Shiva Bilvashtakam Strot for removing sin

Shiva Bilvashtakam Strot for removing sin

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र: हर मनोकामना पूरी होगी

पाप से मुक्ति दिलाने वाला शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का पाथ करने वाला एक अद्भुत स्तोत्र है। इसमें बिल्व पत्र का महत्व बताया गया है, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शिव भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है।

संपूर्ण शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र और उसका हिंदी अर्थ

श्लोक 1:
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्।
त्रिजन्मपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम्॥

हिंदी अर्थ:
जिस बिल्व पत्र में तीन पत्ते होते हैं, जो तीन गुणों (सत्त्व, रज, तम) का प्रतीक है, तीन नेत्रों वाले शिव को अर्पित होता है। इससे तीन जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। ऐसा बिल्व पत्र शिव को अर्पित करता हूँ।

श्लोक 2:
त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः।
तवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम्॥

हिंदी अर्थ:
जिस बिल्व पत्र में तीन पत्ते होते हैं, वह सुकोमल और शुभ होता है। ऐसे पत्तों से भगवान शिव की पूजा करता हूँ। यह बिल्व पत्र अर्पित करता हूँ।

श्लोक 3:
अखण्ड बिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरम्।
शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एकबिल्वं शिवार्पणम्॥

हिंदी अर्थ:
जिस बिल्व पत्र से नन्दिकेश्वर की पूजा होती है, वह सारे पापों को नष्ट कर देता है। ऐसा बिल्व पत्र शिव को अर्पित करता हूँ।

श्लोक 4:
शालिग्राम शिलामेकं विप्राणां जातु चार्पयेत्।
सोमयज्ञ महापुण्यं एकबिल्वं शिवार्पणम्॥

हिंदी अर्थ:
जो कोई भी एक शालिग्राम शिला ब्राह्मणों को अर्पित करता है, उसे सोमयज्ञ के समान महापुण्य प्राप्त होता है। ऐसा बिल्व पत्र शिव को अर्पित करता हूँ।

श्लोक 5:
दन्ति कोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च।
कोटिकन्या महादानं एकबिल्वं शिवार्पणम्॥

हिंदी अर्थ:
कोटि हाथियों का दान, हजारों वाजपेय यज्ञ, और कोटि कन्याओं का महादान भी एक बिल्व पत्र के समान नहीं हो सकता, जो शिव को अर्पित होता है।

श्लोक 6:
लक्ष्म्या स्थिरत्वमभिलाषयन्तो भक्त्या बिल्वं समर्पयन्ति।
लभन्ते सुखमक्षयं तस्य पुण्यं भवत्यनल्पम्॥

हिंदी अर्थ:
जो लोग लक्ष्मी की स्थिरता चाहते हैं, वे भक्तिभाव से बिल्व पत्र अर्पित करते हैं। ऐसा करने से उन्हें असीम सुख और पुण्य की प्राप्ति होती है।

श्लोक 7:
सहस्रपत्र समर्पणं शङ्कराय सदास्मृतम्।
एकं बिल्वं शिवार्पणम् महापुण्यं भवत्यनल्पम्॥

हिंदी अर्थ:
हजारों कमल पुष्पों के अर्पण से जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य एक बिल्व पत्र अर्पित करने से प्राप्त होता है। ऐसा बिल्व पत्र शिव को अर्पित करता हूँ।

श्लोक 8:
लक्ष्म्यास्तरुणाईश्वर्यं लब्ध्वा लभन्ते भोगान्।
यथारूपं महापुण्यं तदा शिवाय समर्पणम्॥

हिंदी अर्थ:
जो लोग लक्ष्मी की असीम कृपा पाना चाहते हैं, वे भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करते हैं। इससे उन्हें भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं।

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र के लाभ

  1. पापों का नाश: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति के पूर्वजन्मों के पाप नष्ट होते हैं।
  2. धन और समृद्धि: बिल्वाष्टकम् का पाठ करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  3. मानसिक शांति: इस स्तोत्र के पाठ से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: शिव महिम्न स्तोत्र की तरह ही, यह स्तोत्र भी व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
  5. भय से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय से मुक्त होता है।
  6. संतान सुख: जिनके संतान नहीं हो रही है, वे इस स्तोत्र का पाठ करें, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।
  7. दुष्टों से रक्षा: इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को दुष्टों से रक्षा मिलती है।
  8. स्वास्थ्य लाभ: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
  9. मोक्ष प्राप्ति: भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  10. आध्यात्मिक शक्ति: शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
  11. शत्रुओं से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है।
  12. कर्मों का शुद्धिकरण: इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के कर्म शुद्ध होते हैं।
  13. परिवार में सुख और शांति: शिव बिल्वाष्टकम् के पाठ से परिवार में सुख और शांति का वातावरण बना रहता है।
  14. धन वैभव: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के घर में धन वैभव की कमी नहीं होती।
  15. शिव कृपा: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से भगवान शिव की कृपा सदा बनी रहती है।

