संत रविदास चालीसा का पाठ करने शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक शक्तियां बढती है। संत रविदास जी एक महान कवि और समाज सुधारक थे जिन्होंने अपने जीवन के माध्यम से सामाजिक समानता और भक्ति मार्ग का प्रचार किया। संत रविदास चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, आत्मिक संतोष और भक्ति की प्राप्ति होती है।
संपूर्ण संत रविदास चालीसा
दोहा:
जय जय रविदास जी महाराज, जनम जनम के संकट हारो।
कृपा करहु अब मोहि पर, दीनन को उद्धारो॥
चौपाई:
जय जय संत शिरोमणि, गुरु रविदास तुम्हार।
स्मरण तुम्हारो जो करे, भवसागर से पार॥
सर्व विद्या के ज्ञाता, तुम परम पंडित ज्ञानी।
मोह माया को त्याग कर, सदा रहो वैरागी॥
सकल सृष्टि के पालक, तुम हो अद्भुत ज्ञानी।
तुम्हरे उपदेश से ही, मिटे जनम के बंधन॥
जनम के कारण सारे, मिटी सकल विषाद।
संतों की तुम शरण में, मिला हमें विश्राम॥
अज्ञानता का नाश कर, ज्ञान का दीप जलाया।
असुर माया को त्याग कर, सच्ची राह दिखाया॥
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह शीश नवाय।
तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें भगवान॥
तुम्हारी महिमा गाते, नहीं थकते कंठ।
संत शिरोमणि तुम्हारे, चरणों में यह मस्तक॥
भक्ति का मार्ग दिखाया, सच्चा सुख का भंडार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥
तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें सच्चा ज्ञान।
तुम्हारे चरणों में ही, मिला हमें भगवान॥
भक्ति का दीप जलाया, मन का किया उद्धार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥
तुम्हारी महिमा गाते, नहीं थकते कंठ।
संत शिरोमणि तुम्हारे, चरणों में यह मस्तक॥
सकल सृष्टि के पालक, तुम हो अद्भुत ज्ञानी।
तुम्हरे उपदेश से ही, मिटे जनम के बंधन॥
जनम के कारण सारे, मिटी सकल विषाद।
संतों की तुम शरण में, मिला हमें विश्राम॥
अज्ञानता का नाश कर, ज्ञान का दीप जलाया।
असुर माया को त्याग कर, सच्ची राह दिखाया॥
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह शीश नवाय।
तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें भगवान॥
तुम्हारी महिमा गाते, नहीं थकते कंठ।
संत शिरोमणि तुम्हारे, चरणों में यह मस्तक॥
भक्ति का मार्ग दिखाया, सच्चा सुख का भंडार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥
तुम्हारे उपदेश से ही, मिला हमें सच्चा ज्ञान।
तुम्हारे चरणों में ही, मिला हमें भगवान॥
भक्ति का दीप जलाया, मन का किया उद्धार।
गुरु रविदास तुम्हारे, चरणों में यह संसार॥
संत रविदास चालीसा के लाभ
- मानसिक शांति: मन को शांति और संतोष मिलता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक उन्नति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- समाज में समानता: सामाजिक समानता का संदेश मिलता है।
- सच्चे मार्ग की प्राप्ति: सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
- भक्ति में वृद्धि: भगवान की भक्ति में वृद्धि होती है।
- दुखों का नाश: जीवन के सभी दुखों और संकटों का नाश होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
- ज्ञान की प्राप्ति: आध्यात्मिक ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
- शांति और सद्भाव: शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है।
- आत्मविश्वास: आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में वृद्धि होती है।
- मनोबल में वृद्धि: मनोबल और साहस में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक मार्गदर्शन: आत्मिक मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- धार्मिक आस्था: धार्मिक आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है।
- धैर्य और सहनशीलता: धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि होती है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और सद्भाव बढ़ता है।
- सद्गुणों की प्राप्ति: जीवन में सद्गुणों की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक जागरण: आत्मिक जागरण और आध्यात्मिक अनुभूति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: मोक्ष की प्राप्ति और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति होती है।
- सच्चे ज्ञान की प्राप्ति: सच्चे ज्ञान और दिव्यता की प्राप्ति होती है।
संत रविदास चालीसा पाठ की विधि
दिन: संत रविदास चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से रविवार को पाठ करना लाभकारी माना जाता है।
अवधि: संत रविदास चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्रातः काल में करना उत्तम माना जाता है।
मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) पाठ करने के लिए सबसे उत्तम समय है।
नियम
- स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- ध्यान: संत रविदास जी का ध्यान करें।
- श्रद्धा: पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ पाठ करें।
- स्थिरता: पाठ के दौरान स्थिरता और ध्यान केंद्रित रखें।
- उच्चारण: शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।
सावधानियाँ
- अवमानना न करें: श्रद्धा और सम्मान के साथ पाठ करें।
- जल्दीबाजी न करें: पाठ को धैर्यपूर्वक करें।
- निर्धारित स्थान: एक ही स्थान पर नियमित रूप से पाठ करें।
- ध्यान केंद्रित: पाठ के दौरान ध्यान भटकने न दें।
- स्वच्छता: अशुद्ध या अपवित्र अवस्था में पाठ न करें।
संत रविदास चालीसा FAQs
- संत रविदास चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
- किसी भी दिन, विशेषकर रविवार को।
- संत रविदास चालीसा का पाठ क्यों करें?
- मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और सामाजिक समानता के लिए।
- संत रविदास चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- दिन में एक बार नियमित रूप से करना लाभकारी होता है।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ किसी विशेष समय पर करना चाहिए?
- प्रातः काल और ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना सबसे उत्तम है।
- संत रविदास चालीसा का पाठ कौन कर सकता है?
- कोई भी व्यक्ति, जो श्रद्धा और विश्वास रखता है।
- संत रविदास चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
- मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति, सामाजिक समानता और संकट निवारण।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ किसी भी स्थिति में किया जा सकता है?
- हाँ, केवल स्वच्छता और ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है?
- हाँ, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ बच्चों के लिए लाभकारी है?
- हाँ, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए।
- संत रविदास चालीसा का पाठ कहाँ करना चाहिए?
- एक शांत और स्वच्छ स्थान पर।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
- हाँ, समूह में भी किया जा सकता है।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ करने से धन प्राप्ति होती है?
- हाँ, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति रहती है?
- हाँ, पारिवारिक सुख और शांति प्राप्त होती है।
- क्या संत रविदास चालीसा का पाठ किसी विशेष भाषा में करना चाहिए?
- मूल हिंदी भाषा में पाठ करना उत्तम है।