ताजे, शुद्ध और संतुलित आहार पर ध्यान दें।
  6. शहद और तुलसी – शहद और तुलसी का सेवन मानसिक शांति और शुद्धता को बढ़ाता है। तुलसी के पत्ते विशेष रूप से आध्यात्मिक कार्यों में उपयोगी माने जाते हैं।
  7. चाय और हर्बल टी – अगर आपको चाय पीने की आदत है, तो हर्बल चाय (जैसे तुलसी चाय या अदरक चाय) का सेवन कर सकते हैं, जो शरीर को आराम देने वाली और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने वाली होती है।

सावधानियाँ:

मांसाहारी भोजन और अल्कोहल का सेवन जप के दौरान नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये शारीरिक और मानसिक शांति में विघ्न डाल सकते हैं।

तेल या मसालेदार खाद्य पदार्थ भी जप और साधना के दौरान कम से कम करना चाहिए, क्योंकि ये शरीर को भारी बना सकते हैं और मन को विक्षिप्त कर सकते हैं।

इन सुझावों का पालन करने से न केवल आपका शरीर स्वस्थ रहेगा, बल्कि मानसिक स्थिति भी स्थिर और संतुलित रहेगी, जो मंत्र जप में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।

    लक्ष्मी चिंतामणी मंत्र के लाभ

    1. आर्थिक समस्याओं का समाधान।
    2. मानसिक शांति।
    3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
    4. परिवार में सुख-शांति।
    5. रोजगार में सफलता।
    6. व्यापार में वृद्धि।
    7. कर्ज मुक्ति।
    8. अच्छे अवसरों की प्राप्ति।
    9. आत्मविश्वास में वृद्धि।
    10. स्वास्थ्य में सुधार।
    11. रिश्तों में मधुरता।
    12. धन संचय।
    13. जीवन में स्थिरता।
    14. बाधाओं का निवारण।
    15. देवी लक्ष्मी की कृपा।
    16. घर में खुशहाली।
    17. आध्यात्मिक विकास।
    18. संपन्नता का अनुभव।

    पूजा सामग्री और मंत्र विधि

    • सामग्री: कुंकुम, हल्दी की स्याही, कनेल की लकड़ी, कागज, घी का दीपक।
    • विधि:
      1. कुंकुम और हल्दी से मंत्र कागज पर लिखें।
      2. इसे अपने सामने रखें।
      3. घी का दीपक जलाएं।
      4. 20 मिनट रोज 11 दिनों तक जाप करें।
      5. जाप के बाद यंत्र को लैमिनेट कर पूजाघर में रखें।

    दिन, अवधि, मुहूर्त

    • दिन: शुक्रवार प्रारंभ करें।
    • अवधि: लगातार 11 दिन।
    • मुहूर्त: प्रातःकाल या संध्याकाल।

    मंत्र जप के नियम

    1. उम्र 20 वर्ष से अधिक हो।
    2. स्त्री-पुरुष कोई भी जाप कर सकते हैं।
    3. नीले और काले कपड़े न पहनें।
    4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार न करें।
    5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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    मंत्र जप के दौरान सावधानियां

    1. अशुद्ध स्थान पर जाप न करें।
    2. मन में किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार न आने दें।
    3. जाप के दौरान भक्ति और विश्वास रखें।

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    लक्ष्मी चिंतामणी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

    प्रश्न 1: लक्ष्मी चिंतामणी मंत्र कब शुरू करें?

    उत्तर: शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करें।

    प्रश्न 2: मंत्र जाप के लिए कौन-सी सामग्री चाहिए?

    उत्तर: कुंकुम, हल्दी की स्याही, कनेल की लकड़ी, घी का दीपक।

    प्रश्न 3: क्या मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं?

    उत्तर: 20 वर्ष से ऊपर के स्त्री-पुरुष कर सकते हैं।

    प्रश्न 4: क्या मांसाहार का सेवन कर सकते हैं?

    उत्तर: मंत्र जाप के दौरान मांसाहार वर्जित है।

    प्रश्न 5: मंत्र का जाप कितनी बार करें?

    उत्तर: रोज 20 मिनट तक 11 दिनों तक करें।

    प्रश्न 6: क्या ब्लैक कपड़े पहन सकते हैं?

    उत्तर: ब्लैक या ब्लू कपड़े पहनना मना है।

    प्रश्न 7: क्या जाप के बाद यंत्र को पानी मे विसर्जित करना चाहिए?

    उत्तर: यंत्र को पूजाघर में स्थापित करें।

    प्रश्न 8: मंत्र जाप से कितने दिन में लाभ होता है?

    उत्तर: नियमित 11 दिन के जाप से लाभ दिखने लगता है।

    प्रश्न 9: क्या मंत्र जाप रात्रि में कर सकते हैं?

    उत्तर: प्रातःकाल या संध्याकाल बेहतर समय है।

    प्रश्न 10: क्या जाप के दौरान यात्रा कर सकते हैं?

    उत्तर: स्थिर स्थान पर जाप करें। यात्रा के दौरान न करें।

    प्रश्न 11: मंत्र जाप में कौन सी भावना रखें?

    उत्तर: श्रद्धा, विश्वास और समर्पण।

    प्रश्न 12: क्या जाप के बाद जीवन में स्थिरता आती है?

    उत्तर: हां, यह मंत्र स्थिरता और समृद्धि प्रदान करता है।

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