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Rin Harta Ganesha mantra for debt

ऋणहर्ता गणेश मंत्र क्या है?

ऋणहर्ता गणेश मंत्र, एक शक्तिशाली गणेश मंत्र माना जाया है, जिसका उपयोग विशेष रूप से आर्थिक समस्याओं को दूर करने और ऋणों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जप व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को सुधारने और कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।

ऋणहर्ता गणेश मंत्र का अर्थ

मंत्र: ॥ॐ गं ग्लौं ऋणहर्ता गणपतये कार्य सिद्धिं देही देही नमः॥

अर्थ:

  • ” भगवान गणेश का बीज मंत्र है।
  • गं” गणेश का प्रतीक है|
  • ग्लौं” शक्ति का सूचक है|
  • ऋणहर्ता गणपतये” का अर्थ है ऋणों का नाश करने वाले गणेश जी|
  • कार्य सिद्धिं देही देही” का अर्थ है हमारे कार्यों में सफलता दें|
  • नमः” का अर्थ है प्रणाम।

इस प्रकार, यह मंत्र गणेश जी की कृपा से ऋण से मुक्ति और कार्यों की सिद्धि की प्रार्थना करता है।

ऋणहर्ता गणेश मंत्र के लाभ

  1. ऋण मुक्ति: इस मंत्र के नियमित जप से व्यक्ति को ऋणों से मुक्ति मिलती है।
  2. आर्थिक सुधार: मंत्र जप से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  3. सफलता प्राप्ति: कार्यों में सफलता और उन्नति मिलती है।
  4. धन की वृद्धि: धन की वृद्धि और वित्तीय स्थिरता प्राप्त होती है।
  5. विघ्नों का नाश: कार्यों में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।
  6. मनोबल में वृद्धि: मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  7. शत्रुओं से सुरक्षा: शत्रुओं और प्रतिद्वंद्वियों से सुरक्षा मिलती है।
  8. धार्मिक लाभ: धार्मिक कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  9. परिवारिक कल्याण: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
  10. शुभ संयोग: जीवन में शुभ संयोग और अवसर मिलते हैं।
  11. समस्याओं का समाधान: जीवन की समस्याओं का समाधान होता है।
  12. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  13. धार्मिक जागरूकता: व्यक्ति की धार्मिक जागरूकता में वृद्धि होती है।

ऋणहर्ता गणेश मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन: बुधवार या चतुर्थी तिथि को मंत्र जप आरंभ करें।

अवधि: 11 से 21 दिन तक लगातार मंत्र का जप करें।

मुहूर्त: सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या समय।

सामग्री: पीले वस्त्र, गणेश जी की मूर्ति या चित्र, लाल चंदन, दूर्वा घास, गुड़, घी का दीपक, धूपबत्ती, और कमल के फूल।

मंत्र जप संख्या: प्रतिदिन 11 माला (1188 मंत्र) का जप करें।

ऋणहर्ता गणेश मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: 20 वर्ष से ऊपर के लोग इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  2. लिंग: स्त्री और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. वस्त्र: नीले या काले कपड़े न पहनें।
  4. परहेज: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से बचें।
  5. ब्रह्मचर्य: मंत्र जप के समय ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

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ऋणहर्ता गणेश मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: मंत्र जप से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थिरता: मंत्र जप एक स्थिर और शांत स्थान पर करें।
  3. दिशा: पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  4. ध्यान एकाग्रता: मंत्र जप के दौरान मन को एकाग्र रखें।
  5. शब्दों का उच्चारण: मंत्र का सही उच्चारण करें और गलतियों से बचें।

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ऋणहर्ता गणेश मंत्र – प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: ऋणहर्ता गणेश मंत्र क्या है?

उत्तर: ऋणहर्ता गणेश मंत्र एक विशेष मंत्र है जो ऋणों से मुक्ति और आर्थिक समस्याओं का समाधान करने के लिए जपा जाता है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का जप कब करना चाहिए?

उत्तर: इस मंत्र का जप बुधवार या चतुर्थी तिथि को सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में शुरू करना चाहिए।

प्रश्न 3: ऋणहर्ता गणेश मंत्र के क्या लाभ हैं?

उत्तर: ऋण मुक्ति, आर्थिक सुधार, सफलता प्राप्ति, धन की वृद्धि, और विघ्नों का नाश जैसे 13 लाभ हैं।

प्रश्न 4: मंत्र जप के लिए कौन से नियम पालन करने चाहिए?

उत्तर: उम्र 20 वर्ष से ऊपर, नीले/काले कपड़े न पहनें, धूम्रपान, मद्यपान, मांसाहार से बचें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न 5: मंत्र जप के समय किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, एक स्थिर और शांत स्थान पर जप करें, और मन को एकाग्र रखें।

प्रश्न 6: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होनी चाहिए।

प्रश्न 7: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हाँ, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, परंतु विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 8: मंत्र जप के लिए किस सामग्री की आवश्यकता है?

उत्तर: पीले वस्त्र, गणेश की मूर्ति, लाल चंदन, दूर्वा घास, गुड़, घी का दीपक, धूपबत्ती, और कमल के फूल।

प्रश्न 9: मंत्र जप के लिए किस दिशा में बैठना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

प्रश्न 10: ऋणहर्ता गणेश मंत्र के जप के लिए कौन सा समय सबसे उत्तम है?

उत्तर: सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) और संध्या काल सबसे उत्तम समय है।

प्रश्न 11: मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन क्यों आवश्यक है?

उत्तर: ब्रह्मचर्य का पालन मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, जो मंत्र की सिद्धि के लिए जरूरी है।

प्रश्न 12: मंत्र जप करते समय किन वस्त्रों से बचना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप करते समय नीले और काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए।

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