Monday, December 23, 2024

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Shri Ganesha Strot for wishes

श्री गणेश स्तोत्र: विघ्न नष्ट होकर कार्य सिद्धी

श्री गणेश स्तोत्र का पाठ नियमित करने मनुष्य के जीवन मे सभी इच्छाये पूरी होती है। यह स्तोत्र भक्तों को भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे उनके जीवन की सभी बाधाएँ और विघ्न दूर होते हैं। इसका पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।

गणेश स्तोत्र: संपूर्ण पाठ और हिंदी अर्थ

स्तोत्रम्:

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये॥ 1॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥ 2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥ 3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥ 4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥ 5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्॥ 6॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलम् लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥ 7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥ 8॥

हिंदी अर्थ:

प्रणाम करते हुए, मैं भगवान गणेश का स्मरण करता हूँ, जो गौरी के पुत्र और विनायक हैं। उन्हें स्मरण करने से भक्तों को आयु, कामना और अर्थ की सिद्धि प्राप्त होती है।

पहले वक्रतुण्ड, फिर एकदन्त, तीसरे कृष्णपिंगाक्ष, और चौथे गजवक्त्र। पाँचवे लम्बोदर, छठे विकट, सातवें विघ्नराजेन्द्र, और आठवें धूम्रवर्ण। नौवें भालचन्द्र, दसवें विनायक, ग्यारहवें गणपति, और बारहवें गजानन।

इन बारह नामों का जो व्यक्ति तीनों संध्याओं में पाठ करता है, उसे कोई विघ्न भय नहीं होता और उसे सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। विद्यार्थी को विद्या, धनार्थी को धन, पुत्रार्थी को पुत्र, और मोक्षार्थी को मोक्ष प्राप्त होता है। इस गणपति स्तोत्र का जप छह महीनों तक करने से फल की प्राप्ति होती है और एक वर्ष में सिद्धि मिल जाती है। यदि इसे आठ ब्राह्मणों को लिखकर समर्पित किया जाए, तो गणेश जी की कृपा से उसकी सभी विद्याएँ पूरी होती हैं।

लाभ

श्री गणेश स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ 15 प्रमुख लाभों का वर्णन किया गया है:

  1. विघ्नों का नाश: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, और इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
  2. संकट से मुक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति को जीवन के सभी संकटों से बचाता है और उसे शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।
  3. धन और समृद्धि: गणेश जी की कृपा से व्यक्ति को धन, समृद्धि, और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  4. स्वास्थ्य लाभ: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और उसकी शारीरिक स्थिति में सुधार होता है।
  5. ज्ञान और बुद्धि का विकास: इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के अंदर ज्ञान और बुद्धि का विकास करता है।
  6. परिवार में सुख-शांति: इस स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है।
  7. कार्य सिद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से किसी भी कार्य की सिद्धि आसानी से होती है।
  8. शत्रुओं से रक्षा: गणेश जी की कृपा से शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा होती है।
  9. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस स्तोत्र का पाठ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  10. अद्वितीय कृपा: गणेश जी की अद्वितीय कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्नति होती है।
  11. भक्तिभाव का विकास: इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान गणेश के प्रति भक्तिभाव और श्रद्धा में वृद्धि होती है।
  12. संकल्प सिद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति का संकल्प पूरा होता है।
  13. सुख-समृद्धि: व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में संतुलन बना रहता है।
  14. आत्मविश्वास में वृद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  15. संकटों से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ संकटों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

विधि

1. पाठ का समय:
श्री गणेश स्तोत्र का पाठ प्रातः काल में ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) करना शुभ माना जाता है।

2. पाठ की अवधि:
विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ 41 दिनों तक लगातार करना चाहिए।

3. मुहूर्त:
इस स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन इसे शुभ दिनों जैसे बुधवार, गणेश चतुर्थी, या किसी अन्य विशेष अवसर पर करना और भी लाभकारी होता है।

4. आसन:
पाठ करते समय सफेद या लाल रंग के आसन का उपयोग करना शुभ माना जाता है। यह आसन स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।

5. विधि:
पाठ से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं। गणेश जी को फूल, फल, और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद संकल्प लेकर पाठ प्रारंभ करें।

