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Sheshnag Chalisa Path – Remedy to Remove Life’s Obstacles

शेषनाग चालीसा पाठ: जीवन की बाधाओं को दूर करने वाला दिव्य उपाय

ये चालीसा पाठ एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है, जो साधक को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है। यह पाठ व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर दिव्यता की ओर अग्रसर करता है।

शेषनाग जी अनंत ऊर्जा के प्रतीक हैं। वह भगवान विष्णु के शयन में सेतु रूप हैं। शेषनाग चालीसा पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जो जीवन में स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं।


अद्भुत लाभ

  1. जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  2. आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  3. मानसिक तनाव और भय समाप्त होता है।
  4. आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  5. गृहस्थ जीवन में शांति बनी रहती है।
  6. शत्रु बाधा समाप्त होती है।
  7. संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
  8. राहु-केतु के दोष शांत होते हैं।
  9. रोगों से मुक्ति मिलती है।
  10. व्यापार में वृद्धि होती है।
  11. परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
  12. मनोवांछित कार्य सिद्ध होते हैं।
  13. आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।
  14. पितृ दोष शांत होता है।
  15. मन की चंचलता समाप्त होती है।
  16. ध्यान और साधना में एकाग्रता बढ़ती है।
  17. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शेषनाग चालीसा

॥दोहा॥
श्री गणपति गुरु गौरी को, करूं सुमिरन ध्यान।
शेषनाग की वंदना, देहु बुद्धि विद्यान॥

॥चौपाई॥
नमन करूं शेषनाग तुम्हारे।
सात फणों की शोभा न्यारे॥

भूमि धार कर करो उपकारा।
जग पालन हित रूप तुम्हारा॥

नागराज जग पालनहारा।
सदा करो भक्तन उद्धारा॥

विष्णु शयन में सहज सहाय।
सतयुग से पूजे जाओ हाय॥

नील वर्ण तन रूप सुहाए।
फणों पर मणि ज्योत जलाए॥

शरण तुम्हारी जो जन आए।
उसका कष्ट शीघ्र ही जाए॥

फण मणि तेज ज्योति अपारा।
रखते प्रभु धरती का भार॥

शेषनाग तुम हो बलवंता।
स्मरण करे साधक अनंता॥

जो नर भक्त भाव से गावे।
संकट से मुक्ति वह पावे॥

॥दोहा॥
शरण शेष की जो शरण, पाए सकल विश्राम।
सुख समृद्धि निरंतर, मिले परम शुभ धाम॥


शेषनाग चालीसा पाठ विधि

1. दिन और अवधि

शेषनाग चालीसा पाठ के लिए मंगलवार और शनिवार सर्वोत्तम माने जाते हैं। यह पाठ 41 दिनों तक नियमित करना चाहिए।

2. मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00) और संध्या काल का समय श्रेष्ठ होता है। इस समय पाठ करने से विशेष फल मिलता है।

3. नियम

  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  • दीप जलाएं और शेषनाग जी का ध्यान करें।
  • शुद्ध चित्त होकर पाठ करें।
  • भोग अर्पित करें।
  • अंत में आरती करें।

Aghor lakshmi sadhana shivir


नियम

  1. चालीसा पाठ शुरू करने से पहले संकल्प लें।
  2. पूजा और साधना को गुप्त रखें।
  3. सात्विक आहार ग्रहण करें।
  4. मन, वचन और कर्म की शुद्धता बनाए रखें।
  5. नकारात्मक विचारों से बचें।
  6. ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  7. पाठ के दौरान मोबाइल और बाहरी संपर्क से बचें।
  8. देव स्थान पर बैठकर पाठ करें।
  9. किसी को तिरस्कार न करें।
  10. नियमों का कड़ाई से पालन करें।

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सावधानियां

  1. पाठ के दौरान अशुद्ध वस्त्र न पहनें।
  2. गंदे स्थान पर पाठ न करें।
  3. नशे का सेवन न करें।
  4. पाठ को अधूरा न छोड़ें।
  5. किसी को अपशब्द न कहें।
  6. नकारात्मकता से दूर रहें।
  7. पूजा स्थल की सफाई बनाए रखें।
  8. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पाठ से परहेज करना चाहिए।

Mangalik dosh nivaran pujan


शेषनाग चालीसा पाठ: प्रश्न और उत्तर

1. शेषनाग चालीसा पाठ क्यों करना चाहिए?

शेषनाग चालीसा पाठ से जीवन में स्थिरता, सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

2. यह पाठ किसे करना चाहिए?

हर वह व्यक्ति जो आध्यात्मिक उन्नति और समस्याओं से मुक्ति चाहता है, कर सकता है।

3. क्या शेषनाग चालीसा पाठ से आर्थिक समस्या दूर होती है?

हां, यह पाठ आर्थिक बाधाओं को दूर करता है।

4. क्या इस पाठ से गृहस्थ जीवन में सुख आता है?

जी हां, पारिवारिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

5. क्या इस पाठ से रोग समाप्त होते हैं?

हां, शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

6. कितने दिनों तक पाठ करना चाहिए?

41 दिन तक पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।

7. क्या पाठ का कोई दुष्प्रभाव होता है?

नहीं, यदि सही विधि से किया जाए तो कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।

8. क्या पाठ के दौरान नियमों का पालन आवश्यक है?

हां, नियमों का पालन करने से ही पूर्ण फल मिलता है।

9. क्या किसी विशेष समय में यह पाठ करना चाहिए?

सुबह और संध्या का समय सर्वोत्तम है।

10. क्या महिलाएं इस पाठ को कर सकती हैं?

हां, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इसे टालना चाहिए।

11. क्या पाठ करने से पितृ दोष शांत होता है?

हां, यह पाठ पितृ दोष को शांत करता है।

12. क्या पाठ को गुप्त रखना चाहिए?

हां, साधना को गुप्त रखने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।


अंत

यह पाठ एक दिव्य साधना है, जो व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, सुख और आध्यात्मिक उन्नति लाती है। यदि इसे विधिपूर्वक किया जाए, तो यह सभी कष्टों का नाश करता है।

BOOK RUDRABHISHEK PUJAN ON MAHA SHIVRATRI

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