शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024

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Shri Ganesha Saptami Vrat for Vishes

श्री गणेश सप्तमी व्रत- मान सम्मान के साथ नौकरी ब्यापार मे तरक्की पाये

श्री गणेश सप्तमी व्रत भगवान गणेश की आराधना के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेषकर गणेश जी की कृपा प्राप्त करने, जीवन की बाधाओं को दूर करने, और समृद्धि की प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। श्री गणेश सप्तमी व्रत प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जो भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि लाती है।

श्री गणेश सप्तमी व्रत विधि और मंत्र

  1. प्रातः काल स्नान: सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक साफ चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. दीप प्रज्वलन: भगवान गणेश के समक्ष दीप जलाएं।
  4. मंत्र जाप: “ऊं गं ग्लौं गणपतये सूं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. पुष्पांजलि अर्पण: गणेश जी को लाल फूल अर्पित करें।
  6. भोग अर्पण: भगवान को मोदक, लड्डू, और फल का भोग अर्पित करें।
  7. आरती और प्रार्थना: गणेश जी की आरती करें और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

श्री गणेश सप्तमी व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं

खाने योग्य:

  • फल, दूध, दही, और मेवे
  • साबूदाना, कुट्टू का आटा, और सिंघाड़े का आटा

न खाने योग्य:

  • अनाज, दालें, और तामसिक भोजन
  • प्याज, लहसुन, और मसालेदार खाद्य पदार्थ

श्री गणेश सप्तमी व्रत का समय और अवधि

श्री गणेश सप्तमी व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। व्रत के दौरान केवल फलाहार और सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

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श्री गणेश सप्तमी व्रत के लाभ

  1. विघ्नों का नाश: सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है।
  2. धन की वृद्धि: आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: शरीर और मन में सकारात्मकता और शांति मिलती है।
  4. परिवार में शांति: परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।
  5. संतान सुख: संतान प्राप्ति और संतान से संबंधित समस्याओं का समाधान होता है।
  6. कार्य में सफलता: हर कार्य में सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
  7. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता का निवारण होता है।
  8. समाज में प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
  9. सपने: बड़े सपने पूरे होते है
  10. विवाह में बाधा निवारण: विवाह से संबंधित अड़चनें दूर होती हैं।
  11. जीवन में स्थिरता: जीवन में स्थिरता और संतुलन प्राप्त होता है।
  12. धार्मिक आस्था: धर्म और अध्यात्म के प्रति आस्था और विश्वास बढ़ता है।
  13. चमकः चेहरे पर चमक के साथ आकर्षण शक्ति बढती है।

श्री गणेश सप्तमी व्रत के नियम

  1. स्नान और शुद्धि: सूर्योदय से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. सात्विकता का पालन: पूरे दिन सात्विक आहार और विचार रखें।
  3. झूठ न बोलें: व्रत के दिन झूठ बोलने से बचें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन: इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
  5. सादा जीवन: शारीरिक श्रम और मानसिक तनाव से बचें।
  6. ईश्वर भक्ति: दिनभर गणेश जी की भक्ति में लगे रहें।

श्री गणेश सप्तमी व्रत – भोग

भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, गुड़, और फल विशेष प्रिय हैं। भोग के रूप में इनका उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, गणेश जी को दूध और चने का भोग भी लगाया जा सकता है।

Ganesha sadhana samagri with diksha

श्री गणेश सप्तमी व्रत की सावधानियाँ

  1. अनुचित आहार से बचें: व्रत के दौरान तामसिक और मसालेदार भोजन से बचें।
  2. शारीरिक और मानसिक शुद्धता: शुद्ध विचारों और कर्मों का पालन करें।
  3. अधिकार का दुरुपयोग न करें: व्रत के दौरान कोई अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास न करें।
  4. ध्यान और साधना: अधिक से अधिक समय ध्यान और साधना में बिताएं।
  5. अनुशासन का पालन: व्रत के सभी नियमों का पूर्ण पालन करें।

श्री गणेश सप्तमी व्रत की संपूर्ण कथा

श्री गणेश सप्तमी व्रत भगवान गणेश की आराधना के लिए किया जाता है। इस व्रत की कथा अत्यंत प्राचीन और पौराणिक महत्व की है। यह कथा गणेश जी के जन्म और उनकी महिमा का बखान करती है, जिससे भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि और विघ्नों से मुक्ति मिलती है।

कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक महान राजा था जिसका नाम सत्यव्रत था। सत्यव्रत धर्मप्रिय और न्यायप्रिय राजा था, लेकिन उसे संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी। राजा और रानी ने संतान प्राप्ति के लिए अनेक यज्ञ और तप किए, लेकिन फिर भी उन्हें संतान का सुख नहीं मिल रहा था। एक दिन राजा सत्यव्रत को एक ऋषि का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। ऋषि ने राजा को श्री गणेश सप्तमी व्रत करने का सुझाव दिया और बताया कि इस व्रत के प्रभाव से संतान सुख प्राप्त होगा।

राजा सत्यव्रत और रानी ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री गणेश सप्तमी व्रत करने का संकल्प लिया। व्रत के दिन, उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की, गंगा जल से स्नान कराकर गणेश जी की पूजा की, और मोदक का भोग अर्पित किया। राजा और रानी ने पूरे दिन निर्जल उपवास रखा और रात को भगवान गणेश की कथा सुनकर जागरण किया।

व्रत की समाप्ति पर, भगवान गणेश राजा और रानी के समक्ष प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। भगवान गणेश ने कहा, “हे राजन, तुम्हारी भक्ति और तप से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हें शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होगा और तुम्हारा वंश आगे बढ़ेगा।” भगवान गणेश के आशीर्वाद से राजा और रानी को एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। इस प्रकार, श्री गणेश सप्तमी व्रत के प्रभाव से राजा सत्यव्रत और रानी को संतान सुख प्राप्त हुआ।

व्रत की महिमा और फल

श्री गणेश सप्तमी व्रत की महिमा अत्यंत अद्भुत है। यह व्रत जीवन के समस्त विघ्नों को दूर करता है और भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो अपने भक्तों के सभी विघ्न और कष्टों को हर लेते हैं।

कथा में वर्णित है कि राजा सत्यव्रत और रानी के व्रत का प्रभाव देखकर राज्य के अन्य लोगों ने भी इस व्रत को करना प्रारंभ कर दिया। धीरे-धीरे यह व्रत पूरे राज्य में प्रसिद्ध हो गया और हर व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति के साथ करने लगा। गणेश जी की कृपा से सभी के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होने लगा। जो भी इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं सताता है।

व्रत की समाप्ति पर भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, और गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है, क्योंकि ये सभी चीजें भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय हैं। इसके अलावा, भक्त गणेश जी की आरती करते हैं और उनसे अपने जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

श्री गणेश सप्तमी व्रत की कथा हमें सिखाती है कि भगवान गणेश की उपासना और व्रत करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेषकर उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है, जो अपने जीवन में विघ्नों और कष्टों से मुक्त होना चाहते हैं। भगवान गणेश की कृपा से इस व्रत का पालन करने वाले सभी भक्तों को जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।

श्री गणेश सप्तमी व्रत संबंधित प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: श्री गणेश सप्तमी व्रत कब किया जाता है?
उत्तर: श्री गणेश सप्तमी व्रत प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है।

प्रश्न 2: व्रत में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खा सकते हैं?
उत्तर: फल, दूध, दही, मेवे, साबूदाना, कुट्टू का आटा, और सिंघाड़े का आटा खा सकते हैं।

प्रश्न 3: व्रत के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर: अनाज, दालें, प्याज, लहसुन, और मसालेदार भोजन नहीं खाना चाहिए।

प्रश्न 4: श्री गणेश सप्तमी व्रत के नियम क्या हैं?
उत्तर: ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक आहार, और शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 5: व्रत का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: जीवन में सुख-समृद्धि और विघ्नों का नाश करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

प्रश्न 6: क्या व्रत में केवल फलाहार किया जा सकता है?
उत्तर: हां, व्रत में केवल फलाहार और सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

प्रश्न 7: व्रत का पारण कब किया जाता है?
उत्तर: व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।

प्रश्न 8: श्री गणेश सप्तमी व्रत के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: अनुचित आहार से बचें, शुद्धता का ध्यान रखें, और अनुशासन का पालन करें।

प्रश्न 9: व्रत के दौरान कौन सा मंत्र जपना चाहिए?
उत्तर: “ऊं गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।

प्रश्न 10: श्री गणेश सप्तमी व्रत का क्या महत्व है?
उत्तर: श्री गणेश सप्तमी व्रत विघ्नों का नाश और सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 11: क्या व्रत के दौरान केवल उपवास रहना चाहिए?
उत्तर: नहीं, फलाहार और सात्विक भोजन लिया जा सकता है।

प्रश्न 12: गणेश जी को व्रत में कौन-सा भोग अर्पित करें?
उत्तर: मोदक, लड्डू, गुड़, फल, और दूध का भोग अर्पित करें।

श्री गणेश सप्तमी व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है, जिससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाएं दूर होती हैं।

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