6. मंत्र जाप:
इस स्तोत्र के साथ “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।

7. संकल्प:
पाठ के प्रारंभ में अपने संकल्प को स्पष्ट करें और भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वह आपके संकल्प को पूरा करें।

8. ध्यान:
पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और अन्य विचारों को मन में न आने दें।

नियम

  1. पूजा और साधना को गुप्त रखें:
    किसी भी साधना का प्रभाव तभी अधिक होता है जब इसे गुप्त रखा जाए। इसलिए इस स्तोत्र का पाठ भी गुप्त रूप से करना चाहिए।
  2. सात्विक आहार:
    पाठ के दौरान सात्विक आहार का पालन करना चाहिए।
  3. शुद्धता:
    पाठ करते समय मन, वचन, और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखें। यह स्तोत्र तभी फलदायक होता है जब इसे शुद्ध मन और भावना से किया जाए।
  4. नियमितता:
    यदि आप 41 दिन की साधना कर रहे हैं तो इस दौरान पाठ को नियमित रूप से करें। किसी भी दिन इसे छोड़ने से बचें।
  5. स्वच्छता:
    पाठ करते समय स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पाठ के लिए एक विशेष स्थान का चयन करें जिसे स्वच्छ और पवित्र रखा गया हो।
  6. साधना का पालन:
    इस स्तोत्र का पाठ करते समय अन्य साधनाओं को भी यदि कर सकते हैं तो करें, जैसे गणेश जी का मंत्र जाप, ध्यान, या भजन गाना।

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सावधानियाँ

  1. सचेत रहना:
    इस स्तोत्र को करते समय मन को अन्य विचारों से मुक्त रखें और इसे पूर्ण एकाग्रता के साथ करें।
  2. अन्य कार्यों से बचें:
    पाठ के दौरान अन्य कार्यों में मन नहीं लगाएं और पाठ को ध्यानपूर्वक पूरा करें।
  3. नियमों का पालन:
    साधना के दौरान दिए गए नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। नियमों का उल्लंघन करने से साधना का प्रभाव कम हो सकता है।
  4. अपवित्रता से बचें:
    इस दौरान अपवित्र कार्यों, विचारों, और भोजन से बचें।
  5. पूजा सामग्री की शुद्धता:
    पूजा की सभी सामग्रियों की शुद्धता का ध्यान रखें।

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श्री गणेश स्तोत्र के सामान्य प्रश्न

  1. श्री गणेश स्तोत्र का पाठ किस समय करना चाहिए?
    • श्री गणेश स्तोत्र का पाठ प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  2. क्या इसे किसी भी दिन किया जा सकता है?
    • हाँ, इसे किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार, गणेश चतुर्थी, और अन्य शुभ दिनों पर इसका विशेष लाभ होता है।
  3. क्या महिलाएं भी श्री गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं?
    • हाँ, महिलाएं भी इस स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं।
  4. क्या इसे घर पर कर सकते हैं?
    • हाँ, इसे घर पर किसी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं।
  5. किस प्रकार के आसन का उपयोग करना चाहिए?
    • सफेद या लाल रंग के आसन का उपयोग करना शुभ माना जाता है।
  6. पाठ की अवधि क्या होनी चाहिए?
    • विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए इसे 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।
  7. इसका पाठ करने से क्या आर्थिक लाभ मिलता है?
    • हाँ, इस स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि और धन प्राप्ति होती है।
  8. क्या यह शत्रुओं से रक्षा करता है?
    • हाँ, यह स्तोत्र शत्रुओं से रक्षा करता है और सुरक्षा प्रदान करता है।
  9. क्या इस स्तोत्र का पाठ बच्चों के लिए किया जा सकता है?
    • हाँ, बच्चों की सुरक्षा और शुभकामना के लिए भी यह स्तोत्र प्रभावी है।
  10. क्या इसे गुप्त रूप से करना चाहिए?
    • हाँ, साधना को गुप्त रखना बेहतर होता है क्योंकि यह साधना की शक्ति को बढ़ाता है।
  11. क्या इसे मंदिर में करना आवश्यक है?
    • नहीं, इसे घर पर भी कर सकते हैं।

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