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Manikarnika Mantra – Divine Path to Peace & Prosperity

मणिकर्णिका मंत्र: पाप से मुक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का रहस्य

देवी मणिकर्णिका मंत्र भारतीय तांत्रिक परंपरा का एक शक्तिशाली और दिव्य साधना मंत्र है। यह मंत्र “मंत्र महोदधि” के अनुसार अत्यधिक प्रभावशाली और पवित्र माना गया है। इस मंत्र के जप से जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति, मन की शांति और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। ये मंत्र विशेष रूप से ऊपरी बाधाओं को दूर करने और तांत्रिक प्रभाव से मुक्ति प्रदान करने में सहायक है। इसका नियमित जप साधक के जीवन में अद्भुत सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

मणिकर्णिका देवी

ये देवी हिंदू धर्म में पूजनीय देवी हैं, जो मुक्ति, शुद्धिकरण और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं। इनका संबंध वाराणसी के पवित्र मणिकर्णिका घाट से है, जो पापों और नकारात्मकता के नाश के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इन देवी की पूजा करने से आत्मिक जागृति, शांति और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्राप्त होती है। उनकी कृपा से भक्तों को अद्भुत आशीर्वाद मिलता है और जीवन में समृद्धि और मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है।

विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
ॐ अस्य श्री मणिकर्णिका मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छंदः। मणिकर्णिका देवता। साध्ये विनियोगः॥

अर्थ:
इस मंत्र का ऋषि ब्रह्मा हैं, छंद गायत्री है, और देवी इसकी अधिष्ठात्री देवता हैं। यह मंत्र साधक के जीवन को शुद्ध, शांत और सफल बनाने के लिए विनियोग किया जाता है।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र:
ॐ पूर्वाय विद्महे। ॐ दक्षिणाय ध्यायेम। ॐ पश्चिमाय च स्मरामि। ॐ उत्तराय च साधये। सर्वत्र रक्षा सर्वदा कुरु स्वाहा॥

अर्थ:
यह दिग्बंधन मंत्र सभी दिशाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसका जप साधक को हर दिशा से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं से बचाता है।

१५ अक्षर का मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

मणिकर्णिका मंत्र:
॥ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ॐ मं मणिकर्णिके नमः ॐ॥

संपूर्ण अर्थ:
इस मंत्र में प्रत्येक शब्द का गहरा आध्यात्मिक और तांत्रिक महत्व है:

  1. – यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है, जो सभी सृष्टियों का मूल स्रोत है।
  2. ऐं – यह सरस्वती देवी का बीज मंत्र है, जो ज्ञान, बुद्धि और वाणी का आह्वान करता है।
  3. ह्रीं – यह शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, जो नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  4. श्रीं – यह लक्ष्मी देवी का बीज मंत्र है, जो धन, समृद्धि और वैभव प्रदान करता है।
  5. क्लीं – यह आकर्षण, प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है, जो साधक को आत्मिक और भौतिक सुरक्षा देता है।
  6. ॐ मं – ‘मं’ देवी का विशेष मंत्र है, जो उनके दिव्य और पवित्र स्वरूप का आह्वान करता है।
  7. मणिकर्णिके नमः – यह देवी मणिकर्णिका को पूर्ण समर्पण और नमन व्यक्त करता है।
  8. – यह मंत्र को पूर्णता और शक्ति प्रदान करता है।

मंत्र महोदधि के अनुसार, यह मंत्र जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति प्रदान करता है, मानसिक शांति देता है, और साधक के जीवन में अद्वितीय सकारात्मक बदलाव लाता है। देवी मणिकर्णिका को यह मंत्र अत्यधिक प्रिय है, और इसका नियमित जप साधक को देवी की कृपा और आशीर्वाद से भर देता है।

जप काल में इन चीजों का सेवन ज्यादा करें

  • हल्का और सात्विक आहार करें।
  • फल, दूध और मेवे का सेवन करें।
  • तुलसी या शुद्ध जल का अधिक उपयोग करें।
  • शहद और मिश्री का सेवन शुभ माना गया है।

