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Shat Koota Bhairavi Mantra – Unlocking Spiritual Benefits

षट् कूटा भैरवी मंत्र: शक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का रहस्यम

षट् कूटा भैरवी मंत्र एक अत्यंत प्रभावशाली तांत्रिक साधना है जो साधक को विशेष रूप से सुरक्षा, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति का वरदान प्रदान करता है। इस मंत्र का अभ्यास करने से साधक को शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है जो उसे विभिन्न कठिनाइयों से बचाती है।

विनियोग मंत्र व उसका अर्थ

विनियोग मंत्र

“ॐ अस्य श्री षट् कूटा भैरवी महामंत्रस्य ऋषि ब्रह्मा, छन्दः गायत्री, देवता भैरवी, बीजं ड्रल्क, शक्ति सह, कीलक सहौं, विनियोगः संरक्षणार्थे जपे विनियोगः॥”

अर्थ: इस विनियोग मंत्र का उद्देश्य है कि साधक अपनी साधना को एक विशेष उद्देश्य के लिए समर्पित कर सके। इसमें ब्रह्मा को ऋषि, गायत्री को छंद, भैरवी को देवता, ड्रल्क को बीज, सह को शक्ति, और सहौं को कीलक माना गया है। यह विनियोग साधक की रक्षा और तांत्रिक शक्तियों के विकास के लिए मंत्र को संपूर्णता में जागृत करता है।

दिग्बंधन मंत्र

“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः दिशाबंधाय नमः।”

अर्थ: इस दिग्बंधन मंत्र का उद्देश्य साधक की दसों दिशाओं से सुरक्षा करना है। प्रत्येक दिशा में दिग्बंधन मंत्र का उच्चारण करने से एक सुरक्षा कवच बनता है, जो साधक को नकारात्मक शक्तियों और अवांछित ऊर्जा से सुरक्षित रखता है। यह मंत्र साधना स्थल के चारों ओर एक दिव्य शक्ति का घेरा बनाता है, जिससे साधना में किसी प्रकार की बाधा या विघ्न न आए।

दसों दिशाओं का दिग्बंधन मंत्र व उसका अर्थ

दिग्बंधन मंत्र

“ॐ ह्रां पूर्वाय नमः।
ॐ ह्रीं आग्नेयाय नमः।
ॐ ह्रूं दक्षिणाय नमः।
ॐ ह्रैं नैऋत्याय नमः।
ॐ ह्रौं पश्चिमाय नमः।
ॐ ह्रः वायव्याय नमः।
ॐ ह्रां उत्तराय नमः।
ॐ ह्रीं ईशानाय नमः।
ॐ ह्रूं ऊर्ध्वाय नमः।
ॐ ह्रैं अधोय नमः।”

अर्थ: इस दिग्बंधन मंत्र के माध्यम से साधक अपने चारों ओर दसों दिशाओं में सुरक्षा चक्र का निर्माण करता है। प्रत्येक दिशा का नाम लेकर उसके साथ मंत्र का उच्चारण करने से उस दिशा में शक्तिशाली ऊर्जा का घेरा बनता है। यह घेरा साधना के दौरान साधक की रक्षा करता है और उसे नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है।

षट् कूटा भैरवी मंत्र व उसका संपूर्ण अर्थ

षट् कूटा भैरवी मंत्र
“ड्रल्कसहैं ड्रल्कसहीं ड्रल्कसहौं”

अर्थ:

यह षट् कूटा भैरवी मंत्र साधक के भीतर दिव्य और रहस्यमयी ऊर्जा प्रवाहित करता है। प्रत्येक शब्द में एक विशेष शक्ति निहित होती है जो साधक के मन, शरीर, और आत्मा को बल देती है। “ड्रल्क” ध्वनि से सुरक्षा शक्ति उत्पन्न होती है, “सहैं” और “सहीं” से साधक के चारों ओर एक अदृश्य कवच का निर्माण होता है, और “सहौं” शब्द से ऊर्जा का संचरण होता है जो साधक को नकारात्मक शक्तियों से दूर रखते हुए उसकी मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है। इस मंत्र का नियमित जप साधक को दृढ़ आत्मविश्वास, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

