Mesh Sankranti Vrat – Rituals, Significance, & Benefits
मेष संक्रांति व्रत २०२५ – विधि, मुहूर्त और अद्भुत लाभ
मेष संक्रांति व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह सूर्य के मेष राशि में प्रवेश का प्रतीक है। इस दिन को विशेष रूप से धर्म, कर्म और पूजा-पाठ के लिए शुभ माना जाता है। यह व्रत व्यक्ति को शुद्धि, आत्म-बल और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
मेष संक्रांति व्रत का मुहूर्त २०२४
मेष संक्रांति तिथि: 14 अप्रैल 2025
समय: सुबह 4:26 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
इस समय के बीच व्रत का आयोजन करना शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करें और व्रत के सभी नियमों का पालन करें। मेष संक्रांति व्रत उस दिन मनाया जाता है जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। यह आमतौर पर हर साल अप्रैल के मध्य में होता है। इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय विशेष पूजन और दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
व्रत विधि और मंत्र
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य भगवान की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें।
- “ॐ सूं सूर्याय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- दिनभर व्रत रखें और सूर्यास्त के समय संकल्प लेकर व्रत का पालन करें।
व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं
खाएं: फल, दूध, दही, साबूदाना, और सात्विक भोजन।
न खाएं: मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, तला-भुना खाना।
मेष संक्रांति व्रत से लाभ
- मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- शारीरिक ऊर्जा में सुधार होता है।
- मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- आत्मविश्वास बढ़ता है।
- ग्रह दोषों का निवारण होता है।
- कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
- परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- समाज में सम्मान बढ़ता है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।
- करियर में उन्नति होती है।
- सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
व्रत के नियम
- प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठें।
- स्वच्छता और संयम का पालन करें।
- सात्विक भोजन करें।
- दिनभर श्रद्धा और भक्ति से व्रत का पालन करें।
- दान और पुण्य के कार्य करें।
मेष संक्रांति व्रत की संपूर्ण कथा
एक प्राचीन कथा के अनुसार, सूर्य भगवान हर साल एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। मेष राशि में प्रवेश को विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि इसे नए साल की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
मेष संक्रांति व्रत की कथा का आरंभ एक बार की बात से होता है। एक गाँव में एक देवव्रत नामक व्यक्ति रहता था। वह हमेशा भगवान सूर्य की पूजा करता था। उसकी भक्ति से प्रभावित होकर सूर्य देव उसे दर्शन देने आए।
सूर्य देव ने कहा, “देवव्रत ! तुम्हारी भक्ति अद्भुत है। मैं तुम्हें एक वरदान देता हूँ।” भक्त ने कहा, “हे भगवान, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”
सूर्य देव ने कहा, “हर वर्ष मेष संक्रांति के दिन व्रत रखो। इससे तुम्हारे सभी दुख दूर होंगे।” भक्त ने व्रत का पालन शुरू किया।
वह हर साल मेष संक्रांति पर उपवास करता था। इसके फलस्वरूप उसके जीवन में सुख और समृद्धि आई। गाँव के लोग उसकी भक्ति को देखकर प्रभावित हुए। उन्होंने भी मेष संक्रांति का व्रत रखना शुरू किया। इस प्रकार, मेष संक्रांति व्रत का महत्व बढ़ता गया। लोग इसे श्रद्धा से मनाने लगे। व्रत के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर पूजा की जाती है। लोग सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन विशेष भोजन का सेवन किया जाता है। तिल, गुड़ और चिउड़े का विशेष महत्व होता है। मेष संक्रांति का व्रत केवल व्यक्तिगत सुख के लिए नहीं, बल्कि समाज के कल्याण के लिए भी किया जाता है। इस दिन को मनाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भक्तों की भक्ति और श्रद्धा से इस दिन का महत्व बढ़ता है।
भोग
इस व्रत में सूर्य भगवान को गुड़, तिल, खीर, फल और जल अर्पित किया जाता है। यह भोग शुद्धि और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है।
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व्रत की शुरुआत और समाप्ति
व्रत की शुरुआत प्रातः स्नान और पूजन से करें। व्रत का समापन सूर्यास्त के समय पूजा और अर्घ्य देकर करें।
व्रत के दौरान सावधानियां
- व्रत में मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
- किसी प्रकार की हिंसा, अपशब्द या नकारात्मक विचारों से बचें।
- श्रद्धा और धैर्य से व्रत का पालन करें।
मेष संक्रांति व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: मेष संक्रांति व्रत क्यों करते हैं?
उत्तर: सूर्य के मेष राशि में प्रवेश का स्वागत करने और आत्म-शुद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है।
प्रश्न 2: व्रत का समय क्या है?
उत्तर: मेष संक्रांति के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखा जाता है।
प्रश्न 3: व्रत में क्या खाएं?
उत्तर: सात्विक भोजन जैसे फल, दूध, दही, और साबूदाना खाएं।
प्रश्न 4: क्या मेष संक्रांति व्रत में अन्न खा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, इस व्रत में अन्न का सेवन वर्जित होता है।
प्रश्न 5: मेष संक्रांति व्रत का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर: ग्रह दोषों से मुक्ति और सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
प्रश्न 6: व्रत में स्नान का क्या महत्व है?
उत्तर: शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए प्रातःकाल स्नान आवश्यक है।
प्रश्न 7: व्रत में कौन सा मंत्र जाप करें?
उत्तर: “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
प्रश्न 8: क्या मेष संक्रांति व्रत में जल का अर्घ्य देना आवश्यक है?
उत्तर: हां, जल का अर्घ्य देकर सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए।
प्रश्न 9: क्या व्रत के दौरान उपवास अनिवार्य है?
उत्तर: हां, इस व्रत में उपवास रखना अनिवार्य है।
प्रश्न 10: व्रत में कौन से कार्य वर्जित हैं?
उत्तर: हिंसा, अपशब्द, और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
प्रश्न 11: क्या व्रत से ग्रह दोष दूर होते हैं?
उत्तर: हां, यह व्रत ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाता है।
प्रश्न 12: क्या मेष संक्रांति व्रत में दान का महत्व है?
उत्तर: हां, इस दिन दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।