Skandamata Kavacham Path for Wishes

Skandamata Kavacham Path for Wishes

इच्छा पूरी करने वाला स्कंदमाता कवचम् एक अत्यधिक शक्तिशाली और महत्वपूर्ण कवच है जो देवी स्कंदमाता को समर्पित है। स्कंदमाता, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं और इन्हें भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में पूजा जाता है। इस कवच का पाठ करने से साधक को माता की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से रक्षा होती है। स्कंदमाता कवचम् का जप विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो संतान सुख, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।

स्कंदमाता कवचम् विनियोग

ॐ अस्य श्री स्कंदमाता कवचस्य, शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्री स्कंदमाता देवता, ॐ ऐं बीजं, श्रीं शक्तिः, क्लीं कीलकं, श्री स्कंदमाता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।

इस स्कंदमाता कवचम् के ऋषि “शिव” है, छन्द “अनुष्टुप् ” है, देवता “स्कंदमाता ” है, बीज “ॐ ऐं” है, शक्ति “श्रीं” है, कीलक “क्लीं” है, “मै माता के कवच का पाठ अपनी मनोकामना सिद्धी के लिये कर रहा/ कर रही हूं”

स्कंदमाता कवचम् व उसका अर्थ

ॐ स्कंदमाता महाभागा पुत्रवृद्धिकरी मम। गृहाणाचल सर्वज्ञे संकटान्मां सदा नय ॥1॥
ॐ ऐं हृदयाय नमः, श्रीं शिरसे स्वाहा, क्लीं शिखायै वषट्, हौं कवचाय हुम्, हुं नेत्रत्रयाय वौषट्, ऐं बीजम्। श्रीं शक्तिः। क्लीं कीलकं। श्री स्कंदमाता प्रीत्यर्थे कवचपाठे विनियोगः॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते॥ 2॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते॥ 3॥
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥ 4॥
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥ 5॥

स्कंदमाता कवच का अर्थ

  1. पहला श्लोक: “स्कंदमाता महाभागा…” — हे महाभाग्यशाली स्कंदमाता, आप पुत्रवृद्धि (संतान सुख) देने वाली माता आप समस्त संकटों से हमें बचाएं और सदा हमारी रक्षा करें।
  2. दूसरा श्लोक: “शरणागतदीनार्तपरित्राण…” — जो भी आपके शरण में आता है, आप उसकी हर प्रकार की समस्याओं और कष्टों को हरती हैं। हे देवी, आपको हमारा नमन है।
  3. तीसरा श्लोक: “सर्वस्वरूपे सर्वेशे…” — आप समस्त रूपों में, समस्त शक्तियों से युक्त हैं। हे दुर्गा देवी, हमें सभी प्रकार के भय से मुक्त करें।
  4. चौथा श्लोक: “रोगानशेषानपहंसि तुष्टा…” — जब आप प्रसन्न होती हैं तो सभी रोगों का नाश करती हैं और क्रोधित होने पर समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। जो भी आपकी शरण में आता है, वह कभी भी कष्ट नहीं पाता।
  5. पाँचवाँ श्लोक: “सर्वाबाधा प्रशमनं…” — आप त्रिलोक्य की स्वामिनी हैं और सभी बाधाओं को दूर करने वाली माता हैं। इसी प्रकार, हमारे शत्रुओं का विनाश करें और हमारी रक्षा करें।

स्कंदमाता कवचम् के लाभ

  1. संतान सुख: जो भक्त इस कवच का पाठ करते हैं, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  2. सर्वरोग नाशक: यह कवच सभी प्रकार के रोगों और शारीरिक कष्टों का नाश करता है।
  3. मानसिक शांति: नियमित पाठ से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  4. बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं और परेशानियों का अंत होता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  6. सुख-समृद्धि: कवच का जप सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति में सहायक होता है।
  7. शत्रु से रक्षा: यह कवच शत्रुओं से रक्षा करता है और उन्हें पराजित करता है।
  8. धन प्राप्ति: कवच का पाठ करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की प्राप्ति होती है।
  9. कल्याणकारी: साधक के लिए यह कवच अत्यंत कल्याणकारी होता है।
  10. भय से मुक्ति: सभी प्रकार के भय, चिंता और असुरक्षा से मुक्ति मिलती है।
  11. आकस्मिक संकट से रक्षा: जीवन में अचानक आने वाले संकटों से रक्षा होती है।
  12. दुष्ट आत्माओं से सुरक्षा: कवच का पाठ करने से दुष्ट आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है।
  13. भाग्य सुधार: जीवन में भाग्य की उन्नति होती है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
  14. स्वास्थ्य में सुधार: यह कवच साधक के स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
  15. ईश्वर कृपा: साधक को ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

स्कंदमाता कवचम् की विधि

स्कंदमाता कवचम् का पाठ विधिपूर्वक करने से ही इसका पूर्ण लाभ मिलता है। यहाँ कवच पाठ की विधि दी गई है:

