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Mata Sita Chalisa Path – Spiritual Strength & Divine Blessings

माता सीता चालीसा पाठ: कठिनाइयों से मुक्ति और सुख-शांति का मार्ग

माता सीता चालीसा पाठ भगवान श्रीराम की धर्मपत्नी और आदर्श नारी माता सीता को समर्पित है। यह पाठ भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का माध्यम है। माता सीता चालीसा पाठ का नियमित अभ्यास श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। माता सीता की भक्ति व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों को दूर करती है और उसे आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है।


संपूर्ण माता सीता चालीसा

दोहा:
जयति जयति श्री सीता माता, जनकसुत वीर हृदय विलासा।
राम प्रिया जगदंबा भवानी, कृपा करो भव बंधन हरानी।

चालीसा भाग १

जय सिया राम की अर्चना।
मंगलमय करुणा की साधना।।

  1. सीता जनकसुत जग की माता।
    भवसागर दुख हरनहारि दाता।।
  2. राम नाम संग तुम सुखकारी।
    धन्य जनकपुर की कुमारी।।
  3. त्याग धर्म की अनुपम मूरत।
    ममता करुणा से भरी सूरत।।
  4. रघुकुल ज्योति राम की प्यारी।
    सदा करो भक्तों पर कृपा भारी।।
  5. राम हृदय में तुम हो वासिनी।
    भव बाधा हरने वाली साधिनी।।
  6. वन में रहकर साथ निभाया।
    पति धर्म का पथ दिखाया।।
  7. रावण के बंधन को झेल।
    धरम प्रेम में रही अडिग खेल।।
  8. अग्नि परीक्षा दी ससम्मान।
    सत्य धर्म को दिया प्रमाण।।
  9. अशोक वाटिका में रही धैर्य।
    राम नाम का किया विस्मय।।
  10. लंका जली रघुवर संग आई।
    धर्म की ज्योति जग में छाई।।
  11. राम राज्य की बनी आधार।
    सीता कृपा से जग उद्धार।।
  12. भक्ति तुम्हारी सदा सुखदाई।
    राम प्रेम की मूरत बनाई।।
  13. जनकपुर की आनंद दात्री।
    सिया राम की पावन यामिनी।।
  14. करुणा की तुम हो सागर।
    सत्य धर्म का सबको आधार।।
  15. पावन मूरत जनक नंदिनी।
    राम संग वासिनी अनंदिनी।।
  16. राम चरण में सदा निवास।
    भक्तों का हरती हो त्रास।।
  17. सुख संपदा की दात्री हो।
    भवसागर से तारने वाली हो।।
  18. सीता माता कृपा करो।
    सभी भक्तों का दुख हर लो।।
  19. रघुवर जीवन तुम आधार।
    धन्य हो सिया राम उदार।।

भाग – २

  1. भक्ति की प्रेरणा तुमसे पाई।
    संसार में ज्योति फैलाई।।
  2. धैर्य धर्म का दिया उपदेश।
    जनकदुलारी तुम अविनेश।।
  3. सीता भवानी जगत कल्याणी।
    भक्तों पर सदा करो कृपानी।।
  4. राम नाम की ज्योति जलाओ।
    भवसागर से पार कराओ।।
  5. करुणा के अद्भुत रूप दिखाए।
    भक्तों को मार्ग सदा सिखाए।।
  6. राम कथा में सदा रमाना।
    भक्तों को सन्मार्ग दिखलाना।।
  7. सीता चरणों में शीश झुकाए।
    राम भक्त सब सुख पाए।।
  8. लंका पर विजय दिलवाई।
    रघुवर संग तुम जगत सुझाई।।
  9. दशरथनंदन संग सिया प्यारी।
    सदा बनी हो उनकी सहचरी।।
  10. राम की मूरत सिया भवानी।
    सब पर करो कृपा की वाणी।।
  11. राम संग वन में रही सहाई।
    सुख-दुख में दिखी पराई।।
  12. सिया राम का प्रेम अनोखा।
    कभी न देखा ऐसा जोखा।।
  13. सती धर्म का दिया उदाहरण।
    भक्तों को मिला पावन जीवन।।
  14. सिया राम कृपा से जीवन।
    सुखमय होता है हर क्षण।।
  15. राम-सिया का जप करिए।
    हर संकट से छुटकारा पाइए।।
  16. सिया कृपा से जीवन सुफल।
    हर भक्त का मन सदा अटल।।
  17. जनकसुत सिया राम की प्यारी।
    करुणा सागर जग उद्धारी।।
  18. सीता माता से प्रार्थना करें।
    राम प्रेम में सदा रमण करें।।
  19. सिया राम से सदा भरोसा।
    जीवन में हर लो हर दोषा।।
  20. जय जय माता सीता भवानी।
    भक्तों पर सदा करो कृपानी।।

