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Shankhini Yakshini Mantra – Unlock Wealth, Success & Peace

शंखिनी यक्षिणी मंत्र: भौतिक सुख, आर्थिक उन्नति और आध्यात्मिक शांति का रहस्य

शंखिनी यक्षिणी मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो भौतिक सुख, कार्य सिद्धि, नौकरी-व्यापार में उन्नति, परिवार में शांति, मित्रता बढ़ाने और आर्थिक उन्नति प्रदान करता है। यह मंत्र दसों दिशाओं की ऊर्जा को जागृत करता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

विनियोग मंत्र और उसका अर्थ

विनियोग मंत्र:
ॐ अस्य श्री शंखिनी यक्षिणी मंत्रस्य,
ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः,
शंखिनी यक्षिणी देवता।
मम इच्छित कार्य सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः॥

इस मंत्र का अर्थ है कि शंखिनी यक्षिणी की कृपा से हमें धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। यह मंत्र दिव्य शक्तियों को आह्वान करता है और हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

मंत्र और उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र साधना के दौरान साधक को बाहरी नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र साधक के चारों दिशाओं में सुरक्षा कवच की स्थापना करता है, ताकि साधना में कोई विघ्न न आए।

मंत्र:

ॐ आं अंगारकाय नमः।
ॐ ईं ईशानाय नमः।
ॐ हुं हुं हराय नमः।
ॐ ह्रीं ह्रीं महाकालाय नमः।
ॐ फट् स्वाहा॥

मंत्र का अर्थ:

  1. ॐ आं अंगारकाय नमः – मंगल (अंगारक) ग्रह को नमन, जो दक्षिण दिशा की रक्षा करता है।
  2. ॐ ईं ईशानाय नमः – ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा के देवता को प्रणाम, जो ज्ञान और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  3. ॐ हुं हुं हराय नमः – शिव के विनाशकारी स्वरूप (हर) को प्रणाम, जो सभी बाधाओं को हरते हैं।
  4. ॐ ह्रीं ह्रीं महाकालाय नमः – महाकाल को प्रणाम, जो काल और समय के स्वामी हैं और चारों दिशाओं की रक्षा करते हैं।
  5. ॐ फट् स्वाहा – इस बीज मंत्र से सभी दिशाओं में सुरक्षा का कवच स्थापित होता है।

विधि:

  1. साधना प्रारंभ करने से पहले दिग्बंधन मंत्र का जप करें।
  2. अपने चारों ओर कल्पना करें कि एक दिव्य प्रकाश मंडल का घेरा बन रहा है, जो आपको और आपकी साधना को नकारात्मक शक्तियों से बचाएगा।
  3. चारों दिशाओं में, ऊपर और नीचे (आकाश और पाताल) की ओर मंत्र का उच्चारण करते हुए ध्यान करें।

महत्व:

  • दिग्बंधन मंत्र साधना के दौरान बाहरी प्रभाव, जैसे नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, और अन्य विघ्नों से सुरक्षा करता है।
  • यह मंत्र साधना के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाता है।
  • यह साधक के आत्मविश्वास और ध्यान को बढ़ाता है।

यदि आप इसे किसी विशेष साधना के लिए उपयोग करना चाहते हैं, तो इसे गुरु की अनुमति से ही करें। मंत्र शक्ति को जागृत करने के लिए सही उच्चारण और नियमानुसार साधना आवश्यक है।


मंत्र और उसका संपूर्ण अर्थ

मंत्र:
“ॐ ह्रीं शंखधारणी शंखभरणे ह्रां ह्रीं क्लीं क्लीं स्वाहा।”

मंत्र का अर्थ (शब्दार्थ और भावार्थ):

स्वाहा – यह मंत्र के समर्पण का संकेत है। यह देवता या देवी के प्रति पूर्ण समर्पण और यज्ञ या साधना को पूर्ण करने का आह्वान है।

– यह बीज ध्वनि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। यह मंत्र की शुरुआत और साधना के लिए परमात्मा का आह्वान है।

ह्रीं – यह शक्ति का बीज मंत्र है। यह मां शक्ति या देवी की ऊर्जा को जागृत करता है। यह साधक को आंतरिक और बाहरी शुद्धि, शक्ति, और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है।

शंखधारणी – देवी को संबोधित करता है जो शंख (शंख यंत्र या ध्वनि के स्रोत) को धारण करती हैं। शंख का प्रतीक समृद्धि, शांति और पवित्रता है।

शंखभरणे – देवी को इंगित करता है, जिन्होंने स्वयं को शंख से सुशोभित किया है। शंख का धारण करना उच्च चेतना, विजय, और सृजन का प्रतीक है।

ह्रां – यह बीज मंत्र उग्र और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए उपयोग होता है। यह शक्ति और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।

ह्रीं – शक्ति का बीज मंत्र, जो भौतिक, मानसिक, और आध्यात्मिक बाधाओं को समाप्त करता है।

