Buy now

spot_img
spot_img

Neel Saraswati Chalisa for Wisdom

योग्यता निखारने वाली नील सरस्वती चालीसा का पाठ जो भी भक्त कर लेता है उसके जीवन मे लगातार उन्नति होती रहती है। ये महाविद्या तारा का स्वरूप मानी जाती है। नील सरस्वती माता को विद्या, संगीत, कला और विज्ञान की देवी माना जाता है। नील सरस्वती का अर्थ है नीले रंग की सरस्वती, जो विशेष रूप से ज्ञान और वैदिक साधना के लिए पूजित होती हैं। इस चालीसा का पाठ करने से विद्यार्थियों को बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

संपूर्ण नील सरस्वती चालीसा

नील सरस्वती चालीसा के अंतर्गत देवी सरस्वती की स्तुति की जाती है। यहाँ संपूर्ण नील सरस्वती चालीसा दी जा रही है:

चौपाई:

श्री गणेश गुरु पद सिर नावा।

नील सरस्वती चालीसा गावाँ।

करूँ ध्यान धूम्रलोचन ताता।

हर शिव सुमिरौं भवानी माता।।

जय नील सरस्वती भवानी।

सुर नर मुनि जन पूजित जानी।

जयति जयति जगत जननी माता।

भव भय हारिणि दु:ख निस्ताता।।

काल रात्रि तूं कालिक काया।

विध्न विनाशिनी कष्ट हराया।

मंगल रूप अनंग बिनाशा।

विष्णु प्रिया सुख संपति दासा।।

मोहि प्रसन्न भव भव भय हारिणि।

विपद हर सुमिरौं भव तारिणि।

धूप दीप अरु नेवैध चढ़ाऊँ।

नील सरस्वती मातहि नित पाऊँ।।

चारों वेद पुराण जग माही।

सत सहस्त्र ओंकार कहाही।

जो नर जाप करै मन लाई।

सर्व सिद्ध करै सुख पाई।।

चतुराई विद्या बुधि बढ़ाई।

सकल कामना कष्ट मिटाई।

गायत्री बृह्मा वैष्णवी माता।

शिव के संग शंकरि सुख दाता।।

दीनदयालु मातु भवानी।

नित नव मंगल लीला ज्ञानी।

विपति बिनाशन वार्ता समुझाऊँ।

निज जन की सब विपति मिटाऊँ।।

हर शशि बदन तीन नयन सोहा।

शिवललाट पद पंकज सोहा।

कर त्रिशूल खड़ग वरदायी।

महिषासुर मर्दिनि दु:ख नाशिनी।।

बज्र शारदा शुम्भ निशुम्भ संहारी।

मधु कैटभ दैत्य दुखारी।

माँ विंध्यवासिनी पूजा करूँ।

सतत साधक के संकट हरूँ।।

सिद्धि दात्री जग कल्याणी।

नील सरस्वती कृपा सुखदानी।

जो जन जाप करै मन लाई।

सर्व सिद्धि करै सुख पाई।।

दोहा:

जेहि सुमिरत सिद्धि सब होत।

रिद्धि सँग सर्व विद्या देत।

रोग शोक सब मिटे समूल।

नाम जाप नित हिय अति कूल।।

नील सरस्वती चालीसा के लाभ

  1. बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति: नील सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  2. विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद: यह चालीसा विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभकारी मानी जाती है, जो पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते।
  3. मानसिक शांति: इसका पाठ मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  4. रचनात्मकता में वृद्धि: कला, संगीत और अन्य रचनात्मक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  5. संकटों से मुक्ति: जीवन के विभिन्न संकटों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
  6. शत्रु से रक्षा: शत्रुओं से रक्षा और उनसे छुटकारा मिलता है।
  7. तंत्र साधना में सफलता: तंत्र साधना करने वालों के लिए यह चालीसा विशेष रूप से फलदायी होती है।
  8. सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  9. शुभ फल: जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  10. सफलता और समृद्धि: कार्यक्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
  11. संतान सुख: जिनके संतान नहीं है, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
  12. दुश्मनों से मुक्ति: दुश्मनों और विरोधियों से मुक्ति मिलती है।
  13. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  14. धन-धान्य की वृद्धि: घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  15. मनोकामनाओं की पूर्ति: व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  16. शांति और सुख: घर में शांति और सुख का माहौल बनता है।
  17. दु:ख-दर्द का नाश: जीवन के सभी दु:ख-दर्द का नाश होता है।
  18. संतोष और आनंद: जीवन में संतोष और आनंद की प्राप्ति होती है।
  19. आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और प्रगति होती है।
  20. परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

विधि

नील सरस्वती चालीसा के पाठ की विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। इसे विधि-विधान से करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है।

पाठ के दिन:

  • सोमवार, बुधवार, और शुक्रवार को यह पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
  • पूर्णिमा, अमावस्या, और नवमी के दिन भी इसका विशेष महत्व है।

पाठ की अवधि:

