Buy now

spot_img
spot_img

Lalita Devi Kavacham for Strong Wealth & Prosperity

ललिता देवी कवचम्: पारिवारिक शांती के साथ आर्थिक तरक्की

सुख समृद्धि प्रदान करने वाली ललिता देवी कवचम् हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्तोत्र है, जो माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी की आराधना के लिए समर्पित है। यह कवच मात श्री ललिता देवी के अनुग्रह और सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है।

माँ ललिता देवी को त्रिपुरसुंदरी के नाम से भी जाना जाता है, जो ब्रह्मांड की देवी मानी जाती हैं। इनकी उपासना के माध्यम से साधक को शांति, समृद्धि, और मुक्ति प्राप्त होती है। कवच की स्तुति के द्वारा साधक अपने चारों ओर एक दिव्य सुरक्षा कवच की स्थापना करता है, जिससे उसे जीवन की विपत्तियों, बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।

संपूर्ण पाठ और उसका अर्थ

ललिता देवी कवचम् के श्लोक संस्कृत में होते हैं, जिनका अर्थ हर एक श्लोक के साथ समझना आवश्यक है।

श्लोक 1: विनियोग

अस्य श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी कवचस्तोत्रस्य।
विनायक ऋषिः।
अनुष्टुप् छन्दः।
श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी देवता।
लं बीजम्।
श्रीं शक्तिः।
सौः कीलकम्।
मम श्रीललिता त्रिपुरसुंदरीप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः।।

विनियोग अर्थ:

इस स्तोत्र का ऋषि विनायक है, छंद अनुष्टुप है, देवता श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी हैं। लं बीज है, श्रीं शक्ति है और सौः कीलक है। इस स्तोत्र का जप श्रीललिता त्रिपुरसुंदरी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

कवचम्

श्लोक 2:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ललितायै नमः।

अर्थ:
यह मंत्र माँ ललिता देवी की स्तुति का प्रतीक है, जिसमें “ऐं”, “ह्रीं”, “श्रीं” बीज मंत्र हैं, जो देवी की तीन शक्तियों (सरस्वती, भुवनेश्वरी, लक्ष्मी) का प्रतिनिधित्व करते हैं।

श्लोक 3:

ओमकारः पातु शीर्षो मे ललिता पातु लोचनम्।
त्रिपुरा रक्षतु कर्णौ नासिकां पातु सुंदरी।।

अर्थ:
ओंकार मेरे सिर की रक्षा करें, ललिता मेरी आँखों की रक्षा करें। त्रिपुरा मेरे कानों की रक्षा करें और सुंदरी मेरी नासिका की रक्षा करें।

श्लोक 4:

मुखं पातु महादेवी, जिव्हां पातु महेश्वरी।
कण्ठं पातु महालक्ष्मीः, भुजौ मे श्रीसरस्वती।।

अर्थ:
महादेवी मेरे मुख की रक्षा करें, महेश्वरी मेरी जीभ की रक्षा करें। महालक्ष्मी मेरे कंठ की रक्षा करें और श्रीसरस्वती मेरी भुजाओं की रक्षा करें।

श्लोक 5:

हृदयं पातु परमेश्वरी, नाभिं पातु च कामिनी।
कटिं पातु चंद्रकला, जघनं सिंधुकन्यका।।

अर्थ:
परमेश्वरी मेरे हृदय की रक्षा करें, कामिनी मेरी नाभि की रक्षा करें। चंद्रकला मेरी कटि की रक्षा करें और सिंधुकन्या मेरे जघन की रक्षा करें।

श्लोक 6:

ऊरु पातु महादेवी, जानुनी जगदंबिका।
गुल्फौ पातु जगद्धात्री, पादौ मे सर्वमंगला।।

अर्थ:
महादेवी मेरी जांघों की रक्षा करें, जगदंबिका मेरे घुटनों की रक्षा करें। जगद्धात्री मेरे टखनों की रक्षा करें और सर्वमंगला मेरे पांवों की रक्षा करें।

श्लोक 7:

प्रत्यंगं पातु वैदेही सर्वांगं पातु सर्वदा।
अनेन कवचेनैव यत्र तत्र रणे रणे।।

अर्थ:
वैदेही मेरी सभी अंगों की हमेशा रक्षा करें। इस कवच से मेरी हर जगह और हर युद्ध में रक्षा हो।

श्लोक 8:

शत्रवो नाशमायान्ति सर्वत्र विजयिंय भवेत्।
यः पठेत् सततं भक्त्या स ललितामनोहरः।।

अर्थ:
जो व्यक्ति इस कवच का भक्तिपूर्वक पाठ करता है, उसके सभी शत्रु नष्ट हो जाते हैं और वह हर जगह विजयी होता है। वह ललिता देवी का प्रिय बन जाता है।

लाभ

ललिता देवी कवचम् का नियमित पाठ करने से साधक को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

