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Rajarajeshwari Chalisa Path – Divine Blessings & Benefits

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ: अद्भुत कृपा का स्त्रोत

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ दिव्य शक्ति और कृपा का माध्यम है। यह पाठ मां राजराजेश्वरी को समर्पित है। इसे करने से भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस पाठ में मां की महिमा का गुणगान किया गया है, जो जीवन के दुखों को हरने और सकारात्मकता लाने में सहायक है।


संपूर्ण राजराजेश्वरी चालीसा पाठ व उसका अर्थ

यहां मैं संपूर्ण राजराजेश्वरी चालीसा पाठ और उसके अर्थ को प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह पाठ माता राजराजेश्वरी देवी की स्तुति में समर्पित है, जो शक्ति और सृजन की देवी हैं।


राजराजेश्वरी चालीसा पाठ

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास, तू धरो ध्यान भगवती महारानी।

चौपाई
जय राजराजेश्वरी जगदंबा।
तुम ही हो आनंदकंदा॥
त्रिपुर सुंदरी तेरी महिमा भारी।
जग पालन करन हारी॥

चंद्रमुखी देवी शुभ रूपा।
तुमसे निकले सृष्टि अनूपा॥
मंगलमय है तेरा धाम।
सकल लोक में तेरा नाम॥

सिद्धि-दात्री सुखदायिनी माता।
भक्त-मनोरथ पूरण त्राता॥
तुम ही हो ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
सर्वसृष्टि में तुम विशेष॥

तू ही आदि, तू ही अनंता।
भव-सागर में तू है संत।
रूप अनूप, तेरे गुण गाऊँ।
मधुर वाणी में तुझको मनाऊँ॥

जगदंबा तू सर्वेश्वरी माता।
करुणा की सरिता है विख्याता॥
अघनाशिनी, दुखभंजन कारी।
तेरी महिमा सदा उचारी॥

राजराजेश्वरी चालीसा का अर्थ

  1. हे माता राजराजेश्वरी, जगत की पालनहार, आप आनंद और सुख की स्रोत हैं।
  2. आप त्रिपुर सुंदरी हैं, आपकी महिमा अपार है और आप इस जगत की रचना करती हैं।
  3. आपके चंद्र के समान मुखमंडल से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है, और आपका रूप अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी है।
  4. आपके पावन धाम में असीम आनंद है, और आपके नाम से सारा संसार परिचित है।
  5. आप सिद्धि और सुख प्रदान करने वाली माता हैं, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।
  6. आप ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में प्रकट होती हैं और संपूर्ण सृष्टि में आपका स्थान विशिष्ट है।
  7. आप ही सृष्टि की शुरुआत और अंत हैं। भवसागर में डूबे हुए को आप ही पार करती हैं।
  8. आपका रूप अनुपम है, और आपके गुणों का गान करने से आत्मा को शांति मिलती है।
  9. आप समस्त जगत की माता और दया की प्रतिमूर्ति हैं।
  10. आप पापों का नाश करने वाली और दुखों का हरण करने वाली हैं। आपकी महिमा अपरंपार है।

लाभ

  1. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  2. मानसिक तनाव दूर होता है।
  3. आध्यात्मिक शांति मिलती है।
  4. धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  5. परिवार में सुख-शांति रहती है।
  6. स्वास्थ्य लाभ होता है।
  7. जीवन में सकारात्मकता आती है।
  8. शत्रु बाधा का नाश होता है।
  9. नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  10. आत्मबल बढ़ता है।
  11. आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
  12. जीवन में स्थायित्व आता है।
  13. बच्चों की उन्नति होती है।
  14. वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।
  15. व्यवसाय में सफलता मिलती है।
  16. कठिन परिस्थितियों से उबरने में मदद मिलती है।
  17. मां की कृपा से सभी संकट दूर होते हैं।

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विधि

दिन और अवधि:
राजराजेश्वरी चालीसा पाठ मंगलवार, शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में शुरू करें। इसे 41 दिनों तक प्रतिदिन करें।

मुहूर्त:
सूर्योदय या सांध्यकाल के समय पाठ करना अधिक फलदायी होता है। शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।

चालीसा पाठ के नियम:

  1. पाठ करने से पहले स्नान कर लें।
  2. स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठें।
  3. मां की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. चालीसा पाठ गुप्त रूप से करें।
  5. नित्य एक ही समय पर पाठ करें।
  6. पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें।

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राजराजेश्वरी चालीसा पाठ में सावधानियां

  1. पाठ को अधूरा न छोड़ें।
  2. नियम का पालन करें।
  3. किसी को पाठ की जानकारी न दें।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें।
  5. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

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राजराजेश्वरी चालीसा पाठ: प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: राजराजेश्वरी चालीसा पाठ क्यों करें?
उत्तर: मां की कृपा पाने, समस्याओं का समाधान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।

प्रश्न 2: इसे कब शुरू करें?
उत्तर: मंगलवार, शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त में।

प्रश्न 3: पाठ करने की अवधि क्या होनी चाहिए?
उत्तर: इसे 41 दिनों तक प्रतिदिन करें।

प्रश्न 4: क्या इसे समूह में कर सकते हैं?
उत्तर: इसे गुप्त रूप से अकेले करना अधिक फलदायी है।

प्रश्न 5: क्या इसे घर पर कर सकते हैं?
उत्तर: हां, इसे घर के शांत स्थान पर करें।

प्रश्न 6: पाठ के लिए समय कौन सा उचित है?
उत्तर: सूर्योदय या सांध्यकाल।

प्रश्न 7: क्या पाठ के दौरान किसी वस्त्र का नियम है?
उत्तर: स्वच्छ और सादे वस्त्र पहनें।

प्रश्न 8: क्या पाठ के दौरान पूजा सामग्री की आवश्यकता है?
उत्तर: दीपक, फूल, और अगरबत्ती उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 9: क्या पाठ के दौरान मौन रहना चाहिए?
उत्तर: हां, मौन रहकर मन को एकाग्र करें।

प्रश्न 10: क्या पाठ के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: हां, मां को प्रसाद चढ़ाएं और बांटें।

प्रश्न 11: पाठ अधूरा रह जाए तो क्या करें?
उत्तर: अगले दिन पुनः नियम से शुरू करें।

प्रश्न 12: क्या पाठ के दौरान विशेष आहार लेना चाहिए?
उत्तर: सात्विक आहार लें और व्रत रखें।

राजराजेश्वरी चालीसा पाठ के इन नियमों और विधियों का पालन कर मां की कृपा पाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

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