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Mahalakshmi Stuti for Wealth & Prosperity

लक्ष्मी स्तुतिः आर्थिक समस्या मुक्ति पाना चाहते है, तो शुक्रवार से शुरु करे

आर्थिक अड़चनों को नष्ट करने वाली लक्ष्मी स्तुति, देवी लक्ष्मी का शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है। देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि, सुख, और वैभव की देवी माना जाता है। लक्ष्मी स्तुति का पाठ नियमित रूप से करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह स्तुति विशेष रूप से धन और वैभव की प्राप्ति के लिए की जाती है।

संपूर्ण लक्ष्मी स्तुति अर्थ सहित

श्लोक 1:
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे सर्वमंगल देने वाली, सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली, हे शिवा, त्र्यम्बक की पत्नी गौरी, नारायणी देवी, आपको मेरा प्रणाम है।

श्लोक 2:
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे देवी, जो सब कुछ जानने वाली, सबकी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली, सभी बुराइयों का नाश करने वाली, सभी दुखों को हरने वाली महालक्ष्मी हैं, आपको मेरा प्रणाम है।

श्लोक 3:
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे देवी, जो सिद्धि और बुद्धि देने वाली, भौतिक सुख और मोक्ष प्रदान करने वाली, और सदैव मंत्रस्वरूपा हैं, उन महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम है।

श्लोक 4:
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे देवी, जो आदि और अंत से परे हैं, जो आदिशक्ति और महेश्वरी हैं, जो योग से उत्पन्न हुई हैं, उन महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम है।

श्लोक 5:
स्थूलसूक्ष्ममहाराुद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे देवी, जो स्थूल और सूक्ष्म रूप में भी अत्यंत शक्तिशाली हैं, जो महान पापों को नष्ट करती हैं, उन महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम है।

श्लोक 6:
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे देवी, जो पद्मासन में विराजमान हैं, जो परब्रह्म की स्वरूपा हैं, जो परमेश्वरी और जगत की माता हैं, उन महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम है।

श्लोक 7:
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥

अर्थ:
हे देवी, जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जो विभिन्न आभूषणों से विभूषित हैं, जो सम्पूर्ण जगत में विराजमान हैं और जगत की माता हैं, उन महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम है।

श्लोक 8:
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा॥

अर्थ:
जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करता है, उसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और वह सदा राज्य (समृद्धि और सफलता) प्राप्त करता है।

लाभ

  1. धन की प्राप्ति: लक्ष्मी स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
  2. समृद्धि: यह स्तुति घर में समृद्धि और खुशहाली लाती है।
  3. सफलता: इसका पाठ करने से सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  4. शांति: मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है।
  5. स्वास्थ्य: यह स्तुति स्वास्थ्य में सुधार लाती है और बीमारियों से मुक्ति दिलाती है।
  6. संतान सुख: संतान सुख और परिवार में खुशहाली की प्राप्ति होती है।
  7. अकाल मृत्यु से रक्षा: इसका पाठ करने से अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है।
  8. पारिवारिक कलह का अंत: परिवार में शांति और प्रेम की प्राप्ति होती है।
  9. सकारात्मक ऊर्जा: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  10. आध्यात्मिक उन्नति: व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  11. भयमुक्ति: सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्राप्त होती है।
  12. व्यापार में सफलता: व्यापार में वृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  13. कर्ज से मुक्ति: कर्ज और ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है।
  14. यश और कीर्ति: समाज में यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
  15. दुष्टों से रक्षा: दुष्ट आत्माओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  16. विद्या प्राप्ति: विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  17. विवाह में सफलता: विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।
  18. सुख-संपत्ति: सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है।
  19. सुखद जीवन: जीवन में सुख और संतोष की प्राप्ति होती है।
  20. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।