  1. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है, जिससे वह जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझ पाता है।
  2. मन की शांति: मानसिक तनाव और अशांति से मुक्ति मिलती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: साधक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  4. असाध्य रोगों से मुक्ति: यह कवच असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
  5. शत्रुओं से सुरक्षा: शत्रुओं और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
  6. धन की वृद्धि: धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  7. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
  8. कार्यसिद्धि: सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  9. संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए यह कवच बहुत फलदायी है।
  10. दुष्टात्माओं से रक्षा: दुष्टात्माओं और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
  11. मुक्ति प्राप्ति: यह कवच मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  12. आत्मविश्वास में वृद्धि: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  13. भयमुक्त जीवन: जीवन में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता।
  14. शरीर में बल और ऊर्जा: शरीर में बल और ऊर्जा का संचार होता है।
  15. संतोष की भावना: जीवन में संतोष और तृप्ति का अनुभव होता है।
  16. ज्ञान की प्राप्ति: साधक को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  17. समृद्धि का वास: घर में समृद्धि और संपन्नता का वास होता है।
  18. कर्मबंधन से मुक्ति: कर्मबंधन से मुक्ति मिलती है।
  19. जीवन में सकारात्मक बदलाव: जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
  20. कठिन परिस्थितियों में सहायता: कठिन परिस्थितियों में माँ ललिता देवी का अनुग्रह प्राप्त होता है।

विधि

ललिता देवी कवचम् का पाठ करते समय निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:

  1. शुभ समय का चयन: कवच का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय करना शुभ माना जाता है। विशेषकर शुक्रवार का दिन माँ ललिता देवी की उपासना के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है।
  2. शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान कर के शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  3. माँ ललिता देवी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें: माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर, पुष्प अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप: ललिता देवी कवचम् का पाठ करने से पहले “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ललितायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  5. कवच का पाठ: उसके बाद ललिता देवी कवचम् का पाठ करें।
  6. आरती और प्रसाद: पाठ के बाद माँ की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

ललिता देवी कवचम् के नियम और सावधानियाँ

किसी भी मंत्र या स्तोत्र के पाठ में नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है। यह सुनिश्चित करता है कि साधक को मंत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

नियम

  1. नियमितता: कवच का पाठ नियमित रूप से करें। इसे सप्ताह में एक बार करने की बजाय, दैनिक रूप से करना अधिक फलदायी होता है।
  2. भक्ति भाव: पाठ करते समय मन में पूरी श्रद्धा और भक्ति होनी चाहिए।
  3. सात्विक आहार: सात्विक और शुद्ध आहार का पालन करें।
  4. सात्विक जीवन शैली: सात्विक जीवन शैली अपनाएं, जिसमें कोई भी हिंसात्मक या अनैतिक कार्य न हो।
  5. समय का चयन: एक ही समय पर रोज पाठ करें।

Kamakhya sadhana shivir

सावधानियाँ

  1. नकारात्मक विचार: पाठ करते समय किसी भी प्रकार का नकारात्मक विचार मन में न लाएं।
  2. शुद्धता: मानसिक और शारीरिक शुद्धता का पालन करें।
  3. ध्यान भंग न हो: पाठ के समय किसी भी प्रकार का ध्यान भंग न हो, इसके लिए शांत स्थान का चयन करें।
  4. व्यर्थ बातों से बचें: पाठ के दौरान व्यर्थ की बातें और क्रोध से दूर रहें।
  5. संयम: संयम का पालन करें, विशेषकर भोजन और आहार में।

Spiritual store

ललिता देवी कवचम् के सामान्य प्रश्न

  1. ललिता देवी कवचम् क्या है?
    ललिता देवी कवचम् एक पवित्र स्तोत्र है जो माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी की स्तुति और रक्षा के लिए गाया जाता है।
  2. ललिता देवी कौन हैं?
    माँ ललिता देवी, त्रिपुरसुंदरी के नाम से जानी जाती हैं, और वह ब्रह्मांड की माता मानी जाती हैं।
  3. ललिता देवी कवचम् का पाठ कैसे करें?
    शुद्धता, भक्तिभाव, और विधिपूर्वक माँ ललिता देवी की प्रतिमा के सामने बैठकर इसका पाठ करें।
  4. क्या ललिता देवी कवचम् का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं?
    हाँ, लेकिन प्रातःकाल या संध्या के समय, विशेषकर शुक्रवार के दिन करना अधिक फलदायी माना जाता है।
  5. इस कवच का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
    यह कवच साधक को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
  6. क्या इस कवच का पाठ कोई भी कर सकता है?
    हाँ, लेकिन भक्तिभाव और नियमों का पालन करना आवश्यक है।
  7. ललिता देवी कवचम् को कब तक पढ़ना चाहिए?
    जब तक मनोकामना पूरी न हो जाए, या नियमित रूप से जीवन भर पढ़ सकते हैं।
  8. इस कवच का पाठ कौन-सी समस्याओं के लिए किया जाता है?
    मानसिक तनाव, शत्रु बाधा, रोग, धन की कमी आदि समस्याओं के समाधान के लिए किया जा सकता है।
  9. क्या ललिता देवी कवचम् का पाठ बिना गुरु दीक्षा के कर सकते हैं?
    हाँ, लेकिन गुरु दीक्षा प्राप्त हो तो अधिक लाभदायी होता है।
  10. कवच का पाठ कहाँ करें?
    किसी पवित्र स्थान या घर के पूजा कक्ष में करें।
  11. क्या ललिता देवी कवचम् के पाठ से स्वास्थ्य लाभ भी होता है?
    हाँ, यह कवच शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है।

BOOK HOLIKA PUJAN ON 13 MARCH 2025 (ONLINE/ OFFLINE)

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency