सकट चौथ व्रत क्या होता है?
सकट चौथ व्रत व कथा भगवान गणेश की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। इसे संकट हरण चौथ, तिलकुटा चौथ या वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश की कृपा से जीवन की सभी बाधाओं और संकटों का नाश करना है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और संकटमोचक माना जाता है, और इसलिए यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है।
ये व्रत कौन कर सकता है?
सकट चौथ व्रत महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं। विशेष रूप से इस व्रत को महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए करती हैं। बच्चे के उज्ज्वल भविष्य और सुख-शांति की कामना के लिए भी यह व्रत किया जाता है। कोई भी व्यक्ति जो जीवन में किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहा है, वह इस व्रत को कर सकता है।
सकट चौथ व्रत विधि
- स्नान: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान गणेश की पूजा: गणेश जी की मूर्ति के सामने आसन लगाकर बैठें और दीप जलाएं।
- मंत्र जाप: गणेश मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का 108 बार जाप करें।
- व्रत कथा: सकट चौथ व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
- अर्घ्य अर्पण: चंद्रमा को अर्घ्य देकर भगवान गणेश से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
- आरती: गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
सकट चौथ व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
क्या खाएं:
- फल: व्रत के दौरान फल का सेवन करें।
- सूखे मेवे: सूखे मेवों का सेवन कर सकते हैं।
- दूध और तिल: दूध, तिल के लड्डू या अन्य फलाहारी भोजन का सेवन कर सकते हैं।
क्या न खाएं:
- अनाज: व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का अनाज न खाएं।
- मांसाहार: मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- नमक: व्रत के दिन नमक का सेवन भी वर्जित है।
व्रत कब से कब तक रखें?
सकट चौथ व्रत को सुबह सूर्योदय से लेकर रात को चंद्र दर्शन तक रखा जाता है। इस दिन केवल एक बार चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है। चंद्र दर्शन के बाद व्रती जल और फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
सकट चौथ व्रत से लाभ
- संकटों का नाश: जीवन के सभी संकटों और बाधाओं का नाश होता है।
- संतान सुख: संतान की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।
- मनोकामना पूर्ण: भगवान गणेश की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- धन-धान्य की वृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
- स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य में सुधार और रोगों से मुक्ति मिलती है।
- दुर्भाग्य से मुक्ति: दुर्भाग्य और नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है।
- शत्रु बाधा का नाश: शत्रुओं के बुरे प्रभाव से सुरक्षा मिलती है।
- भाग्य में सुधार: भाग्य में सुधार और उन्नति होती है।
- ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- अकाल मृत्यु का भय समाप्त: अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
सकट चौथ व्रत के नियम
- व्रत के दौरान संयमित रहें: मन, वचन, और कर्म से शुद्ध रहें और व्रत के नियमों का पालन करें।
- किसी के प्रति क्रोध न करें: व्रत के दौरान क्रोध और असत्य बोलने से बचें।
- तामसिक भोजन का सेवन न करें: व्रत के दौरान तामसिक और मांसाहार भोजन का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
सकट चौथ व्रत में भोग
- मिठाई: गणेश जी को मोदक, तिल के लड्डू, गुड़ के लड्डू अर्पित करें।
- फल: ताजे फल का भोग लगाएं।
- जल: चंद्रमा को अर्घ्य देते समय शुद्ध जल का उपयोग करें।
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सकट चौथ व्रत में सावधानी
- व्रत के दौरान ध्यान रखें: किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधियों से बचें और शांति बनाए रखें।
- संयमित आहार ग्रहण करें: फलाहारी भोजन का सेवन करें और अनाज, मांसाहार से बचें।
- व्रत के नियमों का पालन करें: व्रत को विधिपूर्वक और नियमों का पालन करते हुए करें।
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सकट चौथ व्रत की संपूर्ण कथा
प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। उनके चार बेटे और एक बेटी थी। उनकी बेटी का नाम ‘सुव्रता’ था, जो बहुत ही धर्मपरायण और भक्तिमती थी। एक दिन, सुव्रता ने अपने माता-पिता से पूछा, “मां, मैं कौन सा व्रत करूं जिससे मेरे जीवन में कभी कोई संकट न आए?”
