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Samhaara Bhairav Mantra-Destroyer of Strife & Dispute

क्लेश व विवाद को नष्ट करने वाले संहार भैरव, भगवान शिव के आठ प्रमुख भैरव रूपों में से एक हैं। ये विशेष रूप से विनाशक और रक्षक के रूप में जाने जाते हैं। संहार भैरव का तात्पर्य है “संहार करने वाला भैरव”। इस रूप में भगवान शिव सभी नकारात्मकताओं, बुराइयों और बाधाओं का नाश करते हैं। संहार भैरव की आराधना से भक्त को भयमुक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

संहार भैरव मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र: ॐ भ्रं संहार भैरवाय नमः

संहार भैरव मंत्र का संपूर्ण अर्थ:

  • : यह ब्रह्मांडीय ध्वनि है जो ब्रह्मांड की शुरुआत, मध्य और अंत का प्रतीक है। यह ध्वनि सृष्टि की अनंत ऊर्जा और शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
  • भ्रं: यह बीज मंत्र है जो विशेष रूप से संहार (विनाश) और शक्ति का प्रतीक है। यह मंत्र शक्ति और ऊर्जा का संचार करता है, जिससे सभी प्रकार की नकारात्मकताओं और बाधाओं का नाश होता है।
  • संहार भैरवाय: यह शब्द भगवान शिव के भैरव रूप को संदर्भित करता है, विशेष रूप से उनके संहारक और रक्षक रूप को। संहार भैरव सभी प्रकार की बुराइयों, नकारात्मकताओं, और बाधाओं का नाश करते हैं और अपने भक्तों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • नमः: यह शब्द आदर और समर्पण को दर्शाता है। इसका अर्थ है “मैं नमन करता हूँ” या “मैं समर्पित करता हूँ”। यह शब्द भक्त की विनम्रता और भक्ति को प्रकट करता है।

संहार भैरव मंत्र का संपूर्ण अर्थ: “मैं ब्रह्मांडीय ध्वनि ॐ और बीज मंत्र भ्रं के माध्यम से संहारक और रक्षक भैरव को नमन करता हूँ।”

इस मंत्र के माध्यम से भक्त भगवान संहार भैरव से विनाशकारी शक्तियों का आह्वान करता है ताकि वह सभी नकारात्मकताओं, बाधाओं, और बुराइयों का नाश कर सके और अपने जीवन में शांति, समृद्धि, और सुरक्षा प्राप्त कर सके। यह मंत्र भगवान संहार भैरव की कृपा और शक्ति की प्रार्थना करता है, जिससे भक्त का जीवन सुख, शांति, और समृद्धि से भर जाए।

संहार भैरव मंत्र के लाभ

  1. रक्षा: यह मंत्र सभी प्रकार की बाहरी और आंतरिक खतरों से रक्षा करता है।
  2. भयमुक्ति: इस मंत्र के जप से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
  3. शत्रु नाश: यह मंत्र शत्रुओं को परास्त करने में सहायक होता है।
  4. समृद्धि: संहार भैरव मंत्र आर्थिक समृद्धि और सफलता लाता है।
  5. मानसिक शांति: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  6. स्वास्थ्य: यह मंत्र अच्छे स्वास्थ्य और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति: संहार भैरव मंत्र से आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  8. साहस: यह मंत्र साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  9. धैर्य: मंत्र जप से धैर्य और सहनशीलता में वृद्धि होती है।
  10. क्लेश मुक्ति: यह मंत्र पारिवारिक और व्यक्तिगत क्लेशों का नाश करता है।
  11. योग्यता: यह मंत्र व्यक्ति की योग्यता और प्रतिभा में वृद्धि करता है।
  12. सुखमय जीवन: यह मंत्र सुखमय जीवन की प्राप्ति में सहायक होता है।
  13. प्रभावशाली व्यक्तित्व: यह मंत्र व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है।
  14. विघ्न नाश: यह मंत्र सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं का नाश करता है।
  15. कार्य सिद्धि: यह मंत्र कार्यों की सफलता में सहायक होता है।
  16. सात्विक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक और सात्विक ऊर्जा का संचार करता है।
  17. तंत्र बाधा मुक्ति: यह मंत्र तंत्र और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
  18. परिवार में सुख-शांति: यह मंत्र परिवार में सुख-शांति और प्रेम बनाए रखता है।
  19. ज्ञान वृद्धि: यह मंत्र ज्ञान और विवेक में वृद्धि करता है।
  20. सुरक्षा: यह मंत्र व्यक्ति को हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है।

