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Durga Kavach path for All Wishes

दुर्गा कवचम्: सुख समृद्धि व सुरक्षा

दुर्गा कवचम् हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। यह देवी दुर्गा के आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए रचा गया है। दुर्गा कवचम् में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की स्तुति की गई है और भक्तों को उनके संरक्षण के लिए आह्वान किया जाता है। यह कवचम् मुख्यतः ‘मार्कण्डेय पुराण’ का हिस्सा है और ‘दुर्गा सप्तशती’ में सम्मिलित है।

इस कवचम् को पढ़ने से मनुष्य को अनेक प्रकार की विपत्तियों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह कवचम् शत्रुओं से रक्षा करता है, भय को दूर करता है, और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।

संपूर्ण दुर्गा कवचम्

विनियोग

ॐ अस्य श्रीदुर्गाकवचस्य। ब्रह्मा ऋषिः। अनुष्टुप्छन्दः। चामुण्डा देवता। अंगन्यासोत्तरा शिरो ध्यानम।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

ध्यानम्
ॐ नमश्चण्डिकायै।
मार्कण्डेय उवाच।
यद्गुह्यम परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्।
यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह।। 1।।

ब्रह्मोवाच।
अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम्।
देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने।। 2।।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।। 3।।

पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।। 4।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना।। 5।।

अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे।
विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः।। 6।।

न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसङ्कटे।
नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि।। 7।।

यैस्तु देवी सदाभक्त्याः चतुर्वर्गशफलप्रदा।
कल्पान्तरेष्वपि तस्य मृत्त्युना षंकरोऽवतु।। 8।।

नाशयेद्रोगान्सर्वान बन्धमुक्त्यै सदा भवेत्।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनं शत्रुयोषितः।। 9।।

इदं कवचं देव्या ह्यत्र सम्यग्गम्यते।
धर्मार्थकाममोक्षेषु मम रूपाणि सर्वतः।। 10।।

तेषामेव च संरक्षणं करोमि तद्विज्ञापयन्।
प्रसन्ना भवतेत्युक्तं देव्या मम कवचं महत्।। 11।।

पाठसप्तति-सुक्रमकाले पूरयन्ति तथैव च।
धर्मारामाः प्रसीदन्तु देवी कवचं पठतामपि।। 12।।

शतमात्रं पठेद्यस्तु प्रयत्नेनास्य संज्ञया।
पुत्रलाभं धनं धान्यं समृद्ध्यां जगदीश्वरम्।। 13।।

कवचं पठतां चैव सर्वरोगविनाशनम्।
सर्वविघ्ननिवारणं पाषण्डानां हि यच्चन।। 14।।

वशिष्ठोऽसि पितामह साक्षात्पुरंदरः।
नारायणं साक्षाद्देवः पठिष्यति कथं कवचम्।। 15।।

अर्थ

  1. श्लोक 1-2: इस कवच का ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद अनुष्टुप है, देवता देवी चामुण्डा हैं। देवी दुर्गा का ध्यान करके इस कवच का पाठ आरंभ करें।
  2. श्लोक 3-5: देवी के नौ रूपों का वर्णन किया गया है – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। यह सभी रूप देवी की विभिन्न शक्तियों का प्रतीक हैं और ये सभी हमारे जीवन के अलग-अलग पक्षों की रक्षा करते हैं।
  3. श्लोक 6-7: यह कवच उन लोगों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है जो आग, युद्ध, विषम परिस्थितियों और कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जो लोग इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ते हैं, उन्हें किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है।
  4. श्लोक 8-9: देवी दुर्गा के भक्त इस कवच के प्रभाव से सभी प्रकार के रोगों और कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। यह कवच मारण, मोहन, वशीकरण, और स्तम्भन जैसी नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करता है।
  5. श्लोक 10-11: जो लोग इस कवच का नियमित रूप से पाठ करते हैं, वे जीवन के चारों पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष को प्राप्त करते हैं। देवी स्वयं इस कवच की शक्ति को बताती हैं और इसके पाठ करने वालों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
  6. श्लोक 12-13: यह कवच नियमित रूप से पाठ करने से पुत्र, धन, धान्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी इस कवच के माध्यम से अपने भक्तों की सभी प्रकार से रक्षा करती हैं।
  7. श्लोक 14-15: यह कवच सभी रोगों का नाश करता है, सभी बाधाओं को दूर करता है, और भक्त को शत्रुओं से बचाता है।

