माता नवदुर्गा की कृपा यानी दुनिया का हर सुख आपकी मुट्ठी मे!
नवदुर्गा माता मे देवी के नौ रूप समाहित होते है. इनकी कृपा से जीवन का हर सुख प्राप्त होता है. इन नौ रूपों की पूजा किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या नवरात्रि के दौरान की जाती है। नव दुर्गा, माता दुर्गा के नौ रूप हैं, जो साधकों को जीवन में मार्गदर्शन, मनोकामनाओं की पूर्ति, और सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये नौ रूप हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। हर देवी का अपना विशेष मंत्र और पूजन विधि है जो साधकों को अद्वितीय लाभ प्रदान करती है। नवदुर्गा माता के नौ रूप इस तरह हैं:
- शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती माता को शैलपुत्री भी कहा जाता है
- ब्रह्मचारिणी: तपस्या द्वारा शिव को पाने के बाद पार्वती माता ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं।
- चंद्रघंटा: जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक है।
- कूष्मांडा: ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है।
- स्कंदमाता: कार्तिकेय की माता होने के कारण पार्वती माता स्कंदमाता कहलाती हैं।
- कात्यायनी: महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था।
- कालरात्रि: दुष्टों का नाश करने के लिए माता का यह रूप है।
- महागौरी: शिव के साथ विवाह के बाद पार्वती माता महागौरी कहलाती हैं।
- सिद्धिदात्री: सिद्धियों को देने वाली माता का यह रूप है।
नवरात्रि के दौरान, भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न उपाय करते हैं। कुछ लोग व्रत रखते हैं, कुछ लोग कन्या पूजन करते हैं, और कुछ लोग दान-पुण्य करते हैं।
नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार भक्तों को देवी दुर्गा की शक्ति और कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है.
नवदुर्गा मंत्र
॥ॐ ऐं ह्रीं नवदुर्गाये क्लीं दुं नमः॥
– शैलपुत्री: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।”
– ब्रह्मचारिणी: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।”
– चंद्रघंटा: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।”
– कूष्मांडा: “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः।”
– स्कंदमाता: “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।”
– कात्यायनी: “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।”
– कालरात्रि: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।”
– महागौरी: “ॐ देवी महागौर्यै नमः।”
– सिद्धिदात्री: “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।”
नव दुर्गा साधना विधि
1. सामग्री: स्वच्छ स्थान, लाल वस्त्र, पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, चंदन, नव दुर्गा की मूर्ति या चित्र, और मंत्र की पुस्तक।
2. स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. स्थान चयन: एक शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें।
4. आसन: लाल वस्त्र पर आसन बिछाकर बैठें।
5. मूर्ति या चित्र: नव दुर्गा की मूर्ति या चित्र को अपने सामने रखें।
6. पूजन: देवी को पुष्प, धूप, दीपक, कुमकुम, और चंदन अर्पित करें।
7. मंत्र जाप: हर देवी के मंत्र का 108 बार जाप करें।
8. ध्यान: हर देवी का ध्यान करें और उनसे अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
9. स्वप्न में प्रश्न: साधना के बाद, सोते समय अपने मन में प्रश्न करें और देवी से स्वप्न में उत्तर प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
10. अवधि: इस विधि को 9 दिनों तक नियमित रूप से करें।
नव दुर्गा मंत्र के लाभ
1. स्वप्न में उत्तर: देवी साधक को स्वप्न में उनके प्रश्नों के उत्तर देती हैं।
2. भविष्य दृष्टि: साधक को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
3. समस्या समाधान: देवी साधक की समस्याओं का समाधान करती हैं।
4. भयमुक्ति: साधक को भय से मुक्ति मिलती है।
5. सकारात्मक ऊर्जा: साधक के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
6. मानसिक शांति: साधक को मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
7. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
8. सफलता: देवी साधक के कार्यों में सफलता प्रदान करती हैं।
9. स्वास्थ्य: देवी की कृपा से साधक स्वस्थ और निरोगी रहता है।
10. समृद्धि: देवी की उपासना से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
11. शत्रुओं से रक्षा: देवी साधक को शत्रुओं से रक्षा करती हैं।
12. परिवार की सुख-शांति: देवी की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
13. आत्मविश्वास: साधक का आत्मविश्वास बढ़ता है।
14. सपनों की सच्चाई: साधक के सपने सच्चे और स्पष्ट होते हैं।
15. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव: देवी की कृपा से प्राकृतिक आपदाओं से बचाव होता है।
16. प्रेम में सफलता: साधक को प्रेम में सफलता मिलती है।
17. विवाह में सफलता**: साधक के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
18. संतान प्राप्ति: साधक को संतान सुख प्राप्त होता है।
19. सत्संग का लाभ: साधक को संतों का संग प्राप्त होता है।
20. दिव्य दृष्टि: साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।
नव दुर्गा साधना का दिन
नव दुर्गा की साधना के लिए नवरात्रि के 9 दिन सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। इसके अलावा, प्रतिदिन सुबह और शाम का समय भी साधना के लिए उपयुक्त होता है।
मुहुर्थः किसी भी मंगलवार, शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक, नवरात्रि.
सावधानियां
1. स्थान का चयन: साधना का स्थान शांत, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।
2. सामग्री की शुद्धता: साधना में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।
3. मन की शुद्धता: साधना करते समय मन को शुद्ध और एकाग्र रखना चाहिए।
4. नियमितता: साधना को नियमित रूप से करें और विधि का पालन करें।
5. सात्विक भोजन: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक पदार्थों से बचें।
6. समर्पण और श्रद्धा: साधना के दौरान देवी के प्रति समर्पण और श्रद्धा बनाए रखें।
7. संयम: साधना के दौरान संयम बरतें और अनावश्यक बातों से बचें।
8. अविचलता: साधना के दौरान किसी भी प्रकार की अविचलता या विचलन से बचें।
9. साफ सफाई: साधना स्थल और स्वयं की स्वच्छता का ध्यान रखें।
10. विधि का पालन: साधना की विधि का पूर्ण पालन करें और किसी भी प्रकार की चूक से बचें।
ध्यान रखे
नव दुर्गा की साधना अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य होती है। साधना के दौरान साधक को पूर्ण एकाग्रता और श्रद्धा बनाए रखनी चाहिए। देवी की कृपा से साधक को अपने जीवन की समस्याओं का समाधान, भविष्य की दृष्टि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है। साधना के दौरान निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
1. स्थान का चयन: साधना का स्थान स्वच्छ, शांत, और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।
2. सामग्री की शुद्धता: साधना में उपयोग की जाने वाली सामग्री शुद्ध और पवित्र होनी चाहिए।
3. मन की शुद्धता: साधना करते समय मन को शुद्ध और एकाग्र रखना चाहिए।
4. नियमितता: साधना को नियमित रूप से करें और विधि का पालन करें।
5. सात्विक भोजन: साधना के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक पदार्थों से बचें।
नव दुर्गा की साधना से साधक को जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि का मार्ग प्राप्त होता है। देवी की कृपा से साधक को उनके जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन और सहायता मिलती है। साधना के बाद साधक को देवी का धन्यवाद देना चाहिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। साधना के माध्यम से साधक को दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं और वे देवी की कृपा से अपने जीवन की सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। नव दुर्गा की साधना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति, और जीवन की हर कठिनाई का समाधान मिलता है।