मणिकर्णिका मंत्र के लाभ

  1. जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति।
  2. मन की शांति और स्थिरता।
  3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
  4. ऊपरी बाधाओं से मुक्ति।
  5. तांत्रिक प्रभाव से सुरक्षा।
  6. शरीर की रक्षा और आरोग्यता।
  7. आत्मबल और मानसिक शक्ति में वृद्धि।
  8. धन और समृद्धि में वृद्धि।
  9. पारिवारिक जीवन में शांति।
  10. विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान।
  11. यात्रा में सुरक्षा।
  12. आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति।
  13. बुरे सपनों से मुक्ति।
  14. रोजगार और व्यापार में सफलता।
  15. शत्रुओं से बचाव।
  16. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह।
  17. कर्म बंधन से मुक्ति।
  18. देवी की कृपा और आशीर्वाद।

पूजा सामग्री के साथ मंत्र विधि

आवश्यक सामग्री

  • एक तांबे का कलश।
  • गंगा जल और शुद्ध जल।
  • लाल कपड़ा और अक्षत।
  • धूप, दीप और चंदन।
  • फूल, विशेषकर कमल।

मणिकर्णिका मंत्र विधि

  1. सुबह स्नान करके पवित्र होकर लाल वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  3. तांबे के कलश में गंगा जल भरकर रखें।
  4. दीपक जलाकर मणिकर्णिका मंत्र का 108 बार जप करें।
  5. देवी मणिकर्णिका से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।

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मंत्र जप का दिन, अवधि, और मुहूर्त

  • दिन: मंगलवार या शुक्रवार।
  • अवधि: 18 दिन तक।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त में जप करना सर्वोत्तम है।

मणिकर्णिका मंत्र जप के नियम

  • साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • पुरुष और स्त्रियां दोनों जप कर सकते हैं।
  • सफेद या पीले वस्त्र धारण करें।
  • मांसाहार, धूम्रपान, और मद्यपान से बचें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप सावधानी

  • जप के दौरान गलत उच्चारण न करें।
  • अशुद्ध स्थान पर जप न करें।
  • बिना स्नान किए जप न करें।
  • पूजा स्थान का चयन शांत और स्वच्छ रखें।

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मणिकर्णिका मंत्र प्रश्न और उनके उत्तर

प्रश्न 1: मणिकर्णिका मंत्र किसके लिए उपयोगी है?

उत्तर: यह मंत्र मानसिक शांति, ऊपरी बाधाओं से मुक्ति, और समृद्धि के लिए लाभकारी है।

प्रश्न 2: मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?

उत्तर: 108 बार प्रतिदिन 18 दिनों तक जप करना चाहिए।

प्रश्न 3: क्या स्त्रियां यह मंत्र जप सकती हैं?

उत्तर: हां, स्त्रियां भी यह मंत्र जप सकती हैं।

प्रश्न 4: मंत्र जप का सर्वोत्तम समय क्या है?

उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त में जप करना सर्वोत्तम है।

प्रश्न 5: क्या मंत्र के दौरान विशेष सामग्री चाहिए?

उत्तर: हां, गंगा जल, दीप, चंदन, और फूल आवश्यक हैं।

प्रश्न 6: मंत्र से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

उत्तर: पाप से मुक्ति, मन की शांति, और नकारात्मक ऊर्जा का नाश।

प्रश्न 7: क्या इस मंत्र से तांत्रिक प्रभाव दूर होता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र तांत्रिक प्रभाव दूर करने में सक्षम है।

प्रश्न 8: क्या मांसाहार जप के दौरान वर्जित है?

उत्तर: हां, जप काल में मांसाहार वर्जित है।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप में वस्त्रों का रंग मायने रखता है?

उत्तर: हां, सफेद या पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं।

प्रश्न 10: क्या यह मंत्र व्यापार में सफलता दिला सकता है?

उत्तर: हां, यह मंत्र व्यापार में सफलता प्रदान करता है।

प्रश्न 11: क्या यह मंत्र पारिवारिक समस्याओं का समाधान करता है?

उत्तर: हां, यह पारिवारिक जीवन में शांति लाता है।

प्रश्न 12: क्या इसे किसी भी दिन जप सकते हैं?

उत्तर: मंगलवार और शुक्रवार को जप करना अधिक शुभ माना जाता है।

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