Shashti Devi Stotra- Child Protection Prayer
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र: बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए अचूक स्तोत्र
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और विकास के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से माता-पिता के लिए है जो अपने बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए चिंतित रहते हैं। इसमें षष्ठी देवी, जिन्हें बाल सुरक्षा और माता-शक्ति के रूप में पूजा जाता है, की स्तुति और प्रार्थना की जाती है। स्तोत्र का नियमित पाठ बच्चों को रोगों, बुरी नजर, आपदाओं और नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। यह स्तोत्र बच्चों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षित बनाए रखने में सहायक है।
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र
अथ बाल सुरक्षा स्तोत्रम्
ॐ नमः षष्ठी देवी च,
नमः बाल रक्षकाय च।
कुमार रक्षकाय च,
महामारी निवारिण्यै नमः॥
षष्ठी त्वं सर्वदा पातु,
बालकं मम सर्वदा।
अंधकूपे महासत्रे,
महामार्गे महाबयात्॥
शस्त्रासि पट्टिशादिभ्यः,
दंडादिभ्यश्च पुत्रकम्।
विषमादन्न दुष्पथ्ये,
व्याधिभ्यश्चैव सर्वदा॥
नदी कूप तडागे च,
विपत्तौ पातु पुत्रकम्।
मातृकृद्भ्यश्च सर्वेभ्यः,
पाशबद्धान्न बंधनात्॥
इंद्राणी पातु शीर्षं च,
चक्षुषी मेश्वरी तथा।
षष्ठी कर्णौ च पातु,
नासिकां च वरा भवेत्॥
वदनं पातु सर्वेशी,
कण्ठं पातु च चण्डिका।
स्कन्धौ स्कन्दमाता च,
हृदयं पातु चण्डिका॥
हस्तौ पातु महालक्ष्मीः,
उदरं पातु चण्डिका।
गुह्यं गुप्तप्रिया पातु,
कटिं पातु सुरेश्वरी॥
ऊरू मां विंध्यवासिनी,
जानुनी कात्यायनी सदा।
पादौ पातु जगद्धात्री,
सर्वाङ्गं पातु सर्वदा॥
षष्ठी देवी सदा पातु,
सर्वव्याधि निवारिणी।
षष्ठी त्वं सर्वदा पातु,
बालकं मम सर्वदा॥
बालारिष्टं च नाशय,
षष्ठी देवी नमोऽस्तुते॥
इति बाल सुरक्षा स्तोत्रं सम्पूर्णम्।
महत्व: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और विकास में षष्ठी देवी की कृपा बनी रहती है। यह स्तोत्र बालकों को हर प्रकार की बीमारी, बुरी नजर, संकट, और अपदाओं से बचाने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र के लाभ
- बच्चों की सुरक्षा: यह स्तोत्र बच्चों को हर प्रकार के शारीरिक और मानसिक खतरे से बचाता है।
- बीमारियों से मुक्ति: बच्चों को गंभीर बीमारियों और महामारियों से दूर रखने में सहायक है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह स्तोत्र बच्चों को बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।
- मानसिक शांति: बच्चों को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
- भय से मुक्ति: बच्चों के मन में व्याप्त भय को दूर करता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: यह स्तोत्र बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
- शिक्षा में प्रगति: यह बच्चों के ध्यान, एकाग्रता और शिक्षा में सुधार करता है।
- आर्थिक सुरक्षा: परिवार की आर्थिक स्थिति को स्थिर और सुरक्षित करता है।
- परिवार की सुरक्षा: परिवार में समृद्धि और शांति बनाए रखता है।
- रोग निवारण: बच्चों के शरीर से रोगों को दूर करता है।
- आरोग्यता: बच्चों की शारीरिक शक्ति और स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
- बुरी संगत से बचाव: बच्चों को बुरी संगत और बुरे विचारों से बचाता है।
- घर में सुख-शांति: परिवार में शांति और स्नेह बनाए रखने में सहायक है।
- पुत्र प्राप्ति: यह स्तोत्र पुत्र प्राप्ति के लिए भी प्रभावी माना जाता है।
- अकाल मृत्यु से रक्षा: बच्चों को अकाल मृत्यु से सुरक्षित रखता है।
- आध्यात्मिक विकास: बच्चों के जीवन में आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
- विपत्तियों से सुरक्षा: बच्चों को दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य विपत्तियों से सुरक्षित रखता है।
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र की विधि
- दिन: इस स्तोत्र को किसी भी दिन प्रारंभ किया जा सकता है, विशेषकर शुक्ल पक्ष के किसी शुभ मुहूर्त में।
- अवधि: स्तोत्र का पाठ 41 दिन तक नियमित रूप से किया जाता है।
- मुहूर्त: इस स्तोत्र को प्रातःकाल या संध्याकाल के शुभ समय में करना सबसे अच्छा होता है।
- स्नान और शुद्धिकरण: पाठ से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजन सामग्री: देवी षष्ठी की मूर्ति या चित्र, पुष्प, धूप, दीप, फल, और नैवेद्य तैयार रखें।