मां ने कहा, “तुम सकट चौथ का व्रत करो। यह व्रत संकटों को दूर करने वाला है। इसे करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।” सुव्रता ने मां के कहे अनुसार सकट चौथ व्रत का पालन शुरू कर दिया। वह पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करती थी और नियमित रूप से चंद्रमा को अर्घ्य देती थी।
कुछ समय बाद, राजा के महल में एक महा संकट आया। राजा की रानी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गई। राजवैद्य और तांत्रिक भी उसकी बीमारी का इलाज करने में असमर्थ थे। तब राजा ने घोषणा की कि जो कोई भी रानी को ठीक करेगा, उसे बड़ा पुरस्कार मिलेगा।
एक दिन, सुव्रता का बड़ा भाई उस नगर में गया और उसने राजा की घोषणा सुनी। वह सुव्रता के पास वापस आया और उसकी सहायता मांगी। सुव्रता ने अपने भाई को सकट चौथ व्रत करने की सलाह दी। उसने कहा, “भगवान गणेश संकटों को दूर करने वाले हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से रानी अवश्य ठीक हो जाएगी।”
उसने अपने भाई के साथ मिलकर व्रत किया और भगवान गणेश से रानी की बीमारी दूर करने की प्रार्थना की। व्रत पूरा होते ही चमत्कार हुआ, और रानी की हालत में सुधार होने लगा।
जब राजा ने सुव्रता से सकट चौथ व्रत की विधि पूछी
राजा को यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई और उसने सुव्रता को महल में बुलाया। राजा ने सुव्रता से सकट चौथ व्रत की विधि और महत्व के बारे में पूछा। सुव्रता ने राजा को व्रत की महिमा बताई और कहा, “भगवान गणेश की कृपा से ही रानी स्वस्थ हुई है।”
राजा ने भगवान गणेश का धन्यवाद किया और सकट चौथ व्रत करने का संकल्प लिया। उसने अपने पूरे राज्य में यह व्रत करने की घोषणा की ताकि सभी लोगों के संकट दूर हों।
राजा की घोषणा के बाद, पूरे राज्य में सकट चौथ व्रत की धूम मच गई। सभी लोग भगवान गणेश की पूजा करने लगे और अपने संकटों से मुक्ति पाने के लिए व्रत करने लगे।
सकट चौथ व्रत की महिमा से सुव्रता के परिवार की प्रतिष्ठा भी बढ़ गई। सभी लोग उसकी भक्ति और श्रद्धा की सराहना करने लगे।
सुव्रता का जीवन भी भगवान गणेश की कृपा से सुखमय हो गया। उसके सभी भाई-बहन भी इस व्रत को करने लगे और उन्हें भी जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त हुई।
इस प्रकार, सकट चौथ व्रत की कथा यह सिखाती है कि भगवान गणेश की भक्ति और इस व्रत का पालन करने से जीवन के सभी संकट दूर हो सकते हैं। इस व्रत की महिमा अपरंपार है और यह भक्तों को उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करने में सक्षम बनाता है। सकट चौथ व्रत करने से न केवल व्यक्ति के जीवन में संकटों का नाश होता है, बल्कि उसे सुख-शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है।
व्रत से संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: क्या सकट चौथ व्रत केवल महिलाओं के लिए है?
उत्तर: नहीं, यह व्रत पुरुष भी कर सकते हैं। यह सभी के लिए लाभकारी है।
प्रश्न: क्या सकट चौथ व्रत के दौरान जल ग्रहण कर सकते हैं?
उत्तर: हां, व्रत के दौरान जल और फल का सेवन किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या इस व्रत के दौरान नमक का सेवन कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, सकट चौथ व्रत के दिन नमक का सेवन वर्जित है।
प्रश्न: क्या यह व्रत बच्चों के लिए भी है?
उत्तर: हां, माता-पिता अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए यह व्रत कर सकते हैं।
प्रश्न: सकट चौथ व्रत में तिल का क्या महत्व है?
उत्तर: तिल का उपयोग पवित्रता और शुद्धता के प्रतीक के रूप में होता है। तिल के लड्डू का भोग भगवान गणेश को प्रिय है।
प्रश्न: क्या सकट चौथ व्रत को केवल घर में ही किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, इस व्रत को मंदिर में भी पूरी श्रद्धा के साथ किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या सकट चौथ व्रत के दिन किसी विशेष प्रकार की पूजा करनी चाहिए?
उत्तर: हां, गणेश जी की पूजा विशेष विधि से करनी चाहिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए मोदक और तिल के लड्डू अर्पित करें।
प्रश्न: क्या व्रत के दौरान दिन में सो सकते हैं?
उत्तर: नहीं, दिन में सोना व्रत के नियमों के विरुद्ध माना जाता है।
प्रश्न: क्या इस व्रत के लिए किसी गुरु से दीक्षा लेना आवश्यक है?
उत्तर: नहीं, लेकिन गुरु का मार्गदर्शन लाभकारी होता है।
प्रश्न: सकट चौथ व्रत के दौरान गणेश मंत्र का कितना जाप करना चाहिए?
उत्तर: कम से कम 108 बार गणेश मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करना चाहिए।
प्रश्न: क्या सकट चौथ व्रत के लिए विशेष रूप से किसी दिन का चयन किया जाता है?
उत्तर: हां, यह व्रत माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है।
प्रश्न: क्या सकट चौथ व्रत के दौरान बच्चों को भी उपवास कराना चाहिए?
उत्तर: नहीं, बच्चों के लिए फलाहारी भोजन पर्याप्त है। उन्हें पूर्ण उपवास कराने की आवश्यकता नहीं है।