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Matsya Vishnu Mantra for human savior

जगत का उद्धार करने वाले मत्स्य विष्णु भगवान विष्णु के पहले अवतार के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें मछली के रूप में चित्रित किया जाता है, जो अक्सर सुनहरे रंग की होती है। भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था ताकि सृष्टि को एक महान जलप्रलय से बचाया जा सके। इस अवतार का मुख्य उद्देश्य मनु को महान प्रलय के समय बचाना और वेदों की रक्षा करना था। जब पृथ्वी पर महाप्रलय का समय आया, तो भगवान विष्णु ने मत्स्य का रूप धारण करके मनु और सप्तऋषियों को एक नौका में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। सामान्य रूप से कहे तो मनुष्य को हर विघ्न बाधा सेमत्स्य भगवान बचाते है।

मत्स्य विष्णु मंत्र का संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ दं मत्स्यरूपाय नम:

अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है कि मैं उस भगवान विष्णु को नमन करता हूँ, जिन्होंने मत्स्य (मछली) का रूप धारण किया।

यह मंत्र भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की स्तुति करता है, जिसमें उन्होंने पृथ्वी और वेदों की रक्षा की।

लाभ

  1. संकट निवारण: जीवन के सभी संकटों का निवारण होता है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक विकास और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  3. मानसिक शांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
  4. सुरक्षा: जीवन में सुरक्षा और संरक्षा की अनुभूति होती है।
  5. पापों का नाश: पिछले पापों का नाश होता है।
  6. धन समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  7. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  8. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  9. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख और शांति का वास होता है।
  10. ज्ञान की प्राप्ति: ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  11. संतान सुख: संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  12. सफलता: कार्यों में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
  13. भय का नाश: सभी प्रकार के भय का नाश होता है।
  14. सात्विकता: सात्विक गुणों की वृद्धि होती है।
  15. मन की एकाग्रता: मन की एकाग्रता और ध्यान की शक्ति बढ़ती है।
  16. धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  17. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिलती है।
  18. शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश और सुरक्षा मिलती है।
  19. संतोष: जीवन में संतोष और संतुलन का अनुभव होता है।
  20. सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

विधि

  1. दिन: मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
  2. अवधि: प्रतिदिन एक बार मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ करना चाहिए। इसे 40 दिनों तक निरंतर करना उत्तम होता है।
  3. मुहुर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या संध्या के समय मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।

मंत्र के नियम

  1. स्नान: पाठ करने से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. आसन: एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर आसन लगाएं।
  3. ध्यान: भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का ध्यान और उनकी छवि को मन में स्थापित करें।
  4. श्रद्धा: पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।
  5. शुद्धता: मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें।

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सावधानियाँ

  1. ध्यान केंद्रित करें: पाठ के समय ध्यान को इधर-उधर न भटकाएं।
  2. श्रद्धा और भक्ति: पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ ही पाठ करें।
  3. व्यवधान न हो: पाठ के समय किसी भी प्रकार का व्यवधान न आने दें।
  4. सात्त्विक भोजन: पाठ के दौरान सात्त्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करें।
  5. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करें, बीच में न छोड़ें।

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मत्स्य विष्णु मंत्र से संबंधित सामान्य प्रश्न

  1. मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ कब करना चाहिए?
    • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या संध्या के समय।
  2. मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ किस दिन करना चाहिए?
    • किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन गुरुवार विशेष रूप से लाभकारी होता है।
  3. क्या मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ केवल विशेष अवसरों पर करना चाहिए?
    • नहीं, इसे नियमित रूप से किया जा सकता है।
  4. मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • प्रतिदिन एक बार पाठ करना चाहिए, और इसे 40 दिन तक निरंतर करना उत्तम होता है।
  5. क्या मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम हैं?
    • हाँ, स्वच्छता, श्रद्धा, और नियमितता का पालन करना चाहिए।
  6. मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
    • मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और संकट निवारण।
  7. क्या मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ आर्थिक उन्नति में सहायक होता है?
    • हाँ, आर्थिक समस्याओं से मुक्ति और उन्नति होती है।
  8. क्या मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
    • हाँ, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  9. मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ कौन कर सकता है?
    • कोई भी श्रद्धालु व्यक्ति कर सकता है।
  10. मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ किस स्थान पर करना चाहिए?
    • स्वच्छ और शांत स्थान पर।
  11. क्या मत्स्य विष्णु मंत्र का पाठ शत्रु नाश में सहायक होता है?
    • हाँ, शत्रुओं का नाश और सुरक्षा मिलती है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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