लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम्: संकटों से मुक्ति और समृद्धि का दिव्य मार्ग
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् भगवान विष्णु के उग्र अवतार नरसिंह और देवी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करने वाली एक शक्तिशाली स्तुति है। यह स्तोत्र न केवल संकटों से मुक्ति दिलाता है बल्कि जीवन में समृद्धि, शांति और सुरक्षा भी प्रदान करता है। भक्तजनों का विश्वास है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
संपूर्ण लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् और उसका अर्थ
यहां लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् के श्लोक और प्रत्येक का हिंदी में अर्थ प्रस्तुत है। यह स्तोत्र भगवान लक्ष्मी नरसिंह की महिमा और उनकी कृपा की प्रार्थना के लिए है, जो भक्तों को संकटों से बचाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
संपूर्ण लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम्
ॐ श्रीं क्लीं लक्ष्मीनृसिंहाय नमः
लक्ष्मी नृसिंह करुणारस पारायणं
भूमौ क्षणं रुचिर कुचोद्वय धारिणं च
नीलाम्बरं प्रतनु नील भुजद्वयान्तं
वन्दे नरसिंह युगलं लक्ष्मीपतिं च॥ १॥
भक्तजन पालन दक्षं काष्ठ दुःखहरं महत्तम्
सर्व कल्याण विधातृं सर्व विघ्न निवारणं च॥ २॥
पद्माननं पद्मनाभं पद्मपत्रायतेक्षणम्
पद्मलक्षणा सहस्त्रांशुं पद्महस्तं नमाम्यहम्॥ ३॥
नृसिंहवपुषं दैत्यविनाशनं सदा सदा
लक्ष्मीपतिं लक्ष्मीनाथं लक्ष्मीप्रसन्नं नमाम्यहम्॥ ४॥
योगीश्वरेन्द्र सेवितपदं, भूमिपालांघ्रिसन्नद्धं
सर्वदेव वन्दितमखिलं लक्ष्मीनृसिंहं नमाम्यहम्॥ ५॥
श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह प्रभु
हे लक्ष्मीपति हे लक्ष्मीपति हे श्री नृसिंह प्रभु॥ ६॥
नारायणं नमस्कृत्यं नरं चैव नरार्द्धिनम्
लक्ष्मीपति नरसिंहायं, देवाय परमात्मने॥ ७॥
श्री नृसिंहाय नमो नित्यं नमस्ते नरकेश्वर
भक्तानां नृसिंहाय सर्वसौख्यप्रदायिने॥ ८॥
लक्ष्मीनृसिंह कृपापात्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम्
सर्वान्तर्यामी देवाय सर्वविघ्ननिवारकं॥ ९॥
सर्वशक्तिप्रदातारं सर्वभुक्तिप्रदायकम्
सर्वसंपत्करं लक्ष्मीनृसिंहं प्रणमाम्यहम्॥ १०॥
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् का संपूर्ण अर्थ
अर्थ: लक्ष्मीपति भगवान नरसिंह, जो करुणा के सागर हैं और जिनके सानिध्य में भक्त को शांति मिलती है, उन्हें मैं वंदन करता हूँ। वह नील वस्त्र धारण किए हुए और सुंदर रूप में प्रकट होते हैं।
अर्थ: भगवान नरसिंह अपने भक्तों का पालन करने में कुशल हैं और उनके सभी दुखों को हर लेते हैं। वह हर प्रकार की भलाई के दाता हैं और समस्त विघ्नों को दूर करने वाले हैं।
अर्थ: मैं उन भगवान नरसिंह को प्रणाम करता हूँ जिनका मुख, नाभि, और नेत्र कमल के समान हैं और जो कमल के हजारों किरणों के समान तेजस्वी हैं। वह कमल के समान हाथों से आशीर्वाद देते हैं।
अर्थ: मैं उन भगवान नरसिंह को प्रणाम करता हूँ जिनका स्वरूप सिंह जैसा है, जो दैत्यों का विनाश करते हैं, लक्ष्मीपति हैं और सदैव प्रसन्न रहते हैं।
अर्थ: मैं उन भगवान नरसिंह को प्रणाम करता हूँ, जिनकी सेवा योगीश्वर और राजा करते हैं। वह पृथ्वी के रक्षक हैं और सभी देवताओं द्वारा वंदित हैं।
अर्थ: हे लक्ष्मीपति भगवान नरसिंह, आपकी जय हो, आप महान हैं। मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूँ।
अर्थ: मैं नारायण भगवान नरसिंह को, जो नर का अर्ध भाग धारण करते हैं, उन्हें प्रणाम करता हूँ। वह परमात्मा हैं और लक्ष्मीपति हैं।
अर्थ: हे नरकेश्वर भगवान नरसिंह, मैं आपको नित्य प्रणाम करता हूँ। आप अपने भक्तों को हर प्रकार का सुख देने वाले हैं।
अर्थ: भगवान लक्ष्मी नरसिंह, जो करुणा के स्रोत और समस्त सिद्धियों के दाता हैं, सभी बाधाओं को दूर करने वाले और समस्त के भीतर के ज्ञाता हैं।
अर्थ: मैं भगवान लक्ष्मी नरसिंह को प्रणाम करता हूँ, जो सभी शक्तियों और भोगों के दाता हैं, और सभी प्रकार की संपत्ति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् के लाभ
- संकटों से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से हर प्रकार के संकटों से रक्षा होती है।
- धन, संपत्ति और समृद्धि: देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन और संपत्ति में वृद्धि होती है।
- शत्रुओं पर विजय: जो भक्त लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्र का पाठ करते हैं, उन्हें शत्रुओं पर विजय मिलती है।
- भय से मुक्ति: भगवान नरसिंह भय से मुक्ति दिलाते हैं और साहस प्रदान करते हैं।
- आध्यात्मिक शांति: मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- दुष्ट आत्माओं से रक्षा: दुष्ट आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- रोगों से मुक्ति: शारीरिक और मानसिक रोगों से छुटकारा मिलता है।
- शुद्धता का अनुभव: इस स्तोत्र के पाठ से हृदय और आत्मा की शुद्धि होती है।
- ईश्वर की कृपा प्राप्ति: भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- सुख-शांति का वास: घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
- रिश्तों में मिठास: पारिवारिक रिश्तों में प्रेम और मिठास बनी रहती है।
- विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं।
- कर्ज से मुक्ति: आर्थिक संकटों से छुटकारा मिलता है।
- पुण्य कर्मों में वृद्धि: यह स्तोत्र पुण्य कर्मों को बढ़ाता है।