लाभ

  1. सर्वांगीण सुरक्षा: दुर्गा कवचम् का पाठ करने से मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा मिलती है।
  2. शत्रु नाश: यह कवच शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करता है।
  3. भय से मुक्ति: इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: दुर्गा कवचम् शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  5. समृद्धि: देवी की कृपा से जीवन में धन, संपत्ति और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
  6. आत्मविश्वास में वृद्धि: यह कवच व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  7. मानसिक शांति: दुर्गा कवचम् का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।
  8. सफलता: जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
  9. बाधाओं से मुक्ति: किसी भी कार्य में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
  10. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: इस कवच का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  11. दुष्टात्माओं से सुरक्षा: यह कवच दुष्ट आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
  12. अकाल मृत्यु से बचाव: यह कवच अकाल मृत्यु से बचाव करता है।
  13. सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति: जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  14. सौभाग्य की प्राप्ति: इसका पाठ करने से जीवन में सौभाग्य का आगमन होता है।
  15. परिवार की रक्षा: यह कवच पूरे परिवार की रक्षा करता है।
  16. भविष्य में सुरक्षा: यह कवच भविष्य में आने वाली समस्याओं से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
  17. कर्मों का शुद्धिकरण: दुर्गा कवचम् के माध्यम से व्यक्ति के बुरे कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
  18. प्रकृति से समरसता: इसका पाठ करने से व्यक्ति को प्रकृति के साथ सामंजस्य प्राप्त होता है।
  19. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: यह कवच व्यक्ति की ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाता है।
  20. ईश्वर के प्रति श्रद्धा: इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति की ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।

विधि

  1. दिन: दुर्गा कवचम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि के नौ दिनों में इसका महत्व अधिक होता है। इसके अलावा, मंगलवार और शुक्रवार को भी यह पाठ करना शुभ माना जाता है।
  2. अवधि: दुर्गा कवचम् का पाठ दिन में एक बार करना चाहिए। इसे सूर्योदय से पहले या शाम को सूर्यास्त के बाद करना उत्तम माना जाता है। पाठ के लिए लगभग 15-20 मिनट का समय लगता है।
  3. मुहूर्त: शुभ मुहूर्त में इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है। ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) इसका सर्वोत्तम समय माना जाता है। इस समय में किया गया पाठ विशेष फलदायी होता है।

नियम

  1. साफ-सफाई: पाठ करने से पहले शरीर और मन को शुद्ध करना चाहिए। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. ध्यान और मंत्र: पाठ से पहले देवी दुर्गा का ध्यान करें और “ॐ दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  3. आसन: पाठ करते समय एक साफ और ऊनी आसन का प्रयोग करें। यह आसन लाल या पीले रंग का होना चाहिए।
  4. माला: पाठ के दौरान रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
  5. स्थान: दुर्गा कवचम् का पाठ मंदिर या पूजा कक्ष में करना चाहिए। यदि संभव हो तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके पाठ करें।
  6. आहार: पाठ के दिन सात्विक आहार का सेवन करें और तामसिक भोजन (जैसे मांस, लहसुन, प्याज) से परहेज करें।
  7. संयम: पाठ के दिन शारीरिक और मानसिक संयम बनाए रखें। किसी भी प्रकार के गलत कार्यों से दूर रहें।
  8. सात्विक विचार: पाठ के दौरान और उसके बाद सात्विक विचारों का पालन करें। ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष आदि से बचें।
  9. समर्पण भाव: पाठ को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। किसी भी प्रकार के संदेह से बचें।
  10. नियमितता: दुर्गा कवचम् का पाठ नियमित रूप से करें। यह न केवल देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए बल्कि मानसिक शांति के लिए भी आवश्यक है।