- आसन: सफेद कपड़े का आसन उपयोग करें।
यह स्तोत्र माता-पिता के साथ ही दादी-नानी द्वारा भी किया जा सकता है। पूजा में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न करें, बल्कि शांति और समर्पण से स्तोत्र का पाठ करें।
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र के नियम
- पूजा को गुप्त रखें: यह साधना व्यक्तिगत और गोपनीय होनी चाहिए। इसे किसी से साझा न करें।
- नियमितता: स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से, बिना किसी रुकावट के करें।
- संयम: साधना के दौरान संयम और शुद्ध आचरण बनाए रखें।
- स्नान करें: हर दिन स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले देवी से संकल्प करें।
- मंत्रों का उच्चारण सही करें: मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए।
- ध्यान मुद्रा: पाठ के दौरान ध्यान मुद्रा में बैठें और मन को केंद्रित रखें।
- सकारात्मकता: साधना के दौरान केवल सकारात्मक विचार रखें।
- शुभ समय: पाठ का समय प्रातःकाल या संध्याकाल हो।
- दान-पुण्य: साधना के समय किसी को सताएं नहीं, बल्कि दान करें।
- धार्मिक अनुष्ठान: पाठ के बाद धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करें।
- शुद्ध वातावरण: पाठ के लिए स्थान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
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षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र की सावधानियाँ
- अशुद्धता से बचें: साधना के दौरान किसी भी प्रकार की अशुद्धता से बचें।
- खाली पेट न रहें: बिना भोजन किए पाठ न करें, हल्का और सात्विक भोजन करें।
- ध्यान भंग न करें: साधना के समय ध्यान किसी भी प्रकार से विचलित न होने दें।
- नकारात्मकता से दूर रहें: साधना के दौरान नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहें।
- प्रकृति का अनादर न करें: साधना के समय प्रकृति या पर्यावरण का नुकसान न करें।
- जल्दीबाजी न करें: स्तोत्र का पाठ शांति और ध्यान से करें, इसे जल्दी-जल्दी न करें।
- अनुचित स्थान न चुनें: स्तोत्र का पाठ अशुद्ध या अपवित्र स्थान पर न करें।
- अधूरी साधना न करें: यदि साधना शुरू की है तो उसे बीच में न छोड़ें।
- क्रोध से बचें: साधना के दौरान क्रोध और आवेश से बचें।
- अपवित्र भोजन न करें: साधना के समय असामाजिक और अपवित्र भोजन से बचें।
- संगत का ध्यान रखें: गलत संगत में रहकर स्तोत्र का पाठ न करें।
- ध्यान रखें: पाठ के बाद थोड़ा समय ध्यान में बैठें और मानसिक शांति प्राप्त करें।
षष्ठी देवी बाल सुरक्षा स्तोत्र: प्रश्न उत्तर
1. प्रश्न: षष्ठी देवी का यह स्तोत्र क्यों किया जाता है?
उत्तर: यह स्तोत्र बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और शुभता के लिए किया जाता है।
2. प्रश्न: स्तोत्र कब शुरू करना चाहिए?
उत्तर: इसे शुक्ल पक्ष में, शुभ मुहूर्त में प्रातःकाल या संध्याकाल में प्रारंभ करना चाहिए।
3. प्रश्न: स्तोत्र कितने दिन तक किया जाता है?
उत्तर: स्तोत्र का पाठ 41 दिन तक किया जाता है।
4. प्रश्न: स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को रोग, आपदा, और नकारात्मक शक्तियों से बचाना है।
5. प्रश्न: क्या स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है?
उत्तर: हाँ, इसे माता-पिता, दादी-नानी, या कोई भी बच्चों की भलाई के लिए कर सकता है।
6. प्रश्न: पाठ के दौरान कौन सी सामग्री उपयोग होती है?
उत्तर: पूजन सामग्री में पुष्प, धूप, दीप, फल, नैवेद्य, और देवी की मूर्ति या चित्र होते हैं।
7. प्रश्न: स्तोत्र का पाठ किस समय करना चाहिए?
उत्तर: प्रातःकाल या संध्याकाल का समय पाठ के लिए सबसे अच्छा होता है।
8. प्रश्न: साधना के नियम क्या हैं?
उत्तर: साधना के दौरान संयम, शुद्ध आचरण, और नियमितता आवश्यक हैं।
9. प्रश्न: स्तोत्र के पाठ के बाद क्या करना चाहिए?
उत्तर: पाठ के बाद ध्यान करें और मानसिक शांति प्राप्त करें।
10. प्रश्न: साधना के समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: अशुद्धता, नकारात्मकता, और क्रोध से बचें। पाठ में शांति और ध्यान रखें।
11. प्रश्न: क्या यह स्तोत्र बच्चों की शिक्षा में भी सहायक है?
उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र बच्चों की शिक्षा में प्रगति और ध्यान केंद्रित करने में सहायक होता है।
12. प्रश्न: स्तोत्र को गुप्त रखना क्यों जरूरी है?
उत्तर: स्त
ोत्र की साधना व्यक्तिगत होती है, इसे गुप्त रखना ऊर्जा और शक्ति को स्थिर करता है।