संतान सप्तमी व्रत 2025: संतान सुख, लंबी आयु और समृद्धि का मार्ग
संतान सप्तमी व्रत हिन्दू धर्म में माताओं द्वारा संतान सुख, संतान की दीर्घायु, और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से वे महिलाएँ रखती हैं जिन्हें संतान की प्राप्ति में कठिनाई हो रही हो, या वे जो अपनी संतान की कुशलता चाहती हैं। इस व्रत का पालन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है।
संतान सप्तमी व्रत का मुहूर्त 2025
संतान सप्तमी व्रत 2025 में 30 अगस्त को मनाया जाएगा। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है। तिथि की शुरुआत 29 अगस्त 2025 की शाम से होगी और यह 30 अगस्त की शाम तक रहेगी।
इस व्रत का पालन संतान प्राप्ति, उनकी लंबी आयु और समृद्धि के लिए किया जाता है। महिलाएं विशेष रूप से इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और संतान की कुशलता के लिए उपवास रखती हैं
व्रत विधि मंत्र के साथ
सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। एक पवित्र स्थान पर भगवान विष्णु, माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। दीप प्रज्वलित करें और पूजा सामग्री को सजाएं। पूजा में निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः॥”
पूजा के पश्चात व्रत कथा का श्रवण करें और संतान प्राप्ति की कामना से भगवान की आराधना करें।
व्रत में क्या खाएं, क्या न खाएं
इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता। व्रती फलाहार कर सकते हैं, जैसे फल, दूध और हल्का भोजन। व्रती को तामसिक भोजन और मसालेदार पदार्थों का त्याग करना चाहिए। सात्विक भोजन करना ही इस व्रत की शुद्धता बनाए रखने में सहायक होता है।
संतान सप्तमी व्रत के लाभ
- संतान प्राप्ति में सहायक।
- संतान की लंबी आयु।
- संतान का स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
- पारिवारिक सुख में वृद्धि।
- संतान में मानसिक और शारीरिक शक्ति का विकास।
- गृहस्थ जीवन में संतोष।
- आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।
- पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति।
- जीवन में शांति और समृद्धि।
- संतान की उन्नति।
- परिवार में सुख और शांति।
- संतान पर आई विपत्तियों से रक्षा।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- मानसिक शांति।
- रोग और कष्टों से मुक्ति।
- भगवान की कृपा प्राप्ति।
- ग्रह दोषों से मुक्ति।
व्रत के नियम
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- निर्जल उपवास रखें।
- संतान सप्तमी की कथा पढ़ें या सुनें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- दिनभर भगवान विष्णु और माता पार्वती की पूजा करें।
- शाम को व्रत खोलें।
संतान सप्तमी व्रत संपूर्ण कथा
संतान सप्तमी व्रत कथा में एक राजा और रानी की कथा सुनाई जाती है, जिनके पास कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने अनेक व्रत, पूजन और तप किया, लेकिन उन्हें कोई संतान सुख नहीं मिला। अत्यंत दुखी होकर वे ऋषि-मुनियों की शरण में गए। ऋषियों ने उन्हें संतान सप्तमी व्रत की विधि बताई और कहा कि इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करने से उन्हें अवश्य ही संतान की प्राप्ति होगी।
राजा और रानी ने पूरी श्रद्धा के साथ संतान सप्तमी व्रत का पालन किया और भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की। भगवान उनकी भक्ति और तप से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार, राजा और रानी को संतान सुख प्राप्त हुआ।
इस कथा के अनुसार, इस व्रत को करने से न केवल संतान प्राप्त होती है, बल्कि संतान के जीवन में आने वाले सभी दुख, कष्ट और विपत्तियों का भी नाश होता है। माता-पिता संतान के उज्जवल भविष्य और दीर्घायु की कामना से यह व्रत करते हैं
भोग
इस व्रत में प्रसाद के रूप में हलवा, फल, दूध और अन्य सात्विक व्यंजन अर्पित किए जाते हैं। संतान प्राप्ति की कामना से माता पार्वती और भगवान विष्णु को विशेष रूप से भोग अर्पित किया जाता है।
व्रत की शुरुआत व समाप्ति
व्रत सूर्योदय से पहले आरंभ होता है और सूर्यास्त के बाद पारंपरिक विधि से समाप्त होता है। व्रती दिनभर उपवास रखकर पूजा और संतान प्राप्ति की कामना करते हैं।
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सावधानियां
- व्रत का पालन पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करें।
- पूजा के समय किसी भी प्रकार की अशुद्धता से बचें।
- व्रत के दौरान कठोर वाणी का प्रयोग न करें।
- परिवार की कुशलता के लिए संकल्प लें।
- मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
संतान सप्तमी व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर
1. प्रश्न: संतान सप्तमी व्रत क्यों किया जाता है?
उत्तर: संतान सुख और संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है।
2. प्रश्न: व्रत कब किया जाता है?
उत्तर: भाद्रपद शुक्ल सप्तमी तिथि को।
3. प्रश्न: इस व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: तामसिक भोजन और अन्न का सेवन वर्जित है।
4. प्रश्न: संतान सप्तमी व्रत की पूजा कैसे करें?
उत्तर: भगवान विष्णु, माता पार्वती और शिवजी की पूजा करें।
5. प्रश्न: व्रत का समापन कब होता है?
उत्तर: सूर्यास्त के बाद व्रत खोलें।
6. प्रश्न: क्या यह व्रत सभी महिलाएं कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, सभी महिलाएं संतान सुख की कामना से यह व्रत कर सकती हैं।
7. प्रश्न: क्या इस व्रत में कोई विशेष मंत्र है?
उत्तर: हाँ, “ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो…” मंत्र का जाप किया जाता है।
8. प्रश्न: व्रत में फलाहार की अनुमति है?
उत्तर: हाँ, फल, दूध और हल्के सात्विक भोजन का सेवन किया जा सकता है।
9. प्रश्न: क्या पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं?
उत्तर: मुख्य रूप से यह व्रत माताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन पुरुष भी कर सकते हैं।
10. प्रश्न: व्रत का प्रमुख लाभ क्या है?
उत्तर: संतान सुख और उनकी दीर्घायु प्राप्ति।
11. प्रश्न: व्रत की कथा क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: कथा श्रवण से व्रत की महिमा और फल में वृद्धि होती है।
12. प्रश्न: व्रत के नियम क्या हैं?
उत्तर: सूर्योदय से पहले स्नान, शुद्ध वस्त्र, निर्जल उपवास, और दिनभर पूजा।