पुरी रथ यात्रा – 27 जून से ५ जुलाई २०२५
पुरी रथ यात्रा – 27 जून से 5 जुलाई 2025
पुरी रथ यात्रा, जिसे श्री जगन्नाथ रथ यात्रा कहा जाता है, ओडिशा के पुरी शहर का प्रमुख आध्यात्मिक हिंदू त्योहार है।
यह यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया (जून-जुलाई) के महीने में आयोजित की जाती है। वर्ष 2025 में यह 27 जून से 5 जुलाई तक मनाई जाएगी।
इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विशाल रथ खींचे जाते हैं। यह आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
रथ यात्रा का महत्व और इतिहास
पुरी रथ यात्रा का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ स्वयं इसमें भाग लेकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
जगन्नाथ का अर्थ है “जगत का स्वामी,” और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। रथ यात्रा का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
यह परंपरा करीब 11वीं शताब्दी से चली आ रही है।
अध्यात्मिक दृष्टिकोण
यह समय आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों भगवान जगन्नाथ की पूजा, साधना और उपासना से इच्छाएं पूरी होती हैं।
यात्रा की प्रक्रिया
रथ यात्रा की प्रक्रिया बहुत ही विशिष्ट और धार्मिक अनुशासन से भरी होती है। यात्रा की शुरुआत भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों के निर्माण से होती है। इन रथों का निर्माण विशेष प्रकार की लकड़ी से किया जाता है और इनकी सजावट बहुत ही भव्य और आकर्षक होती है।
- गुंडिचा यात्रा: यह यात्रा का मुख्य आकर्षण होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह यात्रा करीब 3 किलोमीटर लंबी होती है और हजारों भक्त इस यात्रा में भाग लेते हैं।
- हेरा पंचमी: यह यात्रा के पांचवें दिन मनाई जाती है, जिसमें देवी लक्ष्मी का रथ गुंडिचा मंदिर की ओर जाता है। यह माना जाता है कि देवी लक्ष्मी अपने पति भगवान जगन्नाथ को वापस जगन्नाथ मंदिर लाने के लिए आती हैं।
- बहुदा यात्रा: यह यात्रा का अंतिम दिन होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गुंडिचा मंदिर से वापस उनके मुख्य मंदिर लाया जाता है।
रथों का के बारे में
रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है:
- नंदीघोष: भगवान जगन्नाथ का रथ, जिसे ‘गरुड़ध्वज’ या ‘कपिलध्वज’ भी कहा जाता है। इस रथ की ऊंचाई 45.6 फीट होती है और इसमें 16 पहिए होते हैं।
- तालध्वज: भगवान बलभद्र का रथ, जिसे ‘लांगलध्वज’ भी कहा जाता है। इस रथ की ऊंचाई 45 फीट होती है और इसमें 14 पहिए होते हैं।
- दर्पदलन: देवी सुभद्रा का रथ, जिसे ‘पद्मध्वज’ या ‘देवदलन’ भी कहा जाता है। इस रथ की ऊंचाई 44.6 फीट होती है और इसमें 12 पहिए होते हैं।
यात्रा का सांस्कृतिक महत्व
- पुरी रथ यात्रा का धार्मिक के साथ सांस्कृतिक महत्व भी बहुत अधिक है। इस दौरान पुरी शहर में भव्य मेला लगता है।
- यह मेला स्थानीय कलाकारों, हस्तशिल्पियों और व्यापारियों को बड़ा मंच प्रदान करता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत और नाटक शामिल होते हैं।
- इन कार्यक्रमों से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन होता है।
सामाजिक दृष्टिकोण
रथ यात्रा का सामाजिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। इस यात्रा में लाखों लोग भाग लेते हैं, जिनमें विभिन्न वर्गों, समुदायों और धार्मिक आस्थाओं के लोग शामिल होते हैं। यह यात्रा सभी के लिए एक समान अवसर प्रदान करती है, जहां वे भगवान के दर्शन कर सकते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस यात्रा के दौरान समाज में एकता, भाईचारा और सद्भावना का संदेश फैलता है।
पर्यावरण और स्वच्छता
पुरी रथ यात्रा के दौरान पर्यावरण और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। यात्रा के आयोजक और स्थानीय प्रशासन इस बात का ध्यान रखते हैं कि यात्रा के दौरान शहर और मंदिर परिसर की स्वच्छता बनाए रखी जाए। इसके लिए विशेष सफाई अभियान चलाए जाते हैं और कचरा प्रबंधन के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं।
यात्रा की चुनौतियाँ
रथ यात्रा के आयोजन के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लाखों भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करना, यात्रा के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करना और भक्तों की सुविधा के लिए उचित प्रबंध करना प्रमुख चुनौतियाँ होती हैं। इसके अलावा, रथों का निर्माण और उनकी सजावट भी एक महत्वपूर्ण कार्य होता है, जिसमें कुशल कारीगरों और कलाकारों की आवश्यकता होती है।
पुरी रथ यात्रा पर (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. रथ यात्रा क्या है?
यह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा है।
2. रथ यात्रा कब होती है?
यह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है।
3. रथ यात्रा कहां आयोजित होती है?
मुख्य आयोजन ओडिशा के पुरी शहर में होता है।
4. रथ यात्रा की शुरुआत कैसे होती है?
रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है।
5. रथ यात्रा कितने दिनों की होती है?
रथ यात्रा नौ दिनों तक चलती है।
6. कौन-कौन से रथ यात्रा में शामिल होते हैं?
भगवान जगन्नाथ के रथ “नंदीघोष”, बलभद्र के रथ “तालध्वज” और सुभद्रा के रथ “दर्पदलन” होते हैं।
7. रथों को कौन खींचता है?
हजारों श्रद्धालु मिलकर भगवान के रथों को खींचते हैं।
8. गुंडिचा मंदिर क्या है?
गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है।
9. भगवान रथ पर क्यों सवार होते हैं?
भगवान भक्तों को दर्शन देने और उनके साथ भ्रमण करने के लिए सवार होते हैं।
10. रथ यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है?
रथ यात्रा मोक्ष प्राप्ति और भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक है।
11. क्या बाहरी लोग रथ यात्रा में शामिल हो सकते हैं?
जी हां, दुनिया भर के श्रद्धालु इसमें शामिल हो सकते हैं।
12. क्या रथ यात्रा का सीधा प्रसारण होता है?
जी हां, कई चैनल रथ यात्रा का सीधा प्रसारण करते हैं।
अंत में
- पुरी रथ यात्रा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान जगन्नाथ की भक्ति का प्रतीक है।
- यह त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता और समाज की एकता को दर्शाता है। हर साल लाखों भक्त इसमें भाग लेते हैं।
- भक्त भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए यात्रा में शामिल होते हैं। पुरी शहर में इस दौरान उत्सव का माहौल रहता है।
- पूरे शहर में भक्ति, प्रेम और सद्भावना की भावना व्याप्त होती है।