क्लीं – यह काम बीज है, जो आकर्षण, प्रेम, और शक्ति का प्रतीक है। यह साधक की इच्छाओं को सिद्ध करने में सहायक है।

भावार्थ:

यह मंत्र देवी को समर्पित है, जो शंख की शक्ति और गुणों की स्वामिनी हैं। शंख को वैदिक और तांत्रिक साधनाओं में पवित्रता, सकारात्मकता, और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। इस मंत्र का उपयोग देवी को प्रसन्न करने, साधना में सफलता प्राप्त करने, और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के लिए किया जाता है।

मंत्र के जप से:

  1. साधक के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
  2. सभी बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. आत्मबल, आध्यात्मिक उन्नति, और इच्छित कार्य सिद्धि में सहायता मिलती है।

जप काल में सेवन योग्य वस्तुएं

  • दूध और दूध से बने उत्पाद
  • शहद और घी
  • ताजे फल और सूखे मेवे
  • शुद्ध जल और हर्बल चाय
  • सात्विक भोजन

शंखिनी यक्षिणी मंत्र के लाभ

  • धन और समृद्धि में वृद्धि
  • नौकरी और व्यापार में उन्नति
  • परिवार में शांति और सद्भाव
  • मित्रता और संबंधों में मजबूती
  • आर्थिक समस्याओं का समाधान
  • मानसिक शांति और सुख
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
  • स्वास्थ्य में सुधार
  • आत्मविश्वास में वृद्धि
  • कार्यों में सफलता
  • भय और चिंता से मुक्ति
  • आध्यात्मिक उन्नति
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार
  • जीवन में संतुलन
  • मनोकामनाओं की पूर्ति
  • दुश्मनों पर विजय
  • समाज में प्रतिष्ठा
  • आंतरिक शक्ति का विकास

पूजा सामग्री और मंत्र विधि

पूजा सामग्री:

  • शंख
  • कुमकुम
  • अगरबत्ती
  • फूल और माला
  • घी का दीपक
  • चावल और हल्दी
  • शुद्ध जल

विधि:

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  3. शंखिनी यक्षिणी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  4. घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती दें।
  5. मंत्र का जप करें: “ॐ ह्रीं शंखधारणी शंखभरणे ह्रां ह्रीं क्लीं क्लीं स्वाहा।”
  6. मंत्र जप के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

समय और अवधि

  • मंत्र जप का दिन: गुरुवार या शुक्रवार
  • अवधि: 20 मिनट, 18 दिन तक
  • मुहूर्त: सुबह या शाम का समय

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नियम

  • उम्र 20 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • स्त्री-पुरुष दोनों मंत्र जप कर सकते हैं।
  • नीले या काले कपड़े न पहनें।
  • धूम्रपान, मद्यपान और मांसाहार से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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सावधानियां

  • मंत्र जप के समय मन को शांत रखें।
  • पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखें।
  • मंत्र का उच्चारण सही तरीके से करें।
  • नियमित रूप से मंत्र जप करें।

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शंखिनी यक्षिणी मंत्र से संबंधित प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: शंखिनी यक्षिणी मंत्र किसके लिए उपयोगी है?

उत्तर: यह मंत्र धन, समृद्धि, नौकरी, व्यापार और परिवार में शांति के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2: मंत्र जप का सबसे अच्छा समय क्या है?

उत्तर: सुबह या शाम का समय मंत्र जप के लिए उत्तम है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं इस मंत्र का जप कर सकती हैं?

उत्तर: हां, महिलाएं और पुरुष दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 4: मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के दौरान मन को शांत रखें और नियमों का पालन करें।

प्रश्न 5: मंत्र जप की अवधि कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप 20 मिनट, 18 दिन तक करना चाहिए।

प्रश्न 6: क्या मंत्र जप के दौरान मांसाहार कर सकते हैं?

उत्तर: नहीं, मंत्र जप के दौरान मांसाहार से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न 7: मंत्र जप के लिए कौन-सा दिन उत्तम है?

उत्तर: गुरुवार या शुक्रवार मंत्र जप के लिए उत्तम दिन है।

प्रश्न 8: मंत्र जप के लिए कौन-सी सामग्री आवश्यक है?

उत्तर: शंख, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल, घी का दीपक, चावल और हल्दी आवश्यक है।

प्रश्न 9: मंत्र जप के दौरान क्या पहनना चाहिए?

उत्तर: सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए।

प्रश्न 10: मंत्र जप के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: मंत्र जप के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

प्रश्न 11: क्या मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?

उत्तर: हां, मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।

प्रश्न 12: मंत्र जप के लिए कौन-सा मुहूर्त उत्तम है?

उत्तर: सुबह या शाम का समय मंत्र जप के लिए उत्तम मुहूर्त है।

शंखिनी यक्षिणी मंत्र का नियमित जप करके आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह मंत्र आपको भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही सुख प्रदान करता है।

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