  • नील सरस्वती चालीसा का पाठ नियमित रूप से 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन तक किया जा सकता है।
  • विशेष परिस्थिति में इसे 108 बार लगातार एक दिन में भी किया जा सकता है।

मुहूर्त:

  • प्रातः काल का समय सर्वोत्तम होता है।
  • प्रातः 4 बजे से 6 बजे के बीच का ब्रह्म मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है।
  • यदि प्रातःकाल संभव नहीं हो तो संध्या समय भी उपयुक्त है।

नील सरस्वती चालीसा के नियम

  1. साफ-सफाई: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा की जगह: पूजा स्थान साफ-सुथरा हो और वहां नियमित रूप से धूप-दीप जलाएं।
  3. संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले देवी सरस्वती का ध्यान करते हुए संकल्प लें।
  4. शुद्ध उच्चारण: चालीसा का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
  5. आसन: पाठ करते समय आसन पर बैठें और ध्यान लगाकर पाठ करें।
  6. निर्धारित समय: पाठ के लिए एक निर्धारित समय तय करें और प्रतिदिन उसी समय पर पाठ करें।
  7. सात्विक भोजन: पाठ के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें।
  8. नियमितता: नियमितता बनाए रखें और किसी भी दिन पाठ न छोड़ें।
  9. ध्यान और साधना: पाठ के बाद कुछ समय ध्यान और साधना में बिताएं।
  10. श्रद्धा और विश्वास: श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।

Know more about tara mantra

नील सरस्वती चालीसा की सावधानियाँ

  1. श्रद्धा और विश्वास: बिना श्रद्धा और विश्वास के पाठ करने से लाभ नहीं मिलता।
  2. स्वच्छता: पाठ के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  3. नियमितता: पाठ के दौरान नियमितता बनाए रखें, अनियमितता से बचें।
  4. शुद्ध उच्चारण: शुद्ध उच्चारण पर ध्यान दें, गलत उच्चारण से बचें।
  5. सात्विक आहार: सात्विक आहार का पालन करें, तामसिक भोजन से दूर रहें।
  6. ध्यान केंद्रित करें: पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित रखें और अन्य विचारों को दूर रखें।
  7. पूजा सामग्री: पूजा सामग्री शुद्ध और ताजगी भरी हो।
  8. विनम्रता और आस्था: विनम्रता और आस्था के साथ पाठ करें, अहंकार से बचें।
  9. अनुशासन: अनुशासन में रहकर पाठ करें, किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता से बचें।
  10. परहेज: पाठ के दौरान किसी भी प्रकार के नकारात्मक कार्यों से परहेज करें।

Spiritual store

नील सरस्वती चालीसा FAQ

  1. नील सरस्वती चालीसा क्या है?
    • नील सरस्वती चालीसा एक धार्मिक स्तोत्र है जिसमें देवी सरस्वती की स्तुति की जाती है।
  2. नील सरस्वती कौन हैं?
    • नील सरस्वती तंत्र साधना में पूजित देवी सरस्वती का एक विशेष रूप है।
  3. नील सरस्वती चालीसा का पाठ किस दिन करें?
    • सोमवार, बुधवार, शुक्रवार, पूर्णिमा, अमावस्या और नवमी को पाठ करना शुभ माना जाता है।
  4. नील सरस्वती चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
    • बुद्धि, ज्ञान, शांति, समृद्धि, संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ और संकटों से मुक्ति मिलती है।
  5. नील सरस्वती चालीसा का पाठ कैसे करें?
    • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा स्थल पर बैठकर श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।
  6. नील सरस्वती चालीसा का उच्चारण कैसे करें?
    • शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण के साथ चालीसा का पाठ करें।
  7. नील सरस्वती चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
    • पाठ की अवधि 21 दिन, 40 दिन या 108 दिन हो सकती है। एक दिन में 108 बार भी पाठ किया जा सकता है।
  8. क्या नील सरस्वती चालीसा का पाठ हर किसी के लिए फायदेमंद है?
    • हां, यह चालीसा सभी के लिए फायदेमंद होती है, विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए।
  9. क्या नील सरस्वती चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
    • प्रातः काल का समय सर्वोत्तम है, परंतु संध्या समय भी उपयुक्त है।
  10. नील सरस्वती चालीसा का पाठ किस प्रकार की समस्याओं का समाधान करता है?
    • जीवन के सभी संकटों, शत्रुओं, शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान करता है।
  11. नील सरस्वती चालीसा का पाठ करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
    • श्रद्धा, विश्वास, स्वच्छता, शुद्ध उच्चारण, और नियमितता का पालन करना चाहिए।
  12. नील सरस्वती चालीसा का पाठ कितने दिन तक करना चाहिए?
    • पाठ को 21, 40, या 108 दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए।

BOOK HOLIKA PUJAN ON 13 MARCH 2025 (ONLINE/ OFFLINE)

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Choose Pujan Option
spot_img
spot_img

Related Articles

65,000FansLike
500FollowersFollow
782,534SubscribersSubscribe
spot_img
spot_img

Latest Articles

spot_img
spot_img
Select your currency