शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

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Saptashrungi Devi Mantra – Path to Success

सप्तश्रंगी देवी मंत्र: कार्यसिद्धि और बाधाओं को दूर करने का चमत्कारी उपाय

सप्तश्रंगी देवी मंत्र शक्तिशाली और चमत्कारी है, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने और सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। यह मंत्र देवी सप्तश्रंगी को समर्पित है, जो देवी दुर्गा के सात शिखरों के रूप में पूजी जाती हैं। उनका यह स्वरूप विशेष रूप से सिद्धियों और कार्यसिद्धि के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।

सप्तश्रंगी देवी मंत्र का नियमित जप व्यक्ति की सभी कठिनाइयों को समाप्त कर, उसे सफलता की ओर ले जाता है। यह मंत्र देवी की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण साधन है, और इसका जप भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।

सप्तश्रंगी देवी के बारे में

सप्तश्रंगी देवी महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन देवी मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनका मंदिर वणी गांव के निकट सप्तश्रंग पर्वत पर स्थित है। “सप्तश्रंगी” नाम का अर्थ है “सात शिखरों वाली देवी,” क्योंकि यह मंदिर सात पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यह स्थान देवी दुर्गा के एक रूप को समर्पित है और माना जाता है कि यहां देवी ने महिषासुर राक्षस का वध किया था।

सप्तश्रंगी देवी को ‘सप्तमातृका’ का रूप माना जाता है, और वह आदिशक्ति, दुर्गा या भवानी का साक्षात अवतार हैं। इन्हें विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान पूजा जाता है, जब भक्तों का तांता मंदिर में लगा रहता है। देवी की प्रतिमा में आठ हाथ हैं और प्रत्येक हाथ में अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए हैं, जो उनकी शक्तिशाली और संरक्षक स्वरूप का प्रतीक हैं।

सप्तश्रंगी देवी का मंदिर प्राचीन समय से ही तांत्रिक और धार्मिक साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण साधना स्थल रहा है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।

यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। सप्तश्रंग पर्वत से चारों ओर का दृश्य बहुत ही मनोहारी होता है और यहां की शांति व ऊर्जा साधकों को ध्यान और पूजा के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती है।

सप्तश्रंगी देवी मंत्र विनियोग और अर्थ

मंत्र विनियोग:

  • देवता: सप्तश्रंगी देवी
  • उद्देश्य: कार्यसिद्धि, बाधा निवारण और शांति
  • समय: विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में या नवरात्रि के दिनों में जप करना अत्यंत प्रभावी होता है।

मंत्र:

ॐ ह्रीं क्रीं सप्तश्रंगी देव्ये मम कार्य सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा।

मंत्र का संपूर्ण अर्थ:

“हे सप्तश्रंगी देवी! आप मेरी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करें, मेरे सभी कार्यों में सफलता प्रदान करें और मेरी जीवन की बाधाओं को दूर करें। स्वाहा।”

Mata Saptashrungi Mantra Pryog- Video

सप्तश्रंगी देवी मंत्र के लाभ

  1. कार्य में आ रही अड़चनों को दूर करता है।
  2. शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. मानसिक शांति और संतुलन देता है।
  4. आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  5. रोगों से मुक्ति दिलाता है।
  6. बाधाओं को समाप्त करता है।
  7. सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
  8. आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  9. पारिवारिक जीवन में शांति आती है।
  10. करियर में तरक्की होती है।
  11. आध्यात्मिक उन्नति करता है।
  12. दु:ख-दर्द से मुक्ति दिलाता है।
  13. वाद-विवाद और कानूनी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  14. घर में सुख-समृद्धि और शांति स्थापित होती है।
  15. भाग्य को प्रबल बनाता है।
  16. देवी की कृपा प्राप्त होती है।
  17. समस्त कार्यों में सफलता मिलती है।

सप्तश्रंगी देवी मंत्र विधि

मंत्र जप की विधि का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इसका सही ढंग से जप करने से ही इच्छित फल प्राप्त होता है।

