Mata Koteshwari Chalisa- Strong Protection
माता कोटेश्वरी देवी को समर्पित ये चालीसा एक अत्यंत शक्तिशाली स्तुति मानी जाती है जो भक्ति, शक्ति, सुरक्षा और सुख-शांति की प्राप्ति हेतु की जाती है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
माता कोटेश्वरी
माता कोटेश्वरी देवी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। उन्हें शक्ति, पराक्रम और संहार की देवी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि आदिशक्ति का स्वरूप माता कोटेश्वरी की पूजा और चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की बाधाएँ, दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
माता कोटेश्वरी चालीसा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय कोटेश्वरी, जय महेश मुख चंदा।
कह अयोध्यादास तुम, होउ अभय आनंदा॥
जै जै जै कोटेश्वरी माता, संतन हृदय की आशा।
जग में उत्पति हेतु तुम्ही हो, अधिप्रकट यह त्रिलोक तमाशा॥
जय अंबे जगदंबे माता, तुम हो जग की पालनहारी।
महिमा अमित तुम्हारी जग में, मैं तो कोई नहीं दुखिहारी॥
पुत्रहीन जो कोई नारी, मांगत पुत्र करै पुकार।
कष्ट सुख सब दूर हो जाही, शरण में जो जाएं तुम्हारे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावें, कटकणिकै सुमन हार।
मंत्र जपै और ध्यान लगावै, और मनवांछित फल पावै॥
कन्या करै पूजन विधिवत, धूप दीप नैवेद्य हार।
कष्ट मिटें सब मिल जाहीं, शरण में जाएं तुम्हारे॥
जो कोई इच्छित फल चाहे, सोई पावै तुम्हरी कृपा।
लोटा भरि जल श्रद्धा सों, गंगा जल मिलावै॥
शुद्ध जल भरि थाली में, करि मंत्र उच्चार।
चंदन अक्षत पुष्प चढ़ावै, और ध्यान लगावै॥
पाठ करै सतचालीसा, होवै बुरी बलाय।
जय कात्यायनी महिमा, अनंत करूणालय॥
व्रत करै जो कुमारी, सौम्य रूप धरि ध्यान।
कह अयोध्या दास सुनो, लाभ करै गुणवान॥
जय कात्यायनी मां, जय जय सुरवीर।
जय जग जननी महिमा, जय कात्यायनी वीर॥
शरण पड़े जो तेरी, करै विपत्ति नाश।
कह अयोध्या दास सुनो, हरै दुख संताप॥
लाल वस्त्र धरि धारण, जो करै पूजन।
विधिवत करै धूप दीप नैवेद्य, सो पावै सुअवसर॥
जय कोटेश्वरी वीर, महिमा अपार।
तुम हो जगदंबे माता, हो सदा सुखकारी॥
जो कोई संकटनिवारणी, होवे मनुष हर्ष।
पाठ करै जो भक्त श्रद्धा सों, पूर्ण होवैं काज॥
जय कोटेश्वरी महिमा, अपार अनंत।
करो कृपा शारदा मां, वंदना शत कोटि॥
जय कोटेश्वरी महिमा, जय जय जगदीश।
कहत अयोध्या दास सुनो, हरै दुख संताप॥
सुख समृद्धि होय घर में, हरै विपत्ति की छाया।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावै, और मनवांछित फल पावै॥
जय कोटेश्वरी मां, जय जय जगदंबे।
तुम हो जगदंबे माता, सब दुख हारिणी॥
कहत अयोध्या दास सुनो, हरै दुख संताप।
जय कोटेश्वरी महिमा, हो सदा सुखकारी॥
शरण में जो आए तुम्हारी, हरै दुख संताप।
जय कोटेश्वरी माता, हो सदा सुखकारी॥
पाठ करै जो भक्त, ध्यान धरै मन में।
सुख समृद्धि होय घर में, हरै विपत्ति की छाया॥
माता कोटेश्वरी चालीसा के लाभ
माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- मानसिक शांति: नियमित पाठ से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
- आर्थिक समृद्धि: आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- विपत्तियों का नाश: जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों का नाश होता है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में आपसी प्रेम और शांति बनी रहती है।
- विद्या की प्राप्ति: विद्यार्थियों को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
- कठिनाईयों से मुक्ति: जीवन की कठिनाईयों और चुनौतियों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
- मनोकामना पूर्ण: सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- शत्रु पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- कर्ज से मुक्ति: कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- दुखों का नाश: सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।
- मित्रता और सहयोग: मित्रता में वृद्धि होती है और सहयोग प्राप्त होता है।
- प्रेम और सद्भावना: प्रेम और सद्भावना में वृद्धि होती है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- धैर्य और साहस: धैर्य और साहस में वृद्धि होती है।
- शांति और संतोष: जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है।
माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने की विधि
माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
