अगर आप संतान की समस्या, विवाह की समस्या, नजर (evil eye) दोष, ब्लैकमेजिक, तंत्र बाधा व आपके पने आपसे दूर होने लगे तो हर अमावस्या को पित्र मंत्र का जाप करे या फिर पित्र पूजा अवश्य करवायें।
पित्र मंत्र:
ॐ ह्रीं पितृ देवाय नमः
लाभ:
- पितरों की शांति: पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से प्रभावी होता है।
- कर्म दोष निवारण: पितृ दोष को दूर करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
- पारिवारिक कलह समाप्ति: परिवार में चल रहे कलह और विवाद को समाप्त करता है।
- संतान सुख: संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- वास्तु दोष निवारण: घर के वास्तु दोष को दूर करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करता है।
- आर्थिक उन्नति: आर्थिक स्थिति में सुधार करता है।
- पेशेवर सफलता: कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
- आत्मशांति: मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है।
- दुर्घटनाओं से बचाव: अनहोनी और दुर्घटनाओं से बचाव करता है।
- आध्यात्मिक विकास: आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को समाप्त करता है।
- पूर्वजों का आशीर्वाद: पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा: प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करता है।
- धन की प्राप्ति: धन की प्राप्ति में सहायता करता है।
- विद्या और ज्ञान: विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- दीर्घायु: दीर्घायु और स्वस्थ जीवन मिलता है।
- धर्म और कर्तव्य का पालन: धर्म और कर्तव्य के प्रति जागरूकता बढ़ती है।
- विवाह में सफलता: विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान करता है।
विधि:
- स्नान और स्वच्छता: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान: शांत और पवित्र स्थान का चयन करें।
- पूजन सामग्री: पितरों के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक, धूप, फूल, और ताजे जल का उपयोग करें।
- मंत्र जाप: मंत्र का जाप 108 बार करें। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
- तर्पण: पितरों को जल अर्पित करें और तर्पण की क्रिया करें।
- ध्यान: पितरों का ध्यान करते हुए, पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ मंत्र का जाप करें।
- अर्पण: मंत्र जाप के बाद पितरों के लिए कुछ भोजन या विशेष सामग्री अर्पित करें।
सावधानियां:
- शुद्धता: मंत्र जाप के समय और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- समर्पण: मंत्र का जाप पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।
- नियमितता: इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करें, जिससे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकें।
- भोजन: जाप के पहले और बाद में सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- व्रत और नियम: यदि संभव हो, तो विशेष तिथियों (अमावस्या, पितृ पक्ष) पर व्रत रखें और नियमपूर्वक पूजा करें।
- समय: प्रातःकाल और संध्या के समय मंत्र जाप करना सर्वोत्तम होता है।
- ध्यान: जाप के दौरान अन्य विचारों से मन को मुक्त रखें और पितरों का ध्यान करें।
- श्राद्ध कर्म: पितरों के श्राद्ध कर्म को उचित विधि से संपन्न करें।
- शुद्ध आचरण: जाप के दौरान और उसके बाद शुद्ध आचरण रखें।
- सकारात्मक सोच: सकारात्मक सोच और विश्वास के साथ मंत्र का जाप करें।
पितृ मंत्र: पृश्न उत्तर
1. पितृ मंत्र क्या है?
पितृ मंत्र भगवान शिव को समर्पित एक विशेष मंत्र है जो पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए जपा जाता है।
2. इस मंत्र का जाप कब करना चाहिए?
पितृ मंत्र का जाप प्रातःकाल या संध्या के समय करना श्रेष्ठ माना जाता है। विशेषकर पितृ पक्ष और अमावस्या के दिन इसका जाप अत्यंत लाभकारी होता है।
3. इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। इसके लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।
4. क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष स्थान पर करना चाहिए?
मंत्र का जाप एक शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए, जहां ध्यान भंग न हो। घर में पूजा स्थल या किसी मंदिर में भी जाप कर सकते हैं।
5. मंत्र जाप के लिए कौन-कौन से वस्त्र पहनने चाहिए?
स्वच्छ और सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना श्रेष्ठ माना जाता है। ध्यान रखें कि वस्त्र पूरी तरह से साफ हों।
6. क्या इस मंत्र का जाप करने के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
हाँ, मंत्र जाप के दौरान पितरों की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक, धूप, फूल, ताजे जल और तर्पण के लिए अन्न या जल का उपयोग करें।
7. क्या इस मंत्र का जाप करने के लिए व्रत रखना आवश्यक है?
व्रत रखना अनिवार्य नहीं है, लेकिन पितृ पक्ष और अमावस्या के दिन व्रत रखना और नियमपूर्वक पूजा करना अधिक लाभकारी हो सकता है।
8. क्या इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार के पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं?
इस मंत्र का जाप करने से पितृ दोष की शांति होती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
9. क्या इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए?
हाँ, इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए, जिससे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकें और पितरों का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
10. क्या इस मंत्र का जाप करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
हाँ, मंत्र जाप के समय शुद्धता, श्रद्धा, और ध्यान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शुद्ध आचरण और सात्विक भोजन का सेवन भी आवश्यक है।
11. क्या पितृ मंत्र का जाप किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है?
हाँ, कोई भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप कर सकता है, चाहे वह किसी भी आयु, लिंग या सामाजिक पृष्ठभूमि का हो।
12. इस मंत्र का जाप करने से अन्य क्या-क्या लाभ होते हैं?
इस मंत्र का जाप करने से पारिवारिक कलह समाप्त होता है, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, स्वास्थ्य लाभ मिलता है, और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
13. मंत्र जाप के दौरान क्या ध्यान रखना चाहिए?
मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्रचित्त रखना चाहिए और पितरों का ध्यान करते हुए पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ जाप करना चाहिए।
14. क्या पितृ मंत्र का जाप किसी विशेष तिथि पर करना अधिक प्रभावी होता है?
हाँ, पितृ पक्ष, अमावस्या, और श्राद्ध के दिनों में पितृ मंत्र का जाप करना अधिक प्रभावी होता है।
15. क्या इस मंत्र का जाप करने से पारिवारिक सुख-शांति प्राप्त होती है?
हाँ, इस मंत्र का जाप करने से पारिवारिक सुख-शांति प्राप्त होती है और घर में समृद्धि आती है।
16. क्या पितृ मंत्र का जाप करते समय कुछ विशेष सामग्री अर्पित करनी चाहिए?
हाँ, पितरों के लिए जल, दूध, फल, और विशेष सामग्री अर्पित करनी चाहिए।
17. क्या इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान का महत्व है?
हाँ, मंत्र जाप के दौरान ध्यान का विशेष महत्व है। इससे मन की शांति और आत्मिक उन्नति होती है।
18. क्या पितृ मंत्र का जाप करने से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है?
हाँ, इस मंत्र का जाप करने से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
19. क्या इस मंत्र का जाप करने से समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है?
हाँ, इस मंत्र का जाप करने से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
20. क्या पितृ मंत्र का जाप करने से दीर्घायु प्राप्त होती है?
हाँ, इस मंत्र का जाप करने से दीर्घायु और स्वस्थ जीवन मिलता है।
अंत में:
पितृ मंत्र का जाप पितरों की आत्मा की शांति और अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए अत्यंत प्रभावी होता है। इसके नियमित जाप से पितृ दोष दूर होता है और पारिवारिक सुख-शांति प्राप्त होती है। मंत्र जाप करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन और ध्यान करना चाहिए।