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Madan Dwadashi Vrat – Puja, Rules, Benefits

मदन द्वादशी व्रत 2024 – पूजा मंत्र, भोग और संतान सुख के लाभ

मदन द्वादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति हेतु किया जाता है। इसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं संतान सुख, दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि और परिवार की मंगलकामना के लिए करती हैं।

मदन द्वादशी व्रत का मुहूर्त २०२४

मदन द्वादशी व्रत 2024 में 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन द्वादशी तिथि का आरंभ प्रातः 06:41 बजे से होगा और यह तिथि 15 अक्टूबर को प्रातः 03:42 बजे समाप्त होगी। यह व्रत शरद ऋतु के समय आता है और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व रखता है। किसी कारण से इस मुहुर्त पर व्रत न कर पाये यो किसी भी द्वादशी को ये व्रत रख सकते है।

व्रत विधि मंत्र के साथ

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
  • फूल, फल, चंदन और तुलसी पत्र से पूजन करें।
  • व्रत के अंत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

व्रत में क्या खाएं, क्या न खाएं

क्या खाएं:
व्रत में फल, दूध, मेवा और सात्विक आहार लें।
क्या न खाएं:
अनाज, तामसिक और मसालेदार भोजन से परहेज करें।

मदन द्वादशी व्रत के लाभ

  1. मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  2. जीवन में सुख-शांति आती है।
  3. परिवार की समृद्धि बढ़ती है।
  4. संतान सुख प्राप्त होता है।
  5. दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है।
  6. भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
  7. स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. जीवन में आर्थिक उन्नति होती है।
  9. मानसिक शांति मिलती है।
  10. संकटों का नाश होता है।
  11. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  12. मनोबल मजबूत होता है।
  13. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  14. दुख-दर्द का नाश होता है।
  15. गृहकलह समाप्त होता है।
  16. परिवार का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  17. मानसिक संतुलन बना रहता है।

व्रत के नियम

  • व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • दिन भर व्रत रखकर सायंकाल को फलाहार करें।
  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें और भगवान विष्णु की आराधना करें।
  • व्रत के दिन सत्य, दया और करुणा का पालन करना चाहिए।
  • व्रती को दूसरों की मदद करनी चाहिए।

मदन द्वादशी व्रत की संपूर्ण कथा

मदन द्वादशी व्रत की कथा भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से संबंधित है। प्राचीन काल में एक राजा ने अपनी संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन किया। भगवान विष्णु ने उनकी मनोकामना पूरी की। कथा के अनुसार, इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

व्रत के दौरान भोग

व्रत के दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल, फल, दूध और मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। व्रती स्वयं भी सात्विक आहार ग्रहण करें।

व्रत की शुरुवात और समाप्ति

व्रत का आरंभ स्नान और पूजन से करें। दिन भर विष्णु मंत्र का जाप करें। व्रत की समाप्ति शाम को आरती और फलाहार से करें।

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व्रत के दौरान सावधानियां

  • व्रत के दिन क्रोध, अहंकार और झूठ से बचें।
  • केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें।
  • मन और विचारों में शुद्धता बनाए रखें।
  • अगर व्रत के दौरान कमजोरी महसूस हो, तो फल और दूध का सेवन करें।

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मदन द्वादशी व्रत संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: मदन द्वादशी व्रत क्या है?

उत्तर: यह व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति हेतु किया जाता है।

प्रश्न 2: मदन द्वादशी व्रत का महत्व क्या है?

उत्तर: यह व्रत संतान सुख, दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि और परिवार की मंगलकामना के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3: व्रत किस दिन रखा जाता है?

उत्तर: यह व्रत द्वादशी तिथि को रखा जाता है।

प्रश्न 4: व्रत के नियम क्या हैं?

उत्तर: व्रती को ब्रह्मचर्य, सत्य, दया और करुणा का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 5: व्रत के लाभ क्या हैं?

उत्तर: व्रत से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, दांपत्य जीवन में प्रेम और परिवार की समृद्धि बढ़ती है।

प्रश्न 6: व्रत में कौन सा भोजन करें?

उत्तर: व्रत में फल, दूध, मेवा और सात्विक आहार ग्रहण करें।

प्रश्न 7: व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर: व्रत में तामसिक और मसालेदार भोजन से परहेज करें।

प्रश्न 8: व्रत की पूजा विधि क्या है?

उत्तर: भगवान विष्णु का पूजन करें और विष्णु मंत्र का जाप करें।

प्रश्न 9: व्रत की कथा क्या है?

उत्तर: व्रत की कथा भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से संबंधित है, जो मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

प्रश्न 10: व्रत के दौरान क्या सावधानियां बरतें?

उत्तर: व्रत के दौरान क्रोध, अहंकार और झूठ से बचें।

प्रश्न 11: क्या इस व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है?

उत्तर: हां, इस व्रत से संतान सुख प्राप्त होता है।

प्रश्न 12: व्रत का समापन कैसे करें?

उत्तर: व्रत का समापन शाम को आरती और फलाहार से करें।

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