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Matangi sadhana for fulfil your dreams

महाविद्या भुवनेश्वरी साधना एक प्रकार की प्रमुख साधना मानी जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य भगवती भुवनेश्वरी (भुवनेश्वरी देवी) की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस साधना से मनुष्य की योग्यता कई गुना बढ जाती है। अगर आप अपने जीवन मे कुछ बडा करना चाहते है तो भुवनेश्वरी साधना करना अनिवार्य है। इस साधना के द्वारा कई लाभ मिलते जैसे कि:

  1. मानसिक शांति: भुवनेश्वरी साधना से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है और व्यक्ति में शांति का अनुभव होता है।
  2. समृद्धि: इस साधना से आर्थिक और सामाजिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य: भुवनेश्वरी साधना से शरीर के रोग दूर होते हैं और स्वास्थ्य बना रहता है।
  4. सुख-शांति: इस साधना से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार के सभी सदस्यों के बीच समरसता आती है।
  5. संबंधों की सुधार: भुवनेश्वरी साधना से संबंधों में मेलजोल और समरसता आती है और विवादों का समाधान होता है।
  6. कामना पूर्ति: इस साधना से अपनी सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं और व्यक्ति की इच्छाओं की प्राप्ति होती है।
  7. साधक के गुणों का विकास: भुवनेश्वरी साधना से साधक के गुणों में सुधार होता है और उसमें धैर्य, संयम, और सहिष्णुता जैसे गुण विकसित होते हैं।
  8. आत्म-विश्वास: इस साधना से आत्म-विश्वास मजबूत होता है और व्यक्ति अपनी क्षमताओं में विश्वास करने लगता है।
  9. धार्मिक उत्थान: भुवनेश्वरी साधना से धार्मिक उत्थान होता है और व्यक्ति का आत्मा के प्रति समर्पण बढ़ता है।
  10. कल्याणकारी सेवा: इस साधना से व्यक्ति का भला करने की भावना बढ़ती है और वह समाज में कल्याणकारी सेवा करने के लिए प्रेरित होता है।
  11. अध्यात्मिक विकास: भुवनेश्वरी साधना से व्यक्ति का अध्यात्मिक विकास होता है और उसका आत्मा के साथ संबंध मजबूत होता है।
  12. समस्याओं का हल: इस साधना से समस्याओं का निवारण होता है और व्यक्ति की जीवन में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

Here’s a structured outline for your Matangi Sadhana Mantra content:

मातंगी साधना मंत्र

मातंगी देवी को तंत्र साधना में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वे विद्या, कला और संगीत की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। मातंगी साधना से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति प्राप्त होती है। यह साधना मानसिक शांति और आत्म-साक्षात्कार के लिए अत्यंत लाभकारी है।

मातंगी मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होता है। साधक की वाणी में विशेष प्रभाव और आकर्षण आ जाता है। यह साधना उच्च आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए की जाती है। मातंगी साधना विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी होती है जो शिक्षा, संगीत या कला के क्षेत्र में सफलता चाहते हैं।

साधना के दौरान मंत्रों का सही उच्चारण अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मातंगी मंत्र जाप में साधक को पूर्ण एकाग्रता बनाए रखनी होती है। मातंगी मंत्र साधना में अनुशासन और नियमों का पालन भी आवश्यक होता है। यह साधना आत्मिक उन्नति के साथ-साथ सांसारिक इच्छाओं को भी पूरा करने में सहायक होती है।

MANTRA- “OM HREEM MAATANGESHWARI NAMAHA”

“ॐ ह्रीं ऐं क्लीं मातंग्यै नमः।”

इस मंत्र का 11 माला 11 दिन जाप करना चाहिए। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप साधक के जीवन में शुभता लाता है।

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मातंगी मंत्र प्रश्न और उत्तर

प्र. 1: मातंगी साधना क्यों की जाती है?
मातंगी साधना बुद्धि, वाणी और कला के विकास के लिए की जाती है।

प्र. 2: इस साधना के लाभ क्या हैं?
साधना से आत्मबल, आकर्षण और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

प्र. 3: मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?
मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।

प्र. 4: क्या मातंगी साधना हर कोई कर सकता है?
हाँ, योग्य गुरु की देखरेख में साधना हर कोई कर सकता है।

प्र. 5: इस साधना के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?
पूर्णिमा और बुधवार इस साधना के लिए शुभ माने जाते हैं।

प्र. 6: साधना में किस दिशा की ओर मुख करना चाहिए?
उत्तर दिशा की ओर मुख करके साधना करना शुभ होता है।

प्र. 7: क्या साधना के दौरान नियमों का पालन करना आवश्यक है?
जी हाँ, नियम और अनुशासन का पालन साधना में सफलता दिलाता है।

प्र. 8: मातंगी साधना के लिए कौन सा समय सर्वोत्तम है?
सुबह ब्रह्म मुहूर्त का समय सर्वोत्तम माना जाता है।

प्र. 9: क्या इस साधना से सांसारिक इच्छाएं पूरी होती हैं?
हाँ, साधना से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।

प्र. 10: मातंगी साधना में कौन से नियम आवश्यक हैं?
साधना के दौरान संयम और नियमों का पालन अनिवार्य है।

प्र. 11: साधना कितने दिनों तक करनी चाहिए?
यह साधना कम से कम 41 दिनों तक निरंतर करनी चाहिए।

प्र. 12: क्या साधना के दौरान विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
साधना के लिए विशेष सामग्री जैसे पीले वस्त्र और हरे रंग की माला का उपयोग किया जाता है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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