दोहा:

सीता माता कृपा कर, सुख-शांति प्रदान।
भक्तों की हर पीड़ा हर, राम करें कल्याण।

यह सीता चालीसा भक्तों के लिए माता सीता की कृपा पाने का मार्ग है। इसे सच्चे मन और श्रद्धा से पढ़ें।


लाभ

  1. जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है।
  2. पारिवारिक सुख-शांति में वृद्धि करता है।
  3. आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  4. आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
  5. मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
  6. आत्मबल को सशक्त करता है।
  7. रिश्तों में मधुरता लाता है।
  8. मानसिक तनाव को कम करता है।
  9. बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाता है।
  10. सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  11. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  12. भक्त को भगवान राम और माता सीता का आशीर्वाद मिलता है।
  13. भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा करता है।
  14. विद्यार्थियों को ज्ञान और सफलता प्रदान करता है।
  15. स्वास्थ्य समस्याओं को कम करता है।
  16. आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाता है।
  17. जीवन में धर्म और कर्म की ओर प्रेरित करता है।

विधि

दिन और अवधि

माता सीता चालीसा पाठ के लिए शुक्रवार या मंगलवार का दिन शुभ माना जाता है। पाठ की अवधि 41 दिन तक रखें।

मुहूर्त

ब्राह्म मुहूर्त या संध्या समय पाठ के लिए सबसे शुभ समय होता है। यह समय भक्त के मन को शांत करता है।

Aghor lakshmi sadhana shivir


नियम

  1. पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
  2. साधना को गुप्त रखें और दिखावा न करें।
  3. पाठ करते समय मन को स्थिर रखें।
  4. पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  5. पाठ के दौरान माता सीता का ध्यान करते रहें।
  6. व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करें।

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सावधानियां

  1. अशुद्ध स्थान पर पाठ न करें।
  2. ध्यान भंग होने से बचें।
  3. नकारात्मक विचारों को मन में स्थान न दें।
  4. पूजा सामग्री में किसी भी प्रकार की कमी न रखें।
  5. पाठ समाप्ति के बाद धन्यवाद अवश्य करें।

Lakshmi kaudi sadhana with diksha


माता सीता चालीसा पाठ के प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: माता सीता चालीसा पाठ का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: माता सीता चालीसा पाठ का उद्देश्य भक्ति, शांति और समस्याओं का समाधान पाना है।

प्रश्न 2: चालीसा पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

उत्तर: चालीसा पाठ 41 दिनों तक करना चाहिए।

प्रश्न 3: पाठ का शुभ समय कौन-सा है?

उत्तर: ब्राह्म मुहूर्त और संध्या समय सबसे शुभ हैं।

प्रश्न 4: क्या चालीसा पाठ गुप्त रखना चाहिए?

उत्तर: हाँ, साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए।

प्रश्न 5: पाठ के दौरान क्या सावधानी रखें?

उत्तर: पाठ में ध्यान भंग न होने दें और स्वच्छता का ध्यान रखें।

प्रश्न 6: क्या माता सीता चालीसा पाठ व्रत के बिना किया जा सकता है?

उत्तर: हाँ, लेकिन व्रत रखने से इसका प्रभाव बढ़ता है।

प्रश्न 7: चालीसा पाठ से कौन-से लाभ होते हैं?

उत्तर: मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और आध्यात्मिक जागृति होती है।

प्रश्न 8: क्या पाठ के लिए किसी विशेष दिशा का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: पूजास्थल पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

प्रश्न 9: क्या इस पाठ से हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है?

उत्तर: हाँ, सच्चे मन से किया गया पाठ हर मनोकामना पूर्ण करता है।

प्रश्न 10: पाठ के दौरान कौन-सी भक्ति सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: दीपक, फूल, चंदन और माता सीता की प्रतिमा या चित्र।

प्रश्न 11: पाठ में कितनी बार चालीसा पढ़नी चाहिए?

उत्तर: एक बार में पूरी चालीसा पढ़ें। अधिक भक्तिभाव से तीन बार पढ़ सकते हैं।

प्रश्न 12: क्या माता सीता चालीसा पाठ सभी कर सकते हैं?

उत्तर: हाँ, यह पाठ हर कोई कर सकता है।


माता सीता चालीसा पाठ करने से न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, बल्कि जीवन की हर कठिनाई का समाधान भी मिलता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से माता सीता की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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