- नकारात्मक विचारों का अंत: नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
- गुप्त शत्रुओं से रक्षा होती है।
- मृत्यु के भय का अंत: इस स्तोत्र का पाठ मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् पाठ विधि
दिन
इस स्तोत्र का पाठ मंगलवार या गुरुवार को प्रारंभ करना शुभ माना जाता है।
अवधि
इस स्तोत्र का पाठ लगातार 41 दिनों तक करना चाहिए। रोज़ पाठ करने से शीघ्र फल प्राप्त होते हैं।
मुहूर्त
सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4:00 AM से 6:00 AM) या शाम के समय संध्या मुहूर्त (6:00 PM से 8:00 PM) में पाठ करना शुभ माना गया है।
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् के नियम
- पूजा की शुद्धता: पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।
- गुप्त साधना: इस साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए। इसका प्रचार-प्रसार नहीं करना चाहिए।
- सामग्री का उपयोग: देवी लक्ष्मी और भगवान नरसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- मन की एकाग्रता: पाठ करते समय मन को स्थिर और एकाग्र रखना चाहिए।
- भक्ति भाव से पाठ करें: स्तोत्र का पाठ अत्यंत श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।
know more about mahalakshmi pujan
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् के पाठ में सावधानियां
- नकारात्मक विचारों से बचें: पाठ करते समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या भय मन में नहीं लाना चाहिए।
- साधना में विघ्न न आने दें: पाठ के दौरान कोई विघ्न न आए, इसके लिए शांत और एकांत स्थान का चयन करें।
- शुद्ध आचरण बनाए रखें: पाठ के समय और उसके बाद शुद्ध आचरण और विचार बनाए रखें।
- भोजन पर ध्यान दें: साधना के दौरान सात्विक और शुद्ध भोजन ग्रहण करें।
- व्यसन से बचें: किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- व्रत का पालन करें: स्तोत्र के पाठ के दौरान व्रत का पालन करना अत्यंत लाभकारी होता है।
लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् पाठ: प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1: लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् का क्या महत्व है?
उत्तर: लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यह स्तोत्र संकटों से मुक्ति दिलाता है और समृद्धि की प्राप्ति कराता है।
प्रश्न 2: लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ कैसे करना चाहिए?
उत्तर: इस स्तोत्र का पाठ शांत और पवित्र स्थान पर, ब्रह्म मुहूर्त या संध्या मुहूर्त में करना चाहिए। पूजा की सामग्री में घी का दीपक और शुद्ध फूल शामिल होने चाहिए।
प्रश्न 3: स्तोत्र के पाठ के कितने दिनों बाद परिणाम प्राप्त होते हैं?
उत्तर: नियमित रूप से 41 दिनों तक पाठ करने पर इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। श्रद्धा और विश्वास से पाठ करने पर शीघ्र ही फल प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 4: इस स्तोत्र के पाठ से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
उत्तर: लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्र के पाठ से शत्रुओं पर विजय, आर्थिक संकटों से मुक्ति, रोगों का नाश, और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 5: क्या लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्रम् का पाठ अकेले करना चाहिए?
उत्तर: हाँ, यह साधना व्यक्तिगत होती है और इसे गुप्त रखना आवश्यक होता है। साधना को अधिकतर एकांत में किया जाना चाहिए।
प्रश्न 6: क्या इस स्तोत्र के पाठ के लिए कोई विशेष सामग्री चाहिए?
उत्तर: इस स्तोत्र के पाठ के लिए शुद्ध घी का दीपक, देवी लक्ष्मी और भगवान नरसिंह का चित्र या मूर्ति, और शुद्ध फूलों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7: क्या इस स्तोत्र का पाठ विशेष अवसरों पर किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, संकटों के समय या विशेष अवसरों जैसे विवाह, धन की प्राप्ति या शत्रुओं से मुक्ति के लिए इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से प्रभावी होता है।
प्रश्न 8: क्या इस स्तोत्र के पाठ के दौरान कोई व्रत रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, व्रत का पालन करना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे साधना की शक्ति बढ़ती है और शीघ्र फल प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 9: क्या स्तोत्र का पाठ किसी विशेष देवता की मूर्ति के सामने करना चाहिए?
उत्तर: लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्र का पाठ भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने करना चाहिए।
प्रश्न 10: क्या स्तोत्र के पाठ के बाद किसी प्रकार की आहुति देनी चाहिए?
उत्तर: पाठ के बाद शुद्ध घी से दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए। अगर संभव हो तो हवन भी किया जा सकता है।
प्रश्न 11: क्या स्तोत्र के पाठ में किसी प्रकार का ध्यान आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, पाठ के दौरान भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उनकी कृपा की प्रार्थना करनी चाहिए।
प्रश्न 12: इस स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: नियमित रूप से 41 दिनों तक प्रतिदिन एक बार इस स्तोत्र का पाठ करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।