जप के दौरान सेवन की जाने वाली चीजें

साधना के दौरान फल, मेवा, तुलसी और शुद्ध जल का सेवन अधिक मात्रा में करें। इन चीजों से ऊर्जा बढ़ती है।

षट् कूटा भैरवी मंत्र जप के लाभ

  1. आत्मविश्वास बढ़ता है।
  2. तंत्र-मंत्र के प्रभाव से सुरक्षा मिलती है।
  3. मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  4. सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  6. सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
  7. भयमुक्ति प्राप्त होती है।
  8. घर में शांति और समृद्धि आती है।
  9. रोगों से रक्षा होती है।
  10. सभी प्रकार की बाधाओं का अंत होता है।
  11. आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
  12. आध्यात्मिक आत्मशुद्धि होती है।
  13. मंत्रों का प्रभाव बढ़ता है।
  14. भूत-प्रेत बाधा से रक्षा होती है।
  15. सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  16. कार्य सिद्धि में सहायता मिलती है।
  17. मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  18. भक्त की रक्षा होती है।

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पूजा सामग्री और मंत्र विधि

  • सामग्री: लाल कपड़ा, कपूर, चंदन, धूप, दीप, चावल, पुष्प।
  • विधि: प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर साधना करें। जप का शुभ मुहुर्त चुनें और 20 मिनट तक रोजाना 21 दिन तक जप करें।

मंत्र जप के नियम

  • उम्र: 20 वर्ष से ऊपर।
  • लिंग: स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
  • वस्त्र: नीले या काले कपड़े न पहनें।
  • आहार: धूम्रपान, मद्यपान, और मांसाहार से दूर रहें।
  • अनुशासन: ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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जप के दौरान सावधानियाँ

  • जप करते समय किसी प्रकार का तनाव न रखें।
  • ध्यान एकाग्र रखें और संपूर्ण श्रद्धा से मंत्र का जप करें।

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षट् कूटा भैरवी मंत्र से संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या यह मंत्र सभी के लिए है?
उत्तर: हां, 20 वर्ष से ऊपर का कोई भी साधक इसका अभ्यास कर सकता है।

प्रश्न 2: इस मंत्र का सबसे अच्छा जप समय कौन सा है?
उत्तर: प्रातः काल या रात्रि के शांत समय में इसका जप उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 3: मंत्र जप कितने दिनों तक करना चाहिए?
उत्तर: मंत्र का जप 21 दिन तक रोजाना 20 मिनट करें।

प्रश्न 4: क्या साधना के दौरान विशेष वस्त्र पहनने चाहिए?
उत्तर: हां, सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनें; नीले या काले कपड़े न पहनें।

प्रश्न 5: क्या महिलाएं भी इस मंत्र का जप कर सकती हैं?
उत्तर: हां, पुरुष और महिलाएं दोनों इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

प्रश्न 6: क्या जप के दौरान आहार पर ध्यान देना जरूरी है?
उत्तर: हां, जप के समय शुद्ध शाकाहारी भोजन करें, धूम्रपान और मद्यपान से दूर रहें।

प्रश्न 7: क्या जप के समय मौन रहना जरूरी है?
उत्तर: हां, एकाग्रता बनाए रखने के लिए मौन रहना लाभकारी है।

प्रश्न 8: क्या इस मंत्र से किसी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है?
उत्तर: हां, यह मंत्र सुरक्षा, शांति और आत्मबल बढ़ाने में सहायक है।

प्रश्न 9: क्या मंत्र जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है?
उत्तर: हां, अधिक शक्ति और शुद्धता के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें।

प्रश्न 10: क्या यह मंत्र कठिन परिस्थितियों में सहायक है?
उत्तर: हां, यह मंत्र साधक को हर कठिनाई में आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।

प्रश्न 11: क्या इस मंत्र का उच्चारण गलत होने पर हानि होती है?
उत्तर: गलत उच्चारण से प्रभाव कम हो सकता है, अतः सही उच्चारण करें।

प्रश्न 12: मंत्र जप के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: एकाग्रता बनाए रखें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

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