जप का दिन: नवरात्रि, पूर्णिमा, या किसी शुभ तिथि पर आरंभ करें।

अवधि: 11 से 21 दिनों तक निरंतर जप करें।

मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त या शाम को संध्या के समय।

सप्तश्रंगी देवी मंत्र जप विधि

इस मंत्र का जप करने से पहले सही तरीके से संकल्प लें और नियमों का पालन करें। 11 से 21 दिनों तक इस मंत्र का रोजाना जप करना चाहिए, और इसे पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ करना चाहिए।

सामग्री

  • पीले वस्त्र पहनें
  • शुद्धता का ध्यान रखें
  • लाल या पीले आसन पर बैठें
  • देवी की तस्वीर या प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं
  • कुमकुम, चावल, और फूल चढ़ाएं

सप्तश्रंगी देवी मंत्र जप संख्या

इस मंत्र का जप 11 माला यानी 1188 बार रोज करना चाहिए। 11 दिनों तक लगातार जप करने से मंत्र सिद्ध होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

सप्तश्रंगी देवी मंत्र जप के नियम

  1. उम्र 20 वर्ष के ऊपर होनी चाहिए।
  2. पुरुष और स्त्री दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
  3. जप के दौरान नीले और काले वस्त्र न पहनें।
  4. धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  6. जप करते समय पूर्ण शुद्धता और ध्यान रखें।

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मंत्र जप के दौरान सावधानियां

  1. बिना किसी रुकावट के निरंतर जप करें।
  2. मंत्र जप के समय पूर्ण एकाग्रता बनाए रखें।
  3. किसी प्रकार की नकारात्मक भावना न रखें।
  4. जप के बाद प्रसाद ग्रहण करें और देवी से आशीर्वाद लें।

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सप्तश्रंगी देवी मंत्र संबंधित प्रश्न और उत्तर

1. सप्तश्रंगी देवी मंत्र किसके लिए उपयुक्त है?

यह मंत्र उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो अपने जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिनके कार्यों में बार-बार बाधाएं आ रही हैं।

2. इस मंत्र का जप कितने दिनों तक करना चाहिए?

इस मंत्र का जप कम से कम 11 दिनों तक करना चाहिए, और अधिकतम 21 दिनों तक किया जा सकता है।

3. क्या इस मंत्र का जप महिलाएं कर सकती हैं?

हां, महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं, परंतु जप के दौरान नियमों का पालन अनिवार्य है।

4. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष समय पर करना चाहिए?

मंत्र जप के लिए ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्या का समय सबसे उपयुक्त है।

5. मंत्र जप के दौरान किन रंगों के वस्त्र पहनने चाहिए?

सफेद, पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। काले और नीले रंग से बचें।

6. क्या मंत्र जप के समय अन्य पूजा भी की जा सकती है?

हां, आप अन्य पूजा भी कर सकते हैं, परंतु मंत्र जप के लिए विशेष समय निकालना चाहिए।

7. क्या मंत्र जप के बाद प्रसाद चढ़ाना चाहिए?

हां, मंत्र जप के बाद देवी को प्रसाद चढ़ाकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

8. क्या इस मंत्र का जप किसी विशेष पर्व या तिथि पर करना अनिवार्य है?

हालांकि, इस मंत्र का जप नवरात्रि या पूर्णिमा के दिन शुरू करना अधिक प्रभावी होता है, पर इसे किसी भी शुभ तिथि पर शुरू किया जा सकता है।

9. इस मंत्र का प्रभाव कब दिखने लगता है?

सही विधि और श्रद्धा से मंत्र जप करने पर इसका प्रभाव कुछ ही दिनों में दिखने लगता है।

10. क्या मंत्र जप के दौरान व्रत रखना आवश्यक है?

व्रत अनिवार्य नहीं है, परंतु शुद्धता और ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है।

11. क्या मंत्र जप के दौरान मोबाइल या टीवी का प्रयोग किया जा सकता है?

मंत्र जप के समय एकाग्रता बनाए रखना आवश्यक है, इसलिए मोबाइल और टीवी से दूर रहना चाहिए।

12. क्या मंत्र जप के दौरान मंत्र की माला जरूरी है?

हां, मंत्र की माला से जप करना अनुशासित रखता है और संख्यात्मक जप को सुनिश्चित करता है।

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