पीतांबरा माता, ये महाविद्या बगलामुखी का स्वरूप मानी जाती है. पीतांबरा माता का नाम ‘पीत’ और ‘अंबर’ शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘पीले रंग की वस्त्रों वाली माँ’। वे विशेष रूप से युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए पूजी जाती हैं और उन्हें वीरता, साहस और धैर्य की देवी माना जाता है. इसके अलावा मंगल कार्य मे सफलता देने वाली मानी जाती है.
पीतांबरा माता की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान की जाती है, जब भक्त उनके इसी स्वरूप की पूजा करते हैं। उन्हें सर्वशक्तिमान और परिपूर्ण माना जाता है, जो अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं और उन्हें सफलता प्रदान करती हैं।माता पीतांबरा, जिन्हें माता बगलामुखी भी कहा जाता है, दस महाविद्याओं में से एक हैं। वे संहार की शक्ति और शत्रुओं के नाश की देवी मानी जाती हैं। उनकी उपासना करने से साधक को जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। वे वाक् सिद्धि और वाक् शुद्धि की देवी भी मानी जाती हैं, जिससे साधक को विवादों और कोर्ट केस में सफलता प्राप्त होती है।
स्वरूप
माता पीतांबरा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और प्रभावशाली होता है। वे पीले वस्त्र धारण किए हुए और पीले पुष्पों से सुशोभित होती हैं। उनके चार हाथ होते हैं जिनमें से एक में गदा, दूसरे में शत्रु की जीभ, तीसरे में अभय मुद्रा और चौथे में वरमुद्रा होती है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
मंत्र का उच्चारण विधि
- समय: इस मंत्र का उच्चारण मध्य रात्रि या ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम होता है।
- स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां किसी प्रकार की बाधा न हो।
- आसन: पीले रंग के आसन पर बैठें।
- माला: हल्दी की माला का उपयोग करें।
- मंत्र जप की संख्या: प्रतिदिन 108 बार मंत्र का जप करें।
- आवश्यक सामग्री: पीले पुष्प, हल्दी, चंदन, और दीपक जलाएं।
मंत्र जप का समय
इस मंत्र का जप प्रतिदिन 21 दिनों तक करना चाहिए। हर दिन 108 बार मंत्र का जप करना अत्यंत लाभकारी होता है। मंत्र-
|| ॐ ह्लीं पीतांबरे सर्व कार्य सिद्धय सिद्धय ह्लीं स्वाहा || OM HLREEM PEETAAMBARE SARVA KARYA SIDDHAY SIDDHAY KLREEM SVAHA.
मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ
- आयु: इस मंत्र का अभ्यास केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही करें।
- शुद्धता: साधक को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना चाहिए।
- आहार: तामसिक भोजन और मदिरा से बचें।
- संकल्प: मंत्र जप शुरू करने से पहले संकल्प लें और साधना पूरी होने तक उसे न तोड़ें।
- गोपनीयता: अपनी साधना को गुप्त रखें और अनावश्यक रूप से किसी को न बताएं।
- विश्राम: साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करें।
माता पीतांबरा मंत्र के लाभ
- शत्रुओं का नाश: माता पीतांबरा की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है।
- विजय प्राप्ति: सभी प्रकार की बाधाओं और चुनौतियों में विजय प्राप्त होती है।
- धन और समृद्धि: यह मंत्र साधक को धन और समृद्धि प्रदान करता है।
- बुद्धि में वृद्धि: माता पीतांबरा की कृपा से बुद्धि का विकास होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: यह मंत्र साधक का आत्मविश्वास बढ़ाता है।
- शांति और स्थिरता: माता पीतांबरा की उपासना से मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- सफलता: जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
- धार्मिक उन्नति: धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- आध्यात्मिक ज्ञान: आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव को बढ़ाता है।
- रोगों से मुक्ति: माता पीतांबरा की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है।
- सपनों की प्राप्ति: ऊंचे सपनों को साकार करने में मदद करता है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ता है।
- रक्षा कवच: हर प्रकार की नकारात्मकता और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
- संकल्प सिद्धि: साधक के संकल्पों को सिद्ध करता है।
- संपूर्ण विकास: शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक विकास में सहायक होता है।
- आध्यात्मिक शांति: आध्यात्मिक शांति और आनन्द की प्राप्ति होती है।
साधना की अवधि
इस मंत्र की साधना 21 दिनों तक करनी चाहिए। प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना आवश्यक है। इस दौरान साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और साधना के प्रति पूरी निष्ठा रखनी चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- क्या माता पीतांबरा की साधना हर कोई कर सकता है?
नहीं, इस साधना को केवल 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति ही कर सकते हैं। - माता पीतांबरा का मंत्र क्या है?
माता पीतांबरा का मंत्र है:
|| ॐ ह्लीं पीतांबरे सर्व कार्य सिद्धय सिद्धय ह्लीं स्वाहा || OM HLREEM PEETAAMBARE SARVA KARYA SIDDHAY SIDDHAY KLREEM SVAHA.
- इस मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?
प्रतिदिन 108 बार मंत्र जप करना चाहिए। - इस मंत्र जप का सर्वोत्तम समय कौन सा है?
मध्य रात्रि या ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जप करना सर्वोत्तम होता है। - क्या इस साधना के दौरान कोई विशेष आहार का पालन करना चाहिए?
हां, साधना के दौरान तामसिक भोजन और मदिरा से बचना चाहिए। - साधना के दौरान किन सावधानियों का पालन करना चाहिए?
शारीरिक और मानसिक शुद्धता, संकल्प का पालन, साधना की गोपनीयता, और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। - माता पीतांबरा की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक है?
पीले पुष्प, हल्दी, चंदन, और दीपक की आवश्यकता होती है। - मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का उपयोग करना चाहिए?
हल्दी की माला का उपयोग करना चाहिए। - क्या साधना के बाद विश्राम करना आवश्यक है?
हां, साधना के बाद थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए। - माता पीतांबरा की कृपा से क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
शत्रुओं का नाश, विजय प्राप्ति, धन और समृद्धि, बुद्धि में वृद्धि, आत्मविश्वास में वृद्धि, शांति और स्थिरता, सफलता, सृजनात्मकता, धार्मिक उन्नति, सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक ज्ञान, रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति, परिवार में सुख-शांति, सपनों की प्राप्ति, समाज में प्रतिष्ठा, रक्षा कवच, संकल्प सिद्धि, संपूर्ण विकास, और आध्यात्मिक शांति सहित 20 लाभ प्राप्त होते हैं।
अंत में
माता पीतांबरा का मंत्र अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली है। इसका सही विधि और नियमों का पालन करते हुए जप करने से साधक को विद्या, बुद्धि, धन, समृद्धि, और विजय प्राप्त होती है। साधना के दौरान सभी सावधानियों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। माता पीतांबरा की कृपा से साधक जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति और सफलता प्राप्त करता है।