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“Shri Ramchandra Krapalu Bhajaman” Spiritual Growth

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन्ः जो मन को अलौकिक आनंद से भर दे!

“श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन्” यह अध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने वाला एक अत्यंत प्रसिद्ध और लोकप्रिय भजन है, जिसका पाठ करना, हर तरह की मुसीबते व बाधाओं को दूर करना होता है। यह भजन संत तुलसीदास द्वारा रचित “रामचरितमानस” से लिया गया है और भगवान श्रीराम की करुणा, दया और कृपा का वर्णन करता है। भक्तगण इस भजन को बड़े श्रद्धा भाव से गाते हैं, और यह उनके जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-शांति लाने का माध्यम माना जाता है।

संपूर्ण “श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन्” भजन का अर्थ के साथ

भजन:

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुंदरम्।
पट पीतमानहु तडित रुचि, शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द्र दशरथ नन्दनम्॥३॥

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम्॥४॥

इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मन रञ्जनम्।
मम हृदय कञ्ज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनम्॥५॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द्र दशरथ नन्दनम्॥६॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन, हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्॥७॥

संपूर्ण अर्थ

हे मन, श्रीरामचन्द्रजी का भजन करो। वे संसार के भय को दूर करने वाले हैं। जिनकी आँखें नवकंज के समान, मुख कमल के समान, हाथ कमल के समान और पैर कमल के समान हैं।

भगवान श्रीरामचन्द्रजी की सुंदरता अनगिनत कामदेवों से भी बढ़कर है। उनका रंग नया नीला बादल जैसा सुंदर है। वे पीले वस्त्र पहनते हैं जो बिजली की तरह चमकते हैं। ऐसे पवित्र स्वरूप को मैं प्रणाम करता हूँ, जो जनकपुत्री सीता के प्रिय हैं।

हे मन, उस श्रीराम का भजन करो जो दीनों के बन्धु, सूर्य के समान तेजस्वी और दानव-दैत्य वंश का नाश करने वाले हैं। वे रघुकुल के आनंद के मूल, कोशल राज्य के चंद्रमा और दशरथजी के पुत्र हैं।

श्रीराम के सिर पर मुकुट, कानों में कुण्डल, और माथे पर सुंदर तिलक है। उनके शरीर पर भव्य आभूषण सुशोभित हैं। उनकी भुजाएँ घुटनों तक लंबी हैं, वे धनुष-बाण धारण करते हैं, और उन्होंने युद्ध में खर और दूषण जैसे राक्षसों को जीत लिया है।

तुलसीदास कहते हैं, भगवान राम शंकर (शिव), शेषनाग, और सभी मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले हैं। वे मेरे हृदय रूपी कमल में निवास करें और काम-क्रोध जैसे दुश्मनों का नाश करें।

हे मन, उस श्रीराम का भजन करो जो दीनों के बन्धु, सूर्य के समान तेजस्वी और दानव-दैत्य वंश का नाश करने वाले हैं। वे रघुकुल के आनंद के मूल, कोशल राज्य के चंद्रमा और दशरथजी के पुत्र हैं।

हे मन, श्रीरामचन्द्रजी का भजन करो। वे संसार के भय को दूर करने वाले हैं। जिनकी आँखें नवकंज के समान, मुख कमल के समान, हाथ कमल के समान और पैर कमल के समान हैं।

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन् के लाभ

  1. आध्यात्मिक शांति: इस भजन का नियमित रूप से पाठ करने से मन में शांति और संतोष की अनुभूति होती है। यह भजन मन को शांत और स्थिर करता है।
  2. भय और संकटों का नाश: यह भजन भवभय यानी संसारिक कष्टों और संकटों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
  3. प्रेम और करुणा की भावना: भजन में भगवान श्रीराम की कृपा का गुणगान किया जाता है, जिससे व्यक्ति के हृदय में प्रेम और करुणा का भाव जागृत होता है।
  4. आत्म-विश्वास में वृद्धि: भगवान श्रीराम के गुणों का ध्यान करने से व्यक्ति में आत्म-विश्वास और साहस का विकास होता है।
  5. मानसिक संतुलन: नियमित रूप से इस भजन का जप करने से मानसिक संतुलन और आत्म-संयम प्राप्त होता है।
  6. धार्मिक उन्नति: यह भजन भगवान श्रीराम की स्तुति के माध्यम से व्यक्ति को धार्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
  7. परिवारिक सुख: इस भजन का नियमित पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
  8. स्वास्थ्य लाभ: इस भजन का प्रभाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यह तन-मन को स्वस्थ और निरोगी बनाता है।
  9. समस्याओं का समाधान: यह भजन समस्याओं का समाधान ढूंढने में सहायक होता है और व्यक्ति को कठिनाइयों से उबरने की शक्ति देता है।
  10. आध्यात्मिक जागृति: इस भजन के माध्यम से व्यक्ति में आध्यात्मिक जागृति होती है और उसे भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अनुभव होता है।
  11. विपरीत परिस्थितियों में साहस: यह भजन कठिन समय में भी व्यक्ति को साहस और धैर्य प्रदान करता है।
  12. सकारात्मक सोच: भजन का नियमित जप व्यक्ति के भीतर सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण का विकास करता है।
  13. दैनिक तनाव का निवारण: यह भजन दैनिक जीवन के तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होता है।
  14. भक्ति का विकास: यह भजन व्यक्ति के भीतर भक्ति और धार्मिकता का विकास करता है।
  15. दिव्य शक्ति का अनुभव: यह भजन व्यक्ति को दिव्य शक्ति का अनुभव कराता है और उसे ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव सिखाता है।

