इच्छा पूरी करने वाली माता तुलजा भवानी चालीसा विशेष रूप से माता तुलजा भवानी को समर्पित है. ये माता आदि शक्ति का स्वरूप मानी जाती है. और कृपा, सुरक्षा और संपत्ति के लिए इनका पाठ किया जाता है। यह चालीसा उनकी उच्च स्तुति और गुणों का वर्णन करती है और उनसे मानवता की कल्याण की कामना करती है।
चालीसा पाठ
दोहा:
नमो नमो जगदंबिके माता, चरणकमल रज सेवक राता।
संसार पार उतारिहें तुम, भक्तन के दुःख भार विहाता॥
चौपाई:
जय जय जगदंबिके सुखदायी, तुलजा भवानी अम्बा माई।
जटा मुकुट सिर शोभा पावै, चंद्र बिराजत तिलक मन भावै॥
त्रिशूल हस्त कर में धारी, दुष्ट दलन पर कृपा तुम्हारी।
सिंह वाहिनी तुहि सवारी, करहु कृपा जगदंबिके भारी॥
वेद पुराण में तुम्हीं समाई, महिमा अपार कही ना जाई।
त्रिगुण वासिनी तुहि भवानी, कृपा करहु ममता सुखदानी॥
अष्ट भुजा धारिणी माता, शरणागत पाले विहाता।
कालरात्रि को तुम्हीं समानी, भक्तजनन की हो हितकारी॥
शुभ्र वसन पर शोभा पावे, हस्त कमल कमल मन भावे।
धन्य तुम्हारो ये रूप विचारी, करता हरै भव बंधन हारी॥
तुलजा भवानी देवी प्यारी, करहु सहाय अंबे हमारी।
भक्तन पर कर कृपा भारी, संकट हरहु भव बंधन टारी॥
सप्तश्रृंगी तुहि वैष्णवी माता, भक्तजनन के दुःख हर्ता।
प्रेम सहित जो ध्यान लगाए, संकट हरे कृपा बरसाए॥
विष्णु की माया तुहि भवानी, करहु सहाय जगदंबिके माई।
त्रिगुण वासिनी तुहि त्रिपुरारी, विश्वनाथ की हो अधिकारी॥
सर्व सिद्धि की हो अधिकारी, शरणागत की हो उद्धारी।
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, भक्ति शक्ति सब पावे॥
दुष्ट दलन कर कृपा करहु, भवसागर से पार करहु।
शरणागत की हो रक्षा, माता भवानी दया दृष्टा॥
नमो नमो जगदंबिके माता, जय जय जय जगदंबिके माता।
जय जय जगदंबिके माता, जय जय जय जगदंबिके माता॥
दोहा:
श्री तुलजा भवानी अम्बे, चरण शरण कीजै।
भक्तन पर कृपा करहु, भव बंधन हर लीजै॥
चालीसा के लाभ
- आध्यात्मिक शांति: चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।
- संकट मोचन: जीवन में आने वाले विभिन्न संकटों से मुक्ति मिलती है।
- परिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
- आकर्षण शक्ति: व्यक्ति के व्यक्तित्व में आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
- दुष्ट शक्तियों से सुरक्षा: नकारात्मक ऊर्जा और दुष्ट शक्तियों से रक्षा होती है।
- धन-धान्य की प्राप्ति: आर्थिक स्थिरता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- संतान सुख: नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
- मान-सम्मान में वृद्धि: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- मनोकामना पूर्ण: भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है और उनके कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है।
- मनोबल में वृद्धि: व्यक्ति के मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- दैनिक समस्याओं से मुक्ति: दैनिक जीवन की समस्याओं का समाधान होता है।
- भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि: ईश्वर के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
- कार्य सिद्धि: सभी कार्य सफल होते हैं और सफलता प्राप्त होती है।
- विवाह में बाधा दूर: विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
- सफलता और उन्नति: नौकरी और व्यवसाय में सफलता और उन्नति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- क्लेश मुक्ति: जीवन के क्लेश और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।
पाठ विधि
- दिन: माता तुलजा भवानी का चालीसा पाठ करने के लिए मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- अवधि: चालीसा का पाठ नियमित रूप से किया जा सकता है। यदि किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जा रहा हो तो 40 दिनों तक निरंतर करें।
- मुहुर्थ: प्रातःकाल और संध्या काल का समय चालीसा पाठ के लिए उत्तम माना जाता है।
पाठ के नियम
- शुद्धता: पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- संकल्प: मन में माता तुलजा भवानी का ध्यान करें और संकल्प लें।
- स्वच्छ स्थान: पाठ के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
- धूप-दीप: पाठ के समय धूप और दीपक जलाएं।
- एकाग्रता: मन को एकाग्र करें और पूरी श्रद्धा के साथ पाठ करें।
- नियमितता: नियमित रूप से पाठ करने का नियम बनाएं।
माता तुलजा भवानी चालीसा पाठ के समय सावधानियां
- आलस्य: पाठ के समय आलस्य या उदासी न लाएं।
- व्यवधान: पाठ के समय किसी भी प्रकार का व्यवधान न आने दें।
- शुद्धता: शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- दोषमुक्त भोजन: पाठ के दिन दोषमुक्त भोजन का सेवन करें।
- नकारात्मक विचार: नकारात्मक विचारों से बचें और सकारात्मक रहें।
माता तुलजा भवानी चालीसा से संबंधित सामान्य प्रश्न
- माता तुलजा भवानी कौन हैं?
- माता तुलजा भवानी को शक्ति का अवतार माना जाता है और उनकी पूजा विशेष रूप से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में की जाती है।
- माता तुलजा भवानी का चालीसा पाठ कब करना चाहिए?
- मंगलवार और शुक्रवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
- नियमित रूप से एक या तीन बार किया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में 40 दिनों तक लगातार किया जा सकता है।
- पाठ के लिए क्या सामग्री चाहिए?
- धूप, दीपक, फूल, नैवेद्य, और स्वच्छ वस्त्र।
- चालीसा का पाठ क्यों किया जाता है?
- मानसिक शांति, संकट मोचन, परिवारिक सुख, आर्थिक स्थिरता आदि के लिए।
- पाठ के समय कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?
- आलस्य, व्यवधान, शुद्धता का ध्यान, दोषमुक्त भोजन, नकारात्मक विचारों से बचें।
- क्या पाठ के लिए कोई विशेष स्थान होना चाहिए?
- एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें।
- क्या पाठ करने के लिए विशेष समय होना चाहिए?
- प्रातःकाल और संध्या काल का समय उत्तम माना जाता है।
- क्या पाठ के बाद कोई विशेष कर्म करना चाहिए?
- पाठ के बाद प्रसाद वितरण और माता के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
- क्या पाठ के समय कोई विशेष नियम का पालन करना चाहिए?
- स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण करें, धूप-दीप जलाएं, एकाग्रता रखें।
- क्या माता तुलजा भवानी का पाठ से संतान सुख प्राप्त हो सकता है?
- हां, नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
- क्या माता तुलजा भवानी का पाठ से शत्रु नाश हो सकता है?
- हां, शत्रुओं का नाश होता है और उनके कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है।