विधि

  1. दिन और अवधि: लक्ष्मी स्तुति का पाठ विशेष रूप से शुक्रवार के दिन करना शुभ माना जाता है। यह पाठ 41 दिनों तक निरंतर किया जा सकता है।
  2. समय: इसका पाठ सुबह और शाम को करना अत्यधिक लाभकारी होता है। विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह 4 से 6 बजे) इसका पाठ करना अत्यधिक शुभ होता है।
  3. मुहूर्त: शुभ मुहूर्त जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, और शरद पूर्णिमा के दिन इसका प्रारंभ करना विशेष लाभकारी होता है।
  4. स्थान: पाठ के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें। पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
  5. पूजा सामग्री: पूजा के लिए देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, चावल, फूल, कुमकुम, दीपक, धूप, नैवेद्य (मिठाई) आदि का प्रयोग करें।

नियम

  1. भक्ति और श्रद्धा: लक्ष्मी स्तुति का पाठ पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
  2. शुद्धता: पाठ के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
  3. नियमितता: लक्ष्मी स्तुति का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। अगर किसी कारणवश एक दिन पाठ न हो पाए, तो अगले दिन दोगुना पाठ करें।
  4. संयम: सात्विक आहार ग्रहण करें और संयम का पालन करें।
  5. विशेष व्रत: शुक्रवार के दिन व्रत रखकर लक्ष्मी स्तुति का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
  6. गुप्त साधना: साधना को गुप्त रखना चाहिए। अधिक प्रचार-प्रसार से बचें।
  7. आचरण: अच्छे आचरण और सत्कर्मों का पालन करें।
  8. द्रव्य दान: पाठ के पश्चात निर्धनों और ब्राह्मणों को दान करें।
  9. दोष मुक्त आचरण: शराब, मांसाहार, और अन्य दोषपूर्ण आचरण से बचें।
  10. स्वच्छता: पाठ के समय और स्थान की स्वच्छता का ध्यान रखें।

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सावधानियां

  1. आस्था: पाठ को श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। बिना आस्था के किया गया पाठ फलदायी नहीं होता।
  2. शुद्धता: मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें। अपवित्र वस्त्रों में पाठ नहीं करना चाहिए।
  3. भोजन नियम: पाठ के समय सात्विक आहार का पालन करें। तामसिक भोजन से बचें।
  4. ध्यान और एकाग्रता: पाठ के समय ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें। विचलित मन से पाठ न करें।
  5. विनम्रता: देवी लक्ष्मी की स्तुति करते समय विनम्रता का पालन करें। अहंकार या गर्व से बचें।

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लक्ष्मी स्तुति से जुड़े सामान्य प्रश्न

  1. प्रश्न: लक्ष्मी स्तुति का पाठ किस उद्देश्य से किया जाता है?
    उत्तर: इसका पाठ धन, समृद्धि और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  2. प्रश्न: लक्ष्मी स्तुति का पाठ किस दिन करना शुभ होता है?
    उत्तर: शुक्रवार के दिन इसका पाठ करना विशेष शुभ माना जाता है।
  3. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, लेकिन सुबह और शाम का समय विशेष शुभ होता है।
  4. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ 41 दिनों तक किया जाना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, 41 दिनों तक इसका पाठ करना शुभ और फलदायी होता है।
  5. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ घर की समृद्धि के लिए किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, यह पाठ घर की समृद्धि और खुशहाली के लिए अत्यधिक प्रभावशाली है।
  6. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ व्यवसाय में वृद्धि के लिए किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, यह व्यवसाय में सफलता और वृद्धि के लिए लाभकारी है।
  7. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ केवल महिलाओं के लिए होता है?
    उत्तर: नहीं, इसका पाठ पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
  8. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है?
    उत्तर: हाँ, इसका पाठ कर्ज और आर्थिक संकट से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  9. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ करने से शत्रुओं से रक्षा होती है?
    उत्तर: हाँ, यह शत्रुओं से रक्षा करता है और उनके प्रकोप से बचाता है।
  10. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ बिना किसी विशेष उद्देश्य के किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इसे नियमित पूजा के अंग के रूप में भी किया जा सकता है।
  11. प्रश्न: क्या लक्ष्मी स्तुति का पाठ अन्य स्तोत्रों के साथ किया जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, इसे अन्य स्तोत्रों के साथ संयोजन में भी किया जा सकता है।

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