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Shiva Sukta Mantra for Family Peace

शिव सूक्त मंत्र एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके अद्वितीय स्वरूप की स्तुति में जपा जाता है। यह मंत्र यजुर्वेद के तैत्तिरीय संहिता से लिया गया है और भगवान शिव की अपार शक्ति, करुणा और कृपा का वर्णन करता है। शिव सूक्त का नियमित जप व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है और जीवन में शांति, सुरक्षा और समृद्धि लाता है।

शिव सूक्त मंत्र का अर्थ

मंत्र:
॥ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतये अम्बिकापतये उमापतये पशुपतये नमो नमः॥

मंत्र का अर्थ:

  • ॐ नमो: इस शब्द के माध्यम से भगवान शिव को नमन किया गया है। “ॐ” ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि और शिव की सर्वोच्चता का प्रतीक है।
  • हिरण्यबाहवे: यह भगवान शिव को स्वर्णिम बाहुओं वाले देव के रूप में संबोधित करता है। यह उनकी शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक है।
  • हिरण्यवर्णाय: भगवान शिव का वर्ण स्वर्ण के समान चमकदार और दिव्य है।
  • हिरण्यरूपाय: भगवान शिव का रूप स्वर्ण के समान तेजस्वी और दिव्य है।
  • हिरण्यपतये: भगवान शिव सम्पूर्ण स्वर्ण और धन-संपत्ति के स्वामी हैं। यह उनके ऐश्वर्य और प्रभुत्व को दर्शाता है।
  • अम्बिकापतये: अम्बिका (पार्वती) के पति के रूप में भगवान शिव को संबोधित किया गया है।
  • उमापतये: उमा (पार्वती) के पति के रूप में भगवान शिव का नाम लिया गया है, जो उनके प्रेम और करुणा को दर्शाता है।
  • पशुपतये: भगवान शिव को सभी प्राणियों के स्वामी के रूप में संबोधित किया गया है।
  • नमो नमः: भगवान शिव को बार-बार नमस्कार करते हुए उनकी कृपा की कामना की गई है।

सारांश:
यह मंत्र भगवान शिव के विभिन्न रूपों, गुणों और महिमा का वर्णन करता है। इसमें उनकी शक्ति, सौंदर्य, प्रेम, करुणा, और समस्त सृष्टि पर उनके स्वामित्व की स्तुति की गई है। मंत्र का जप श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है।

शिव सूक्त मंत्र जप के लाभ

1. मन की शांति और स्थिरता

  • मंत्र जप से मन में शांति और स्थिरता आती है।
  • मानसिक तनाव और अवसाद में कमी होती है।
  • ध्यान और आत्म-नियंत्रण की शक्ति बढ़ती है।

2. आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि

  • मंत्र जप से आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
  • साहस और दृढ़ता के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना करना आसान होता है।

3. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

  • नियमित मंत्र जप से रोगों में कमी आती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • रक्तचाप, हृदय रोग और अन्य समस्याओं से राहत मिलती है।
  • ऊर्जा और स्फूर्ति का अनुभव होता है।

4. आध्यात्मिक विकास और मोक्ष की प्राप्ति

  • मंत्र जप से आध्यात्मिक जागरूकता और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • भगवान शिव की कृपा से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन बनता है।

5. परिवार और सामाजिक जीवन में सुख-शांति

  • परिवार में आपसी प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
  • जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

6. नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं का नाश

  • मंत्र जप से नकारात्मक ऊर्जा और दोष दूर होते हैं।
  • शत्रुओं से रक्षा होती है और बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • जीवन में सकारात्मकता और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

शिव सूक्त मंत्र विधि

शिव सूक्त मंत्र का जप करने के लिए कुछ विशेष विधियों और नियमों का पालन करना आवश्यक है, जिससे साधक को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।

मंत्र जप का दिन और मुहूर्त:

  • दिन: इस मंत्र का जप किसी शुभ दिन जैसे सोमवार, प्रदोष व्रत, या महाशिवरात्रि से प्रारंभ करना चाहिए।
  • मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) इस मंत्र का जप करने के लिए सबसे उत्तम समय होता है, जब वातावरण शुद्ध और शांत होता है।

अवधि:

  • अवधि: इस मंत्र का जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक नियमित रूप से करना चाहिए। इसके बाद भी, साधक इच्छानुसार इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

मंत्र जप संख्या:

  • मंत्र जप संख्या: इस मंत्र का जप प्रतिदिन 11 माला (1 माला = 108 मंत्र) अर्थात 1188 मंत्र करना चाहिए। इस प्रकार, 21 दिन के दौरान कुल मंत्रों की संख्या 24948 होती है।

सामग्री:

  • माला: इस मंत्र के जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है, जो शिव को अत्यंत प्रिय होती है।
  • दीपक और धूप: जप के समय शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाकर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
  • भगवान शिव की तस्वीर: मंत्र जप के दौरान भगवान शिव की तस्वीर या शिवलिंग के सामने बैठकर जप करना चाहिए।

शिव सूक्त मंत्र जप के नियम

शिव सूक्त मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने और आत्मिक शांति प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसका जप विधिपूर्वक और नियमपूर्वक करने से सकारात्मक ऊर्जा और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। नीचे शिव सूक्त मंत्र जप के नियम दिए गए हैं।

1. मंत्र जप का उपयुक्त समय

  • प्रातःकाल और ब्रह्म मुहूर्त में मंत्र जप सबसे शुभ माना जाता है।
  • प्रदोष काल और सोमवार का दिन जप के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।
  • मंत्र जप का समय और स्थान नियमित रखें।

2. शुद्धता और पवित्रता का पालन

  • जप से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल और आसन स्वच्छ और पवित्र रखें।
  • जप के दौरान मानसिक और शारीरिक पवित्रता बनाए रखें।

3. आसन और दिशा

  • कुश, ऊन या सूती आसन का उपयोग करें।
  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जप करें।
  • ध्यानस्थ होकर शांति से मंत्र जप करें।

4. संख्या और माला का प्रयोग

  • मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष माला का उपयोग करें।
  • कम से कम 108 बार मंत्र का जप करें।
  • जप संख्या धीरे-धीरे बढ़ाने का प्रयास करें।

5. संकल्प और समर्पण

  • जप आरंभ करने से पहले भगवान शिव का ध्यान करें और संकल्प लें।
  • जप को समर्पण और श्रद्धा के साथ करें।
  • जप के बाद भगवान शिव को धन्यवाद देना न भूलें।

6. मन और वाणी की शुद्धता

  • जप के समय मन में शुद्ध और सकारात्मक विचार रखें।
  • मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और ध्यानपूर्वक करें।
  • अपवित्र वाणी और विचारों से बचें।

7. नियमितता और अनुशासन

  • प्रतिदिन एक ही समय पर जप करें।
  • जप के दौरान अनुशासन का पालन करें।
  • नियमों का उल्लंघन न करें।

Kamakhya sadhana shivir

मंत्र जप के दौरान सावधानियाँ

जप करते समय कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी आवश्यक होती हैं, जिससे साधक को मंत्र की पूर्ण शक्ति प्राप्त हो सके:

  1. आलस्य से बचें: मंत्र जप के दौरान आलस्य से बचना चाहिए, और समय पर नियमित रूप से जप करना चाहिए।
  2. शुद्धता का पालन: जप के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
  3. अन्य कार्यों से बचें: अन्य कार्यों जैसे टीवी देखना, मोबाइल फोन का उपयोग, या अन्य गतिविधियों से दूर रहना चाहिए।
  4. नकारात्मक विचारों से बचें: नकारात्मक विचारों और भावनाओं से दूर रहना चाहिए, और सकारात्मक और श्रद्धा भाव से मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

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महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

  1. शिव सूक्त मंत्र का जप किस समय करना सबसे अच्छा है?
  2. क्या शिव सूक्त मंत्र का जप किसी विशेष दिन से प्रारंभ करना चाहिए?
    • हाँ, मंत्र का जप सोमवार, प्रदोष व्रत, या महाशिवरात्रि जैसे शुभ दिनों से प्रारंभ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
  3. शिव सूक्त मंत्र जप की अवधि क्या होनी चाहिए?
    • इस मंत्र का जप कम से कम 11 दिन और अधिकतम 21 दिन तक करना चाहिए।
  4. मंत्र जप के दौरान कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
    • मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला, भगवान शिव की तस्वीर या शिवलिंग, शुद्ध घी का दीपक, और धूप की आवश्यकता होती है।
  5. शिव सूक्त मंत्र जप करने का सही तरीका क्या है?
    • जप के समय शुद्ध और शांत स्थान पर बैठें, सफेद या पीले वस्त्र पहनें, और माला को दाहिने हाथ में पकड़ें।
  6. क्या इस मंत्र के जप से पारिवारिक शांति प्राप्त होती है?
    • हाँ, शिव सूक्त मंत्र का जप पारिवारिक शांति और सौहार्द बढ़ाता है, जिससे परिवार में प्रेम और समझदारी बढ़ती है।
  7. मंत्र जप के दौरान आहार में कौन-कौन सी पाबंदियाँ हैं?
    • जप के दौरान शुद्ध शाकाहारी आहार का सेवन करना चाहिए। मांसाहार, धूम्रपान, और मद्यपान से बचना चाहिए।

BOOK (३० APRIL 2025) MAHALAKSHMI PUJAN SHIVIR (AKSHAYA TRITIYA) AT DIVYAYOGA ASHRAM (ONLINE/ OFFLINE)

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