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Sheetala Mata Vrat – Rituals and Benefits

शीतला माता व्रत – पूजा विधि, कथा और व्रत के अद्भुत लाभ

शीतला माता व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत विशेषकर महिलाओं द्वारा किया जाता है। शीतला माता को रोगनाशक देवी के रूप में पूजा जाता है, और विशेषकर चेचक जैसी बीमारियों से बचाव के लिए उनकी उपासना की जाती है। इस व्रत को करने से परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है।

शीतला माता व्रत कब किया जाता है?

शीतला सप्तमी या शीतला अष्टमी के दिन यह व्रत किया जाता है। यह व्रत होली के आठवें दिन आता है सके अलावा किसी भी मंगलवार को भी व्रत रख सकते है।

शीतला माता व्रत की विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर शीतला माता की पूजा करें।
  • माता को ठंडा भोग अर्पित करें, जैसे बिना गरम किए भोजन।
  • नीम के पत्ते, हल्दी और चंदन का प्रयोग करें।
  • घी का दीपक जलाएं और शीतला माता का ध्यान करें।

शीतला माता व्रत का मंत्र

व्रत के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें:

“ॐ श्री शीतलायै नमः”

या

“ॐ ह्रीं ह्रौं शीतलायै नमः”

व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?

व्रत के दिन ठंडे और बासी भोजन का सेवन किया जाता है। किसी भी गरम भोजन से परहेज करें। व्रत से एक दिन पहले बने भोजन को भोग में चढ़ाएं।

शीतला माता व्रत से लाभ

  1. चेचक जैसी बीमारियों से रक्षा।
  2. संतान प्राप्ति।
  3. पारिवारिक सुख-समृद्धि।
  4. स्वास्थ्य में सुधार।
  5. शांति और समृद्धि का आगमन।
  6. मानसिक शांति।
  7. अनिष्ट शक्तियों से बचाव।
  8. सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
  9. रोग-निवारण की शक्ति।
  10. दुख-दर्द से मुक्ति।
  11. संतानों की सुरक्षा।
  12. घर में सुखद माहौल।
  13. आर्थिक वृद्धि।
  14. माता का विशेष आशीर्वाद।
  15. परिवार में खुशहाली।
  16. जीवन में स्थिरता।
  17. बुराइयों से मुक्ति।

व्रत के नियम

  • व्रत के दिन गरम भोजन का सेवन न करें।
  • सादा और शुद्ध भोजन ही ग्रहण करें।
  • दिनभर व्रत रखने के बाद अगले दिन भोजन करें।
  • नीम के पत्तों से स्नान करें।
  • पूजा में शीतल जल का उपयोग करें।

शीतला माता व्रत की संपूर्ण कथा

प्राचीन समय में एक गाँव था, जहाँ लोग शीतला माता की पूजा नहीं करते थे। गाँव के लोग नियमित रूप से अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेते थे, लेकिन एक दिन गाँव में भयंकर चेचक की बीमारी फैल गई। लोगों के शरीर पर लाल फफोले और तेज बुखार हो गया। कोई भी इस बीमारी का इलाज नहीं ढूंढ पा रहा था।

गाँव के सभी लोग बहुत चिंतित थे और बीमारी के डर से सभी परेशान हो गए थे। एक दिन गाँव की एक बुजुर्ग महिला ने सभी से कहा कि यह सब शीतला माता का क्रोध है। उसने बताया कि गाँव में शीतला माता की पूजा नहीं होने के कारण यह रोग फैल रहा है।

बुजुर्ग महिला का सुझाव

बुजुर्ग महिला ने सबको सुझाव दिया कि अगर शीतला माता की पूजा की जाए और उनका व्रत रखा जाए, तो माता प्रसन्न होंगी और गाँव के लोगों को इस भयंकर रोग से छुटकारा मिलेगा। गाँव वालों ने इस सुझाव पर ध्यान दिया और अगले दिन पूरे गाँव ने शीतला माता का व्रत रखने का निर्णय लिया।

गाँव के सभी लोग शीतला माता के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठे। सभी ने ठंडे जल से स्नान किया और शीतला माता की मूर्ति की पूजा की। उन्हें ठंडा और बासी भोजन अर्पित किया गया। लोग माता से प्रार्थना करने लगे कि वे गाँव को इस भयंकर रोग से बचाएं।

शीतला माता ने उनकी भक्ति और पूजा से प्रसन्न होकर गाँव पर कृपा की। धीरे-धीरे गाँव के लोगों की बीमारी समाप्त हो गई और सभी लोग स्वस्थ हो गए। तब से गाँव के लोग नियमित रूप से शीतला माता का व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

शीतला माता को क्या भोग लगाएं?

  • माता को बासी भोजन, दही, ठंडे पूरनपोली, और चावल अर्पित करें।
  • नीम के पत्तों का भी भोग लगाएं।

व्रत कब शुरू और कब समाप्त करें?

व्रत को प्रातःकाल सूर्योदय से प्रारंभ करें और अगले दिन सूर्योदय के बाद खोलें।

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व्रत में सावधानियां

  • व्रत के दौरान गरम भोजन से पूरी तरह परहेज करें।
  • व्रत के समय नियमों का पूरी तरह पालन करें।
  • सच्चे मन से शीतला माता की आराधना करें।

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शीतला माता व्रत संबंधित प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: शीतला माता का व्रत क्यों किया जाता है?

उत्तर: रोगों से बचाव और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है।

प्रश्न 2: शीतला माता कौन हैं?

उत्तर: शीतला माता चेचक और अन्य रोगों से रक्षा करने वाली देवी हैं।

प्रश्न 3: व्रत के दिन क्या भोजन किया जाता है?

उत्तर: ठंडा और बासी भोजन किया जाता है, गरम भोजन से परहेज किया जाता है।

प्रश्न 4: व्रत कितने दिन का होता है?

उत्तर: यह एक दिन का व्रत होता है।

प्रश्न 5: व्रत के दौरान कौन सा मंत्र जपें?

उत्तर: “ॐ ह्रीं शीतलायै नमः” मंत्र का जाप करें।

प्रश्न 6: व्रत का क्या महत्व है?

उत्तर: यह व्रत बीमारियों से सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करता है।

प्रश्न 7: व्रत में कौन से भोग चढ़ाए जाते हैं?

उत्तर: ठंडे और बासी भोजन, जैसे चावल, पूरनपोली, और दही का भोग।

प्रश्न 8: शीतला माता की पूजा का समय क्या है?

उत्तर: व्रत प्रातःकाल सूर्योदय के समय शुरू होता है।

प्रश्न 9: व्रत में किन नियमों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: गरम भोजन न करें और ठंडे जल का उपयोग करें।

प्रश्न 10: व्रत के लाभ क्या हैं?

उत्तर: यह व्रत स्वास्थ्य, समृद्धि और संतानों की सुरक्षा प्रदान करता है।

प्रश्न 11: क्या पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं?

उत्तर: हां, पुरुष भी इस व्रत को कर सकते हैं।

प्रश्न 12: व्रत का समापन कैसे करें?

उत्तर: अगले दिन सूर्योदय के बाद भोजन ग्रहण कर व्रत समाप्त करें।

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