शिव अन्नव्रत – वंश बृद्धि व सुरक्षा
शिव अन्नव्रत श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी को रखा जाता है। इस दिन विधिपूर्वक देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का आशिर्वाद लिया जाता है। इस व्रत से भगवान शिव के साथ सभी पित्रो की कृपा मिलती है। इस व्रत से वंश बृद्धि के साथ सुख समृद्धि बढनी शुरु हो जाती है।
ये व्रत कौन कर सकता है?
शिव अन्नव्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। विशेष रूप से, यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है जो जीवन में किसी प्रकार की परेशानी या संकट का सामना कर रहे हैं। इस व्रत को करने के लिए किसी विशेष आयु या जाति का बंधन नहीं है। सभी भक्तजन, चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय के हों, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस व्रत को कर सकते हैं।
अन्नव्रत विधि
- स्नान: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान की तैयारी: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
- भगवान शिव की पूजा: धूप, दीप, पुष्प, और जल से भगवान शिव का पूजन करें।
- मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- व्रत कथा: शिव अन्नव्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
- आरती और प्रसाद: भगवान शिव की आरती करें और उन्हें फल-फूल और अन्न का भोग लगाएं।
अन्नव्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
क्या खाएं:
- फल और सूखे मेवे: फल और सूखे मेवों का सेवन कर सकते हैं।
- दूध और दूध से बने पदार्थ: दूध और उससे बने पदार्थ जैसे दही, पनीर का सेवन करें।
- फलाहारी भोजन: व्रत के दौरान फलाहारी भोजन जैसे साबूदाना खिचड़ी, सामक के चावल खा सकते हैं।
क्या न खाएं:
- अनाज: किसी भी प्रकार का अनाज जैसे गेहूं, चावल, मक्का का सेवन न करें।
- मसालेदार और तामसिक भोजन: मसालेदार, मांसाहारी और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- नमक: व्रत के दिन साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का उपयोग करें।
अन्नव्रत कब से कब तक रखें?
शिव अन्नव्रत को सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है। इस दिन सुबह स्नान करके भगवान शिव की पूजा की जाती है और पूरे दिन उपवास रखा जाता है। दिन भर फलाहार का सेवन किया जा सकता है, लेकिन अन्न और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित होता है। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।
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अन्नव्रत से लाभ
- सभी कष्टों का निवारण: जीवन के सभी कष्टों और समस्याओं का समाधान होता है।
- मानसिक शांति: मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- धन-धान्य की वृद्धि: आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
- संतान सुख: संतान की प्राप्ति और उनकी उन्नति के लिए यह व्रत फलदायी होता है।
- सफलता प्राप्ति: कार्यों में सफलता मिलती है और बाधाएं दूर होती हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- शत्रुओं से सुरक्षा: शत्रुओं और विरोधियों से सुरक्षा मिलती है।
- दीर्घायु प्राप्ति: दीर्घायु और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
- अकाल मृत्यु का निवारण: अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
- भाग्य में सुधार: भाग्य में सुधार होता है और उन्नति के मार्ग खुलते हैं।
- परिवार में सुख-शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।
व्रत के नियम
- व्रत का पालन विधिपूर्वक करें: सभी विधियों का पालन करते हुए श्रद्धा और भक्ति से व्रत करें।
- संयम रखें: मन, वचन, और कर्म से संयमित रहें और व्रत के नियमों का पालन करें।
- तामसिक और मांसाहारी भोजन से बचें: व्रत के दिन तामसिक और मांसाहारी भोजन का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।
अन्नव्रत में भोग
- फल: भगवान शिव को ताजे फल अर्पित करें।
- दूध और दूध से बने पदार्थ: शिव जी को दूध, दही, पनीर और माखन का भोग लगाएं।
- पंचामृत: भगवान शिव को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) का भोग लगाएं।
व्रत में सावधानी
- शुद्धता बनाए रखें: व्रत के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें।
- क्रोध और आलस्य से बचें: व्रत के दिन क्रोध और आलस्य से बचें और शांत मन से पूजा करें।
- समय का पालन करें: व्रत के नियमों और समय का पालन करें और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें।
शिव अन्नव्रत की संपूर्ण कथा
कथा का आरंभ
पुराने समय में एक निर्धन ब्राह्मण था, जो भगवान शिव का परम भक्त था। उसकी भक्ति और श्रद्धा के बावजूद, उसका जीवन गरीबी और कष्टों से भरा हुआ था। ब्राह्मण ने निरंतर भगवान शिव की उपासना की, लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। एक दिन, ब्राह्मण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया और हिमालय पर्वत पर जाकर तपस्या करने लगा।
उसकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उसके सामने प्रकट हुए। भगवान शिव ने ब्राह्मण से उसकी इच्छा पूछी। ब्राह्मण ने भगवान से गरीबी और कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना की। भगवान शिव ने उसे शिव अन्नव्रत करने का आदेश दिया और कहा कि इस व्रत का पालन करने से उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। ब्राह्मण ने भगवान शिव के आदेश का पालन किया और विधिपूर्वक शिव अन्नव्रत किया।
कुछ ही समय बाद पूर्वजों व भगवान शिव की कृपा से उसका परिवार संतान सुख और धन सुख से परिपूर्ण हो गया।
अन्नव्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत में अन्न का सेवन कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, शिव अन्नव्रत के दिन अन्न का सेवन वर्जित है। केवल फलाहार और दूध का सेवन करें।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत के दिन नमक का सेवन किया जा सकता है?
उत्तर: हां, सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं, पर साधारण नमक का सेवन न करें।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत के लिए कोई विशेष दिन निर्धारित है?
उत्तर: शिव अन्नव्रत को किसी भी शिवरात्रि या भगवान शिव के विशेष दिन पर किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत को बच्चे भी कर सकते हैं?
उत्तर: हां, बच्चे भी इस व्रत को कर सकते हैं, लेकिन उन्हें केवल फलाहारी भोजन का सेवन कराना चाहिए।
प्रश्न: क्या इस व्रत के लिए कोई विशेष स्थान आवश्यक है?
उत्तर: नहीं, इसे घर में भी विधिपूर्वक और शुद्धता के साथ किया जा सकता है।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत का पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है?
उत्तर: हां, इस व्रत के पालन से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत के दौरान उपवास अनिवार्य है?
उत्तर: हां, शिव अन्नव्रत में उपवास रखना अनिवार्य है और केवल फलाहारी भोजन किया जाता है।
प्रश्न: शिव अन्नव्रत के दिन किस प्रकार की पूजा की जाती है?
उत्तर: भगवान शिव की पूजा धूप, दीप, पुष्प और जल से की जाती है। मंत्र जाप भी आवश्यक है।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत में प्यास लगने पर पानी पी सकते हैं?
उत्तर: हां, व्रत के दौरान पानी पी सकते हैं, लेकिन फलाहार के समय संयम रखें।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत को हर साल करना चाहिए?
उत्तर: हां, भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए इसे नियमित रूप से हर साल किया जा सकता है।
प्रश्न: शिव अन्नव्रत से जीवन में क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर: इस व्रत से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
प्रश्न: क्या शिव अन्नव्रत को किसी भी शिव मंदिर में जाकर किया जा सकता है?
उत्तर: हां, इसे शिव मंदिर में जाकर भी विधिपूर्वक किया जा सकता है।