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ की विधि

  1. समय और अवधि: इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सबसे उत्तम होता है। इस पाठ को 41 दिनों तक लगातार करना शुभ माना जाता है।
  2. मूर्ति या चित्र: भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं और उन्हें बिल्व पत्र अर्पित करें।
  3. आसन: पाठ करते समय कुश का आसन श्रेष्ठ माना जाता है, अन्यथा स्वच्छ कपड़ा बिछाकर बैठें।
  4. व्रत और उपवास: इस स्तोत्र के पाठ के दौरान उपवास रखना अत्यधिक शुभ माना जाता है, विशेषकर प्रदोष व्रत के दिन।
  5. संख्या: इस स्तोत्र का पाठ 108 बार करना अत्यंत फलदायी होता है।

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ के नियम

  1. शुद्धता: पाठ से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  2. गोपनीयता: साधना और पाठ को गुप्त रखना चाहिए, ताकि इसका फल अधिक प्रभावी हो।
  3. नियमितता: पाठ को नियमित रूप से करना चाहिए, बिना किसी रुकावट के।
  4. दिशा: शिव स्तोत्र का पाठ उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र पाठ की सावधानियाँ

  1. आहार: पाठ के दौरान सात्विक आहार का सेवन करें।
  2. वाणी: पाठ के दौरान अपशब्दों का प्रयोग नहीं करें।
  3. शुद्धता: पाठ के समय और पाठ के बाद शुद्धता बनाए रखें।
  4. समर्पण: पूरे मन से भगवान शिव की आराधना करें और उन्हें समर्पित करें।

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र के सामान्य प्रश्न

शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र क्या है?

  • यह भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाला स्तोत्र है, जिसमें बिल्व पत्र (बेल के पत्ते) की महिमा का वर्णन किया गया है। इसे भगवान शिव को अर्पित किया जाता है।

बिल्वाष्टकम् का पाठ क्यों किया जाता है?

  • बिल्वाष्टकम् का पाठ भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसे शिवरात्रि और सावन के महीने में विशेष रूप से पढ़ा जाता है।

इस स्तोत्र का पाठ करने का समय कब है?

  • इसे प्रातःकाल या संध्याकाल में पढ़ा जा सकता है। सोमवार, शिवरात्रि, और सावन के महीने में इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।

बिल्व पत्र का शिव पूजन में क्या महत्व है?

  • बिल्व पत्र को भगवान शिव के पूजन में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह त्रिदेवता का प्रतीक है और शिवजी को अत्यंत प्रिय है।

शिव बिल्वाष्टकम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?

  • इसे पढ़ने से पापों का नाश, शिवजी की कृपा, और मनोकामना की पूर्ति होती है। यह आध्यात्मिक शांति और आंतरिक बल प्रदान करता है।

क्या बिल्वाष्टकम् का पाठ केवल सोमवार को ही करना चाहिए?

  • नहीं, इसे किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है, लेकिन सोमवार को इसका विशेष महत्व है।

बिल्वाष्टकम् का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

  • इसे 3, 11, या 21 बार पढ़ा जा सकता है। इसका नियमित पाठ अत्यधिक फलदायी माना गया है।

क्या महिलाएँ भी बिल्वाष्टकम् का पाठ कर सकती हैं?

  • हां, महिलाएँ भी इसे पढ़ सकती हैं। इसमें कोई प्रतिबंध नहीं है।

बिल्वाष्टकम् का स्रोत क्या है?

  • यह स्तोत्र शिवपुराण, स्कंद पुराण, और अन्य पुराणों में मिलता है।

क्या बिल्वाष्टकम् के पाठ के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?

  • हां, पाठ के समय स्वच्छता, एकाग्रता, और भगवान शिव की भक्ति का ध्यान रखना चाहिए।

क्या बिल्वाष्टकम् के साथ अन्य मंत्रों का पाठ करना आवश्यक है?

  • नहीं, लेकिन शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

शिवलिंग पर बिल्व पत्र कैसे चढ़ाना चाहिए?

  • बिल्व पत्र को शिवलिंग पर उल्टा (ऊपर का हिस्सा नीचे) चढ़ाना चाहिए और श्रद्धा के साथ शिवजी की प्रार्थना करनी चाहिए।

क्या बिल्वाष्टकम् का पाठ करने के लिए कोई विशेष मंत्रोपचार आवश्यक है?

  • नहीं, लेकिन श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करना आवश्यक है।

क्या शिवरात्रि के दिन बिल्वाष्टकम् का पाठ विशेष फलदायी है?

  • हां, शिवरात्रि के दिन इसका पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

क्या बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ किसी विशेष समस्या के समाधान के लिए किया जा सकता है?

  • हां, इसे विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य, आर्थिक समस्याएँ, और शांति की प्राप्ति।