दिन और अवधि
- माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, परंतु मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन तक लगातार पाठ किया जा सकता है।
मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने का सबसे उत्तम समय माना जाता है।
- संध्याकाल में सूर्यास्त के बाद भी पाठ किया जा सकता है।
नियम
- स्वच्छता: पाठ से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पवित्र स्थान: किसी पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करें।
- धूप-दीप: माता कोटेश्वरी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
- आसन: स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें।
- संकल्प: पाठ प्रारंभ करने से पूर्व मनोकामना की पूर्ति हेतु संकल्प लें।
- ध्यान: माता कोटेश्वरी का ध्यान करें और मन में उन्हें स्मरण करें।
- भक्ति: पूरे भक्ति भाव से पाठ करें।
- समाप्ति: पाठ के समाप्त होने के बाद माता कोटेश्वरी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
सावधानियाँ
- आलस्य से बचें: पाठ के दौरान आलस्य और निद्रा से बचें।
- सकारात्मक सोच: नकारात्मक विचारों से दूर रहें और सकारात्मक सोच रखें।
- ध्यान विचलित न करें: पाठ के दौरान ध्यान को विचलित न होने दें।
- शुद्धता बनाए रखें: शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें।
- निर्धारित समय: निर्धारित समय पर ही पाठ करें।
माता कोटेश्वरी चालीसा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
- ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे तक) और संध्याकाल में पाठ करना उत्तम माना जाता है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
- हां, लेकिन मंगलवार और शुक्रवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?
- मनोकामना की पूर्ति हेतु 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन तक लगातार पाठ किया जा सकता है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किसी विशेष स्थान पर किया जाना चाहिए?
- हां, किसी पवित्र स्थान पर बैठकर पाठ करना चाहिए।
- माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
- मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य लाभ, विपत्तियों का नाश, परिवार में सुख-शांति आदि।
- पाठ के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?
- स्वच्छता, पवित्र स्थान, धूप-दीप, संकल्प, ध्यान, भक्ति आदि का पालन करें।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष वस्त्र धारण करने चाहिए?
- स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए, विशेष रूप से लाल वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
- पाठ के दौरान किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?
- आलस्य, नकारात्मक विचारों से बचें, ध्यान विचलित न करें, शुद्धता बनाए रखें।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ किसी भी स्थान पर किया जा सकता है?
- हां, लेकिन पवित्र स्थान पर करना अधिक शुभ माना जाता है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करते समय कोई विशेष आसन का प्रयोग करना चाहिए?
- हां, स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करना चाहिए।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है?
- हां, पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- एक बार में चालीसा का पूर्ण पाठ करें, और अपनी सुविधानुसार जितनी बार संभव हो उतनी बार कर सकते हैं।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य लाभ होता है?
- हां, पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से संतान प्राप्ति हो सकती है?
- हां, पाठ करने से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है?
- हां, पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है?
- हां, पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से समाज में प्रतिष्ठा मिलती है?
- हां, पाठ करने से समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है?
- हां, पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से धैर्य और साहस में वृद्धि होती है?
- हां, पाठ करने से धैर्य और साहस में वृद्धि होती है।
- क्या माता कोटेश्वरी चालीसा का पाठ करने से जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है?
- हां, पाठ करने से जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है।