Shanmukha Gayatri Mantra for Peace & Protection

Shanmukha Gayatri Mantra for Peace & Protection

षण्मुख गायत्री मंत्र क्या होता है?

इच्छा पूरी करने वाला षण्मुख गायत्री मंत्र भगवान कार्तिकेय, जिन्हें षण्मुख, मुरुगन, और स्कन्द के नाम से भी जाना जाता है, की स्तुति का एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है। यह मंत्र भगवान कार्तिकेय के छह मुखों का प्रतिनिधित्व करता है और साधक को आंतरिक शक्ति, साहस, और ज्ञान प्रदान करता है।

षण्मुख गायत्री मंत्र और उसका अर्थ

मंत्र:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि। तन्नः षण्मुख प्रचोदयात्॥

अर्थ:
हम उस अद्वितीय पुरुष (कार्तिकेय) का ध्यान करते हैं, जो महा सेनापति हैं। कृपया भगवान षण्मुख हमारे ज्ञान को प्रज्वलित कर सही मे मार्ग ले जायें।

षण्मुख गायत्री मंत्र के लाभ

  1. शत्रुओं का नाश: यह मंत्र शत्रुओं से रक्षा करता है और उनकी बुरी शक्तियों को समाप्त करता है।
  2. मानसिक शांति: नियमित जप से मानसिक शांति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र साधक की आध्यात्मिक यात्रा में उन्नति को बढ़ावा देता है।
  4. स्वास्थ्य सुधार: नियमित जप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  5. धन और समृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में सहायक होता है।
  6. संकटों का निवारण: जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं का नाश करता है।
  7. ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: साधक की बुद्धि और विवेक को प्रखर करता है।
  8. परिवारिक कल्याण: परिवार में सुख-शांति और सौहार्द को बढ़ाता है।
  9. बाधाओं का निवारण: सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है।
  10. कर्मों का शुद्धिकरण: पिछले कर्मों के दुष्प्रभावों का शुद्धिकरण करता है।
  11. विवाह में सफलता: विवाह संबंधित समस्याओं का समाधान करता है।
  12. भय का नाश: जीवन के सभी प्रकार के भय को समाप्त करता है।
  13. भगवान की कृपा: भगवान कार्तिकेय की अनंत कृपा प्राप्त होती है।

षण्मुख गायत्री मंत्र विधि

  1. मंत्र जप का दिन: मंगलवार और शुक्रवार विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
  2. अवधि: मंत्र जप की अवधि 11 से 21 दिन तक होती है।
  3. मुहूर्त: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) और सूर्यास्त के समय का चयन करें।

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मंत्र जप की सामग्री

  • आसन: मंत्र जप के लिए कुश का आसन उत्तम माना जाता है।
  • दीपक: शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  • अगरबत्ती और धूप: पूजा के दौरान धूप और अगरबत्ती का प्रयोग करें।
  • फूल: भगवान को अर्पित करने के लिए लाल और पीले फूल चुनें।
  • जल: ताम्र पात्र में जल रखें और उससे भगवान का अभिषेक करें।
  • माला: रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।

षण्मुख गायत्री मंत्र जप संख्या

  • मंत्र जप: प्रतिदिन 11 माला यानी 1188 मंत्रों का जप करें।
  • समय: 21 दिन तक रोजाना एक ही समय पर मंत्र जप करें।

षण्मुख गायत्री मंत्र जप के नियम

  1. उम्र: मंत्र जप करने वाला व्यक्ति 20 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए।
  2. स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है: इस मंत्र का जप कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
  3. वस्त्र: जप के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनें। नीले और काले रंग के वस्त्र न पहनें।
  4. शुद्ध आहार: धूम्रपान, तंबाकू, पान, और मांसाहार का सेवन न करें।
  5. ब्रह्मचर्य का पालन करें: साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
  6. साधना की गोपनीयता: साधना को गोपनीय रखें और अनावश्यक रूप से चर्चा न करें।
  7. स्नान और शुद्धता: प्रतिदिन स्नान करके ही मंत्र जप करें और शुद्धता का ध्यान रखें।

षण्मुख गायत्री मंत्र जप की सावधानियाँ

  1. शुद्धता का ध्यान: मंत्र जप के दौरान स्थान और स्वयं की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. समय का पालन: प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
  3. उचित आसन: कुश के आसन पर बैठकर ही मंत्र जप करें।
  4. सकारात्मक विचार: साधना के समय मन को शांत रखें और सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करें।
  5. विश्राम न करें: साधना के दौरान बीच में विराम न लें।
  6. वाणी का संयम: साधना के समय वाणी का संयम आवश्यक है।
  7. अन्य देवताओं की पूजा: साधना के समय अन्य देवताओं की पूजा न करें।
  8. आहार: सात्विक आहार का ही सेवन करें और साधना के समय पवित्रता बनाए रखें।

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षण्मुख गायत्री मंत्र से संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: षण्मुख गायत्री मंत्र का क्या महत्व है?
उत्तर: यह मंत्र भगवान कार्तिकेय की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का जप कौन कर सकता है?
उत्तर: 20 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री और पुरुष, जो विधिवत नियमों का पालन कर सकें, इसे कर सकते हैं।

प्रश्न 3: मंत्र जप के लिए कौन-सा समय उत्तम है?
उत्तर: ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) और सूर्यास्त का समय सबसे उत्तम है।

प्रश्न 4: क्या इस मंत्र का जप गुप्त रखना चाहिए?
उत्तर: हाँ, साधना को गुप्त रखना चाहिए ताकि उसकी शक्ति कम न हो।

प्रश्न 5: जप के दौरान क्या पहनना चाहिए?
उत्तर: सफेद या पीले वस्त्र पहनें; नीले और काले वस्त्र न पहनें।

प्रश्न 6: क्या जप के दौरान विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: हाँ, जप के दौरान कुश का आसन, घी का दीपक, और रुद्राक्ष माला का उपयोग करें।

प्रश्न 7: क्या साधना के दौरान व्रत रखना जरूरी है?
उत्तर: साधना के दौरान शुद्धता बनाए रखने के लिए उपवास रखना फलदायी होता है।

प्रश्न 8: इस मंत्र का जप करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: यह मंत्र मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप के दौरान धूम्रपान और मांसाहार करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, साधना के दौरान धूम्रपान, तंबाकू, और मांसाहार का सेवन वर्जित है।

प्रश्न 10: साधना के समय क्या ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 11: क्या साधना के दौरान अन्य देवताओं की पूजा की जा सकती है?
उत्तर: नहीं, साधना के समय केवल भगवान कार्तिकेय की ही पूजा करें।

प्रश्न 12: क्या इस मंत्र के जप से सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है?
उत्तर: हाँ, इस मंत्र का जप सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों का नाश करता है।