  1. पाठ का दिन और अवधि:
    • नवरात्रि के दौरान या किसी शुभ दिन जैसे सोमवार या शुक्रवार को प्रारंभ करना सर्वोत्तम होता है।
    • कवच पाठ की अवधि 41 दिन निर्धारित की जाती है।
  2. मुहूर्त:
    • प्रातःकाल (सुबह 4 से 6 बजे) या संध्याकाल (शाम 6 से 8 बजे) को कवच पाठ का सर्वोत्तम समय माना जाता है।
  3. सामग्री:
    • स्वच्छ और पवित्र स्थान पर आसन बिछाएं।
    • देवी स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र रखें।
    • पूजा की थाली में फूल, धूप, दीप, कपूर, चंदन, और प्रसाद रखें।
    • रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग करें।
  4. कवच पाठ की संख्या:
    • साधक को प्रतिदिन कम से कम 5 बार कवच का पाठ करना चाहिए।

स्कंदमाता कवचम् के नियम

  1. पूजा और साधना गुप्त रखें: साधक को अपनी पूजा और साधना को गुप्त रखना चाहिए और इसके बारे में किसी से चर्चा नहीं करनी चाहिए।
  2. शुद्धता का पालन करें: साधक को शुद्धता का पालन करना चाहिए। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पवित्रता बनाए रखें।
  3. सात्विक आहार: इस अवधि में सात्विक आहार का सेवन करें और मांसाहार, धूम्रपान, मद्यपान आदि से दूर रहें।
  4. ब्रह्मचर्य का पालन: साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें और संयमित जीवन जीएं।
  5. ध्यान और एकाग्रता: कवच पाठ के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें। मन को भटकने न दें।

स्कंदमाता कवचम् के दौरान सावधानियां

  1. मन की शुद्धता: कवच पाठ के दौरान मन की शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  2. अनियमितता न करें: कवच पाठ के दौरान किसी भी प्रकार की अनियमितता न करें। पाठ को नियमित रूप से करें।
  3. संयमित आचरण: इस अवधि में संयमित आचरण करें और सभी प्रकार के अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
  4. सामाजिक दूरी: कवच पाठ के समय किसी से अनावश्यक बात न करें और समाज से थोड़ी दूरी बनाए रखें।
  5. मौन व्रत: यदि संभव हो तो कवच पाठ के दौरान मौन व्रत रखें ताकि ऊर्जा का संचय हो सके।

स्कंदमाता कवचम् पाठ के प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: स्कंदमाता कौन हैं?

  • उत्तर: स्कंदमाता देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं और भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजी जाती हैं।

प्रश्न: स्कंदमाता कवचम् का क्या महत्व है?

  • उत्तर: यह कवच साधक को जीवन की नकारात्मकता और बाधाओं से बचाता है और देवी की कृपा प्राप्त कराता है।

प्रश्न: कवच का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

  • उत्तर: कवच का पाठ 41 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

प्रश्न: स्कंदमाता कवचम् का पाठ किस समय करना चाहिए?

  • उत्तर: प्रातःकाल या संध्याकाल का समय कवच पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

प्रश्न: कवच पाठ के दौरान कौन-कौन से नियमों का पालन करना चाहिए?

  • उत्तर: शुद्धता, ब्रह्मचर्य, सात्विक आहार, और संयमित आचरण का पालन करना चाहिए।

प्रश्न: क्या स्कंदमाता कवचम् का पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है?

  • उत्तर: हाँ, इस कवच का पाठ संतान सुख की प्राप्ति में सहायक होता है।

प्रश्न: क्या इस कवच का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?

  • उत्तर: इसे विशेष रूप से शुभ समय, जैसे प्रातःकाल या संध्याकाल में ही करना चाहिए।

प्रश्न: कवच पाठ के दौरान किस प्रकार का भोजन करना चाहिए?

  • उत्तर: सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए और मांसाहार से दूर रहना चाहिए।

प्रश्न: क्या इस कवच का पाठ करने से रोगों से मुक्ति मिलती है?

  • उत्तर: हाँ, इस कवच के पाठ से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न: क्या कवच पाठ के दौरान मौन व्रत रखना आवश्यक है?

  • उत्तर: मौन व्रत रखने से ऊर्जा का संचय होता है, इसलिए यह लाभकारी हो सकता है।

प्रश्न: क्या इस कवच का पाठ केवल महिलाएं कर सकती हैं?

  • उत्तर: नहीं, इस कवच का पाठ कोई भी कर सकता है।

प्रश्न: क्या कवच पाठ के दौरान देवी की मूर्ति आवश्यक है?

  • उत्तर: देवी की मूर्ति या चित्र का होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह साधना में सहायक हो सकता है।

प्रश्न: कवच पाठ के दौरान किन रंगों के वस्त्र धारण करने चाहिए?

  • उत्तर: साधारणतः सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

प्रश्न: कवच पाठ के बाद क्या करना चाहिए?

  • उत्तर: पाठ के बाद देवी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

प्रश्न: क्या कवच पाठ के दौरान परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित हो सकते हैं?

  • उत्तर: हाँ, लेकिन उन्हें भी शुद्धता और नियमों का पालन करना चाहिए।

स्कंदमाता कवचम् एक अत्यधिक प्रभावशाली और पवित्र कवच है जो देवी स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। इस कवच का नियमित और विधिपूर्वक पाठ करने से साधक को देवी की कृपा, सुरक्षा, और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके जप के दौरान नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि साधक को इस कवच का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।