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सावधानियाँ

  1. अपवित्र स्थान पर पाठ न करें: किसी भी अपवित्र या अस्वच्छ स्थान पर दुर्गा कवचम् का पाठ न करें। यह देवी की अनादर हो सकता है।
  2. अशुद्ध अवस्था में पाठ न करें: अशुद्ध अवस्था, जैसे बिना स्नान किए या अशुद्ध वस्त्रों में पाठ नहीं करना चाहिए।
  3. बिना अनुमति के पाठ न करें: यदि आप किसी विशेष पूजा विधि में यह कवच पढ़ रहे हैं, तो गुरु या विद्वान ब्राह्मण से अनुमति प्राप्त करें।
  4. आसन पर ध्यान दें: गलत आसन का प्रयोग न करें। अगर संभव हो, तो हमेशा ऊनी आसन का उपयोग करें।
  5. आहार का ध्यान रखें: पाठ के दौरान भारी, मसालेदार या मांसाहारी भोजन का सेवन न करें। इससे पाठ का प्रभाव कम हो सकता है।
  6. अनुशासन: पाठ के समय अनुशासन बनाए रखें। अशांति या व्याकुलता से बचें।
  7. अनुचित समय पर पाठ न करें: गलत समय, जैसे मध्यरात्रि या सूर्यास्त के बाद पाठ न करें, जब तक कि विशेष अनुष्ठान की आवश्यकता न हो।
  8. कवच का आदर: दुर्गा कवचम् को हमेशा आदर और श्रद्धा के साथ पढ़ें। इसका कभी भी उपहास न करें।
  9. ध्यान और एकाग्रता: पाठ के समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें। मन को भटकने न दें।
  10. अज्ञानी से चर्चा न करें: दुर्गा कवचम् का पाठ या उसके प्रभावों पर अज्ञानी व्यक्तियों के साथ चर्चा न करें। इससे आपकी श्रद्धा और विश्वास में कमी आ सकती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. प्रश्न: दुर्गा कवचम् का पाठ किस समय करना सबसे अच्छा है?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) सबसे अच्छा समय है, लेकिन इसे सुबह या शाम को भी किया जा सकता है।
  2. प्रश्न: क्या दुर्गा कवचम् का पाठ बिना गुरु के किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इसे बिना गुरु के भी किया जा सकता है, लेकिन यदि संभव हो तो गुरु की अनुमति लेना शुभ माना जाता है।
  3. प्रश्न: क्या दुर्गा कवचम् का पाठ महिलाएं कर सकती हैं?
    उत्तर: हाँ, महिलाएं भी दुर्गा कवचम् का पाठ कर सकती हैं, लेकिन उन्हें अपने मासिक धर्म के दौरान इसका पाठ नहीं करना चाहिए।
  4. प्रश्न: क्या दुर्गा कवचम् का पाठ घर में किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इसे घर में, विशेष रूप से पूजा कक्ष में किया जा सकता है।
  5. प्रश्न: दुर्गा कवचम् का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    उत्तर: इसे प्रतिदिन एक बार किया जाना चाहिए। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक इसे करने का विशेष महत्व है।
  6. प्रश्न: क्या दुर्गा कवचम् का पाठ बिना माला के किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इसे बिना माला के भी किया जा सकता है, लेकिन माला का उपयोग करना अधिक फलदायी माना जाता है।
  7. प्रश्न: दुर्गा कवचम् का पाठ करने के लिए कौन सा आसन सबसे अच्छा है?
    उत्तर: लाल या पीले रंग का ऊनी आसन सबसे अच्छा है।
  8. प्रश्न: क्या दुर्गा कवचम् का पाठ बच्चों के लिए किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, बच्चों के लिए भी इसका पाठ किया जा सकता है, विशेष रूप से उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए।
  9. प्रश्न: क्या दुर्गा कवचम् का पाठ रात में किया जा सकता है?
    उत्तर: रात में इसका पाठ करना शुभ नहीं माना जाता। इसे दिन के समय ही करना चाहिए।

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