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन् विधि

इस भजन की साधना के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है:

  1. दिन: इस भजन को प्रतिदिन किया जा सकता है। किसी भी विशेष दिन का चयन करने की आवश्यकता नहीं होती, परन्तु मंगलवार और शनिवार को इसका विशेष महत्व है।
  2. अवधि: इस भजन की साधना की अवधि 41 दिनों तक हो सकती है। इस अवधि के दौरान इसे प्रतिदिन एक निश्चित समय पर करना चाहिए।
  3. मुहूर्त: सुबह के समय, ब्रह्म मुहूर्त (4:00 से 6:00 बजे) इस भजन की साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। इस समय मन शांत और वातावरण शुद्ध होता है, जो साधना को प्रभावी बनाता है।

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नियम

  1. शुद्धि और साफ-सफाई: साधना से पहले, स्नान कर शुद्ध और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा स्थल को भी शुद्ध और स्वच्छ रखना आवश्यक है।
  2. एकाग्रता: इस भजन की साधना के दौरान मन को एकाग्र रखना चाहिए। बाहरी विकर्षणों से दूर रहकर भगवान श्रीराम के स्वरूप और उनकी कृपा का ध्यान करना चाहिए।
  3. संयम और सात्विकता: साधना के दौरान संयम और सात्विकता का पालन करना चाहिए। आहार में सात्विक भोजन का सेवन करना, और असत्य, हिंसा आदि से बचना चाहिए।
  4. नियमितता: इस भजन की साधना को नियमित रूप से करना चाहिए। यदि 41 दिनों की साधना कर रहे हैं, तो इसे किसी भी दिन छोड़े बिना प्रतिदिन करना चाहिए।
  5. गुप्तता: साधना और पूजा को गुप्त रखना चाहिए। इसे दूसरों को न बताकर भगवान के प्रति समर्पण और श्रद्धा भाव बनाए रखना चाहिए।
  6. आरती और दीपक: भजन के बाद भगवान श्रीराम की आरती करें और दीपक जलाकर भगवान का ध्यान करें।
  7. प्रसाद: साधना के बाद भगवान को प्रसाद अर्पित करें और उसे परिवार के सदस्यों में बांटें।

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सावधानी

  1. नियमितता में विघ्न न डालें: साधना के दौरान किसी भी प्रकार की नियमितता में विघ्न न डालें। इसे एक निश्चित समय पर और नियमपूर्वक करें।
  2. ध्यान में एकाग्रता: भजन के दौरान ध्यान को भटकने न दें। मन को भगवान श्रीराम के स्वरूप में स्थिर रखने का प्रयास करें।
  3. शुद्धता बनाए रखें: साधना के समय तन-मन की शुद्धता का ध्यान रखें। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को अपने अंदर प्रवेश न करने दें।
  4. आशंका से बचें: इस भजन की साधना में श्रद्धा और विश्वास रखें। किसी भी प्रकार की आशंका या शंका को मन में स्थान न दें।
  5. सात्विक जीवनशैली: साधना के दौरान सात्विक जीवनशैली का पालन करें। अहिंसा, सत्य, और संयम का जीवन जीने का प्रयास करें।

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श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन् के सामान्य प्रश्न

  1. श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन् किसने रचा है?
    • यह भजन गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है, जिन्होंने “रामचरितमानस” भी लिखा था।
  2. इस भजन का सबसे प्रमुख लाभ क्या है?
    • यह भजन भक्तों को भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त करने और मानसिक शांति पाने में सहायता करता है।
  3. इस भजन को करने का सबसे अच्छा समय क्या है?
    • इस भजन को सुबह के समय, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में करना सर्वोत्तम माना जाता है।
  4. क्या इस भजन को किसी विशेष दिन पर करना चाहिए?
    • इसे प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार का विशेष महत्व है।
  5. क्या इस भजन के लिए कोई विशेष साधना विधि है?
    • हां, इस भजन की साधना 41 दिनों तक नियमित रूप से एक निश्चित समय पर की जा सकती है।
  6. क्या इस भजन को गुप्त रखना आवश्यक है?
    • साधना और पूजा को गुप्त रखना श्रेयस्कर माना गया है, ताकि साधना में किसी प्रकार का विघ्न न आए।
  7. इस भजन का प्रभाव कैसे महसूस किया जा सकता है?
    • इसका प्रभाव मानसिक शांति, आत्म-विश्वास, और आध्यात्मिक जागृति के रूप में महसूस किया जा सकता है।
  8. क्या इस भजन से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं?
    • हां, यह भजन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने में सहायक है।
  9. क्या इस भजन को सुनने से भी लाभ मिलता है?
    • हां, इस भजन को सुनने से भी शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
  10. क्या इस भजन के साथ किसी और मंत्र का भी जप किया जा सकता है?
    • इसे अकेले ही किया जाना चाहिए, लेकिन यदि आप चाहें तो अन्य राम-नाम मंत्रों का भी जप कर सकते हैं।
  11. क्या इस भजन को केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?
    • यह भजन किसी भी धर्म के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जो भगवान श्रीराम में आस्था रखता हो।

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