संहार भैरव मंत्र विधि

मंत्र जप का दिन

संहार भैरव मंत्र का जप मंगलवार और शनिवार को विशेष शुभ माना जाता है। इन दिनों में मंत्र जप का प्रभाव अधिक होता है।

मंत्र जप की अवधि

मंत्र जप की अवधि कम से कम 15 मिनट से लेकर 1 घंटे तक होनी चाहिए। आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे बढ़ा सकते हैं।

मुहूर्त

संहार भैरव मंत्र का जप ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना श्रेष्ठ माना जाता है। अगर यह संभव न हो तो आप इसे किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं।

मंत्र जप के नियम

  1. शुद्धता: मंत्र जप से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. शांति: शांत और एकांत स्थान का चयन करें जहाँ किसी प्रकार की व्यवधान न हो।
  3. आसन: कुश के आसन पर बैठकर मंत्र जप करना चाहिए।
  4. माला: रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
  5. नियमितता: प्रतिदिन नियमित समय पर मंत्र जप करें।
  6. ध्यान: संहार भैरव का ध्यान करते हुए मंत्र का जप करें।
  7. भक्ति: पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ मंत्र का जप करें।
  8. संकल्प: मंत्र जप से पहले एक संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह मंत्र जप कर रहे हैं।
  9. आहार: सात्विक आहार का सेवन करें।
  10. व्रत: अगर संभव हो तो मंगलवार या शनिवार के दिन व्रत रखें।

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मंत्र जप सावधानियाँ

  1. अशुद्ध स्थान: अशुद्ध स्थान पर मंत्र जप न करें।
  2. भोजन के बाद: भोजन के तुरंत बाद मंत्र जप न करें।
  3. नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से बचें।
  4. अवधि: बहुत लंबी अवधि तक लगातार मंत्र जप न करें।
  5. सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।
  6. ध्यान भंग: ध्यान भंग करने वाले कारकों से बचें।
  7. प्राकृतिक घटनाएँ: प्राकृतिक आपदाओं के समय मंत्र जप न करें।
  8. स्वास्थ्य: स्वास्थ्य खराब होने पर मंत्र जप न करें।
  9. नियमों का पालन: सभी नियमों का पालन करें।
  10. अभिमान: मंत्र सिद्धि प्राप्त होने पर अभिमान न करें।

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प्रश्न और उत्तर

  1. प्रश्न: संहार भैरव कौन हैं?
    उत्तर: संहार भैरव भगवान शिव के आठ प्रमुख भैरव रूपों में से एक हैं, जो विनाशक और रक्षक के रूप में जाने जाते हैं।
  2. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र का अर्थ क्या है?
    उत्तर: “मैं संहार भैरव को नमन करता हूँ।”
  3. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र का जप किस दिन करना शुभ होता है?
    उत्तर: मंगलवार और शनिवार को।
  4. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र का नियमित जप क्या लाभ देता है?
    उत्तर: रक्षा, भयमुक्ति, शत्रु नाश, समृद्धि, मानसिक शांति।
  5. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र का जप कब करना चाहिए?
    उत्तर: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में।
  6. प्रश्न: मंत्र जप के लिए किस प्रकार की माला का प्रयोग करें?
    उत्तर: रुद्राक्ष की माला का।
  7. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र का उच्चारण कैसे करना चाहिए?
    उत्तर: सही उच्चारण और श्रद्धा के साथ।
  8. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र जप से क्या लाभ होता है?
    उत्तर: शारीरिक शक्ति, मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, साहस और धैर्य।
  9. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    उत्तर: अशुद्ध स्थान पर जप न करें, भोजन के तुरंत बाद न करें, नकारात्मक विचारों से बचें।
  10. प्रश्न: क्या संहार भैरव मंत्र जप से आर्थिक समृद्धि मिलती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आर्थिक समृद्धि लाता है।
  11. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र जप करने से क्या आध्यात्मिक उन्नति होती है?
    उत्तर: हाँ, यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
  12. प्रश्न: संहार भैरव मंत्र का जप कैसे करें?
    उत्तर: शुद्धता, शांत स्थान, कुश का आसन, रुद्राक्ष माला, नियमितता, ध्यान, भक्ति, संकल्प, सात्विक आहार के साथ।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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