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Rakta Kambala Yakshini Mantra for Attraction

रक्त कंबला यक्षिणी जो एंटीएजिंग के साथ चुंबकी शक्ति प्रदान करे

रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र, जो मनुष्य मे आकर्षण शक्ति के साथ पौरुष व यौवन शक्ति बढाता है। माना जाता है कि रक्त कंबला यक्षिणी साधना के माध्यम से व्यक्ति को आकर्षण, सौंदर्य, और प्रभावशाली व्यक्तित्व प्राप्त होता है। इस यक्षिणी की साधना से व्यक्ति अपने जीवन में प्रेम, सफलता, और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।

रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र व उसका अर्थ

मंत्र: ॥ॐ ह्रीं रक्तकंबला यक्षिणे मम अन्तः आकर्षणं मुखे कान्तिः प्रभावितुं शक्तिः आगच्छतु क्लीं नमः॥

अर्थ: इस मंत्र का उच्चारण करने से रक्त कंबला यक्षिणी से आह्वान किया जाता है ताकि वह साधक के जीवन में आकर्षण, सौंदर्य, और प्रभावशाली व्यक्तित्व प्रदान करें। इस मंत्र के माध्यम से यक्षिणी से अनुरोध किया जाता है कि वे साधक के जीवन में प्रेम और शक्ति प्रदान करें।

Know more about bandhamochan yakshini mantra

रक्त कंबला यक्षिणी के लाभ

  1. आकर्षण शक्ति में वृद्धि: व्यक्ति में आकर्षण की शक्ति बढ़ती है जिससे लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं।
  2. व्यक्तित्व में प्रभावशीलता: साधक का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है, जिससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  3. प्रेम में सफलता: प्रेम संबंधों में सफलता मिलती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  5. आर्थिक समृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
  6. शत्रुओं पर विजय: शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  7. व्यवसाय में सफलता: व्यापार में उन्नति और लाभ मिलता है।
  8. रोगों से मुक्ति: स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  9. मानसिक शांति: मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  10. परिवार में सुख-शांति: परिवार में शांति और सौहार्द्र का वातावरण बनता है।
  11. अवसाद और चिंता से मुक्ति: अवसाद और चिंता से मुक्ति मिलती है।
  12. शक्तिशाली इच्छाशक्ति: इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है।
  13. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से सुरक्षा होती है।
  14. स्वयं के प्रति प्रेम: आत्म-प्रेम और आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है।
  15. दीर्घायु और स्वास्थ्य: दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।

रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र विधि

मंत्र जप का दिनः

रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र का जप शुक्रवार से प्रारंभ करना उत्तम माना जाता है। मंत्र जप की अवधि ११ से २१ दिन तक होती है। शुभ मुहूर्त जैसे अमावस्या, पूर्णिमा, या शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मंत्र जप आरंभ करना विशेष फलदायी होता है।

मंत्र जप:

रोजाना ११ से २१ दिन तक मंत्र का जप करना चाहिए। साधक को प्रतिदिन ११ माला, अर्थात ११८८ मंत्रों का जप करना चाहिए।

सामग्री:

लाल चंदन की माला, लाल रंग का आसन, गुलाब के फूल, धूप, दीपक, और लाल कपड़ा साधना के दौरान उपयोग करें।

मंत्र जप के नियम:

  1. उम्र: २० वर्ष से ऊपर के व्यक्ति ही इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  2. लिंग: स्त्री और पुरुष दोनों इस साधना को कर सकते हैं।
  3. कपड़े: साधना के समय नीले और काले कपड़े न पहनें।
  4. शुद्धता: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।

Rakta Kambala Yakshini Rahasya- Video

रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र जप सावधानी

  1. मंत्र जप के दौरान मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
  2. जप के दौरान एकाग्रता बनाए रखें और बीच में किसी भी तरह का व्यवधान न आने दें।
  3. साधना के दौरान किसी भी प्रकार का भौतिक लोभ या इच्छा मन में न लाएं।
  4. साधना का स्थल शांत और स्वच्छ होना चाहिए।
  5. यदि साधना के दौरान कोई अवरोध या असहजता महसूस हो, तो तुरंत साधना रोक दें और विशेषज्ञ की सलाह लें।

Dhanada Yakshini sadhana samagri with diksha

रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र – प्रश्न-उत्तर

  1. प्रश्न: रक्त कंबला यक्षिणी की साधना किसके लिए उपयुक्त है?
    उत्तर: यह साधना उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अपने जीवन में आकर्षण, प्रभावशीलता, और प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। यह साधना व्यापारियों, छात्रों, और नौकरीपेशा लोगों के लिए भी लाभकारी है।
  2. प्रश्न: क्या रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र जप के दौरान किसी विशेष प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए?
    उत्तर: हाँ, मंत्र जप के दौरान साधक को लाल कपड़े पहनने चाहिए और नीले तथा काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
  3. प्रश्न: क्या रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?
    उत्तर: हाँ, मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है, क्योंकि इससे साधना में शुद्धता और एकाग्रता बनी रहती है।
  4. प्रश्न: मंत्र जप के लिए कितनी माला की आवश्यकता होती है?
    उत्तर: साधक को प्रतिदिन ११ माला, यानी ११८८ मंत्रों का जप करना चाहिए।
  5. प्रश्न: रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र जप के लाभ क्या हैं?
    उत्तर: इस मंत्र जप से व्यक्ति में आकर्षण शक्ति, प्रभावशीलता, प्रेम में सफलता, आर्थिक समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  6. प्रश्न: साधना के दौरान किन चीजों से बचना चाहिए?
    उत्तर: साधना के दौरान धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से बचना चाहिए। साथ ही, नीले और काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
  7. प्रश्न: क्या रक्त कंबला यक्षिणी मंत्र जप के दौरान कोई विशेष दिन का चयन करना चाहिए?
    उत्तर: हाँ, मंत्र जप के लिए शुक्रवार का दिन और अमावस्या, पूर्णिमा, या शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को चुनना विशेष रूप से फलदायी होता है।
  8. प्रश्न: साधना के दौरान एकाग्रता कैसे बनाए रखें?
    उत्तर: साधना के दौरान एकाग्रता बनाए रखने के लिए शांत स्थान का चयन करें, जहां कोई व्यवधान न हो। नियमित ध्यान और योगाभ्यास भी एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होते हैं।
  9. प्रश्न: क्या साधना के बाद भी मंत्र का जप जारी रखा जा सकता है?
    उत्तर: हाँ, साधना समाप्त होने के बाद भी मंत्र का जप नियमित रूप से किया जा सकता है। इससे मंत्र की शक्ति बनी रहती है और साधक को निरंतर लाभ मिलता है।

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