Buy now

spot_img
spot_img

Matangi avahan mantra for success in your dreams

मातंगी आवाहन मंत्र – कला, वाणी और विद्या में सिद्धि का सरल मार्ग

मातंगी देवी दस महाविद्याओं में से एक हैं और ज्ञान, कला, संगीत, वाणी, और विद्या की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। इन्हें देवी सरस्वती का तांत्रिक रूप माना जाता है, जो साधक को मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं। मातंगी मंत्र का जप विशेष रूप से उन साधकों के लिए उपयोगी है, जो कला, संगीत, लेखन, और वाणी में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। इस मंत्र के माध्यम से देवी मातंगी को आवाहन किया जाता है, जिससे साधक को बुद्धि, विवेक, और वाणी में प्रखरता प्राप्त होती है।

मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र:
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं मातंग्यै आवाहयामि
अर्थ:

  • “ॐ” ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • “ह्रीं” देवी की आध्यात्मिक शक्ति का बीज मंत्र है, जो शुद्धता और शक्ति को दर्शाता है।
  • “श्रीं” धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक है।
  • “क्लीं” प्रेम, आकर्षण और विजय का बीज मंत्र है।
  • “ऐं” विद्या, वाणी और बुद्धि का मंत्र है।
  • “मातंग्यै” देवी मातंगी को संबोधित करता है, और “आवाहयामि” का अर्थ है “मैं आपको आवाहन करता हूँ।”
    इस मंत्र के माध्यम से साधक देवी मातंगी को आमंत्रित करता है और उनसे बुद्धि, वाणी, और कला की सिद्धि के लिए प्रार्थना करता है।

मंत्र के लाभ

  1. वाणी में मधुरता और आकर्षण का संचार होता है।
  2. कला, संगीत और लेखन में सिद्धि प्राप्त होती है।
  3. विद्या और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  4. मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  5. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  6. बोलने की क्षमता में सुधार होता है।
  7. तर्कशक्ति और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
  8. आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  9. जीवन में समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
  10. संचार कौशल में सुधार होता है।
  11. रिश्तों में सामंजस्य और प्रेम की वृद्धि होती है।
  12. भय और अवसाद का नाश होता है।
  13. देवी मातंगी की कृपा से सभी प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं।
  14. शिक्षा और करियर में सफलता मिलती है।
  15. रचनात्मकता और नई सोच को बल मिलता है।

मंत्र विधि

मातंगी आवाहन मंत्र जप की विधि में खास तौर पर ध्यान और संकल्प की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह साधना किसी विशेष दिन और मुहूर्त में शुरू की जाती है, ताकि साधक को अधिकतम लाभ मिल सके।

दिन और अवधि

मंत्र जप का शुभ आरंभ किसी भी शुक्ल पक्ष के बुधवार को किया जा सकता है। देवी मातंगी की पूजा के लिए शुक्ल पक्ष के दिनों को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। जप की अवधि कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिनों तक होनी चाहिए, ताकि साधक को पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

मुहूर्त

मंत्र जप का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 4:00 से 6:00 बजे तक) का माना जाता है। इस समय मन शांत और एकाग्र होता है, जिससे साधना का प्रभाव अधिक होता है।

मातंगी आवाहन मंत्र जप विधि

इस साधना में प्रतिदिन 11 माला का जप करना आवश्यक है। एक माला में 108 मंत्र होते हैं, जिससे कुल 1188 मंत्र प्रतिदिन जप किए जाते हैं। यह साधना 11, 15, या 21 दिनों तक की जा सकती है। जप करते समय देवी मातंगी का ध्यान करें और मन को एकाग्र रखें।

मातंगी आवाहन मंत्र सामग्री

मंत्र जप के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं:

  • हरे या पीले रंग का आसन
  • स्फटिक या तुलसी की माला
  • शुद्ध जल, फूल, और मिठाई के रूप में भोग
  • दीपक, अगरबत्ती, और कपूर

मातंगी आवाहन मंत्र जप के नियम

मंत्र जप करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है:

  1. साधक की आयु 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी इस मंत्र जप को कर सकते हैं।
  3. नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
  4. धूम्रपान, मदिरा, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. जप के पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  7. मन को एकाग्र और शांत रखें, और पूरी श्रद्धा से देवी का आवाहन करें।

Know more about kali mantra

मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ

  • साधना की समाप्ति के बाद देवी को अर्घ्य और प्रसाद अर्पित करना न भूलें।
  • जप करते समय मन में नकारात्मक विचार न आने दें।
  • साधना के दौरान अनावश्यक बातचीत और व्यस्तता से बचें।
  • जप के समय पूरी एकाग्रता बनाए रखें और ध्यान भंग न होने दें।
  • साधना के बीच किसी को भी इसके बारे में जानकारी न दें।
  • मन में कोई संदेह या भय न रखें, देवी मातंगी पर पूर्ण विश्वास रखें।

Spiritual store

मातंगी आवाहन मंत्र: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मातंगी कौन हैं?
मातंगी, दशमहाविद्याओं में से एक हैं और वे विद्या, वाणी, संगीत और कला की देवी मानी जाती हैं। उन्हें विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं में पूजा जाता है।

2. मातंगी आवाहन मंत्र क्या है?
मातंगी आवाहन मंत्र है:
“ॐ ह्रीं क्लीं हूम मातंग्यै फट् स्वाहा।”

3. मातंगी आवाहन मंत्र का जाप कैसे और कब करना चाहिए?
मातंगी आवाहन मंत्र का जाप प्रातःकाल या सायंकाल में स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर किया जा सकता है। मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्र रखें और पूर्ण श्रद्धा के साथ जाप करें।

4. मातंगी की पूजा कैसे की जाती है?
मातंगी की पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें हरी पत्तियां, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें और मंत्र जाप करें।

5. मातंगी आवाहन मंत्र जाप करने से क्या लाभ होते हैं?
मातंगी आवाहन मंत्र जाप करने से व्यक्ति को ज्ञान, विद्या, कला और वाणी में दक्षता प्राप्त होती है। यह मंत्र जाप करने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

6. मातंगी आवाहन मंत्र जाप करने से कितने दिनों में फल मिलता है?
मंत्र जाप का फल व्यक्ति की श्रद्धा, समर्पण, और निरंतरता पर निर्भर करता है। नियमित जाप करने से शीघ्र ही शुभ परिणाम मिलते हैं।

7. क्या मातंगी आवाहन मंत्र जाप किसी विशेष संख्या में करना चाहिए?
मंत्र जाप की संख्या व्यक्ति की श्रद्धा और समय पर निर्भर करती है, लेकिन 108 बार जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

8. मातंगी का व्रत कैसे रखा जाता है?
मातंगी का व्रत श्रद्धा और नियम के साथ रखा जाता है। व्रतधारी दिनभर उपवास रखते हैं और संध्या के समय देवी की पूजा करते हैं।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency